रविवार, 29 सितंबर 2024
उत्कृष्ट पत्रकारिता में सम्मानित हुए कई पत्रकार, पत्रकारों ने दी बधाई
शनिवार, 28 सितंबर 2024
ग्रामीण पत्रकारिता में सम्मानित हुए जनपद के शहंशाह एवं प्रदीप
शुक्रवार, 27 सितंबर 2024
विद्या संवाद यात्रा पहुंची कौशाम्बी, सिखाए परीक्षा के गुर
बुधवार, 25 सितंबर 2024
ऑल इण्डिया मीडिया कांफ्रेंस का हुआ आयोजन, मीडियाकर्मियों ने उठाई कई मांग
सोमवार, 16 सितंबर 2024
ईद मिलाद उन नबी पर जुलूस-ए-मोहम्मदी में हुजूर की आमद मरहबा की सदाएं रहीं बुलंद
- इस्लाम धर्म के आखिरी पैगम्बर एवं अल्लाह के रसूल को पैदाइश पर निकले जुलूस
- पूर्व संध्या से जगह - जगह हुई रोशनी तथा हुए जलसे व तकरीर
- पुलिस सुरक्षा के साथ सकुशल संपन्न हुए जुलूस, लोगों ने प्रशासन को कहा शुक्रिया
फतेहपुर। सोमवार को पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद (स.) की पैदाइश का जश्न पूरी अकीदत और एहतराम के साथ मनाया गया है। ईद-मिलाद-उन- नबी पर शहर, कस्बों व गांवों में जगह-जगह से जुलूस निकाले गए। ‘सरकार की आमद मरहबा, दिलदार की आमद मरहबा...’ के नारों से पूरी फिजा गुलजार हो उठी। इससे पूर्व रविवार की रात मुस्लिम इलाकों में जगह - जगह जलसों का आयोजन हुआ। जलसे में उलेमाओं ने हजरत मोहम्मद साहब के उपदेशों एवं उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए लोगों को उनके बताए रास्ते पर चलने की नसीहत दी। दिन में निकाले गए जुलूस के दौरान सभी जगह स्थानीय पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। मुहम्मद साहब को याद करते हुए लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर बारावफात की बधाईयां भी दीं।
शहर से लेकर देहात तक हर्षाेल्लास के बीच इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर एवं अल्लाह के रसूल मुहम्मद साहब के जन्मदिन ईद-मिलाद-उन-नबी की चहुंओर धूम दिखाई दी, पूर्व की रात से ही रोशनी सजाकर इलाकों को गुलजार किया गया, वहीं सोमवार की सुबह से ही जगह - जगह पर अलहदा दिशाओं से छोटे-बड़े जुलूस निकलना शुरू हो गए। पैगंबर-ए-इस्लाम की पैदाइश यानी ईद मिलादुन्नबी पर सोमवार को जनपद नबी के नारों से गूंज उठी। ईद मिलादुन्नबी (बारावफात) पर फतेहपुर जनपद के विभिन्न इलाकों से जुलूसे-ए-मोहम्मदी में हजारों लोगों ने शिरकत की। मुबारकों की जोशीली सदा के साथ अलग-अलग टोले-मुहल्लों को गुंजाने लगे थे। सुबह-सुबह लकदक कुर्ता पायजामा पहने, सिर पर हरे रंग का साफा व पगड़ी बांधे बड़े बुजुर्ग और बच्चे हाथों में झंडियां लहराते हुए नबी के आने का पैगाम दे रहे थे तो लबों पर, सरकार की आमद मरहबा, दिलदार की आमद मरहबा जैसे रसूले पाक के नजरानों से शहर व गांवों की फिजा में नूरानी रंग भर गया। हर तरफ उमंगों का समंदर हिलोरे मारता दिखा। निकले जुलूस में नबी के आमद की खुशी साफ नजर आईं। बड़े, बुजुर्ग, नौजवान और बच्चे पूरी अकीदत से जुलूस में शामिल हुए। फिजा में इत्र और फूलों की खुश्बू के साथ नबी का जिक्र गूंज रहा था। हाथों में इस्लामी झंडा लिए बड़े, बुजुर्ग और बच्चे सभी नबी के आमद का पैगाम दे रहे थे। नाते पाक की धुन से पूरे इलाके में एक अलग ही नूरानी रंग छा गया था।
फिजा में इत्र और फूलों की खुश्बू के साथ नबी का जिक्र गूंज रहा था। सरकार की आमद मरहबा..., दिलदार की आमद मरहबा... जैसे नारों से फिजा पुरनूर थी। इसी क्रम में खागा तहसील क्षेत्र के सुल्तानपुर घोष गांव से निकला जुलूस में नबी की शान में नातिया कलाम पढ़ते हुए जुलूस अपने कदीमी रास्ते से निकाला गया। पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब की यौमे पैदाइश की खुशगवारी में सराबोर लोग जूलूस में उत्साहित नजर आए। फज्र की नमाज अदा करने के बाद से ही मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में नए कपड़ों में सजे व तुर्की साफों में डटे बुढ़े, बच्चे, नौजवान हाथों में इस्लामी परचम लहराते जुलूसे मुहम्मदी के सफे (लाइन) लगाने लगे थें।
गांव व शहर में इस नजारे को देखने के लिए सड़क पर बारावफात का जुलूस देखने के लिए उमड़े लोग तारीफ करते नजर आए हैं।
जुलूस के दौरान स्थानीय पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। यही सिलसिला फतेहपुर शहर के साथ ही बिंदकी, खागा, जहानाबाद, बहुआ, हथगाम, खखरेड़ू, अफोई, मोहम्मदपुर गौंती, प्रेमनगर, शोहदमऊ, मंडवा, रामपुर, काजीपुर, बहेरा सादात, अल्लीपुर, टिकरी, मूसेपुर, लाडलेपुर, शाहपुर सहित अन्य गांवों व कस्बों में जारी रहा है।
कोतवाली फतेहपुर के साथ ही कोतवाली बिंदकी एवं खागा के साथ ही थाना हथगाम एवं थाना सुल्तानपुर घोष पुलिस सक्रिय नजर आई और जुलूस को सकुशल संपन्न कराया। इतना ही नहीं उपस्थित लोगों ने पुलिस एवं प्रशासन का शुक्रिया अदा किया जिसके प्रति उत्तर में पुलिस ने ईद मिलादुन्नबी की मुबारकबाद भी दी।
भारतीय सवर्ण संघ ने उठाई "सवर्ण आयोग" की मांग
शुक्रवार, 13 सितंबर 2024
जयशंकर ने जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से की मुलाकात
जिनेवा। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर स्विट्जरलैंड की दो दिवसीय यात्रा पर हैं, जिस दौरान उन्होंने जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों से मुलाकात की। जयशंकर ने डब्ल्यूएचओ प्रमुख से मिलने के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर बैठक की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा डब्ल्यूएचओ महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस से मिलकर बहुत खुशी हुई। पारंपरिक चिकित्सा तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य सहित डब्ल्यूएचओ में हमारे सहयोग पर चर्चा की।
एक अन्य पोस्ट में जयशंकर ने बताया कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क से मुलाकात की और वैश्विक मानवाधिकार हालात तथा चुनौतियों का बेहतर समाधान कैसे खोजा जाए, इस पर भारत के दृष्टिकोण को साझा किया।
विदेश मंत्री ने जिनेवा सेंटर फॉर इंडियाज सिक्योरिटी पॉलिसी में राजदूत जीन-डेविड लेविटे के साथ बातचीत की। इस दौरान लेविटे ने जयशंकर के साथ वार्ता करने के मौके को अपना सौभाग्य बताते हुए उनकी प्रशंसा में कहा आप दुनिया में स्टार हैं। इस पर भारतीय विदेश मंत्री ने हाथ जोड़कर राजदूत का आभार व्यक्त किया। लेविटे के साथ अपनी बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी से संबंधित मुद्दे लगभग 75 प्रतिशत तक सुलझ गए हैं, लेकिन बड़ा मुद्दा सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का है।
इसके अलावा जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास महासचिव रेबेका ग्रिनस्पैन, संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के कार्यकारी निदेशक निखिल सेठ, जिनेवा सुरक्षा नीति केंद्र के निदेशक थॉमस ग्रेमिंगर से भी मुलाकात की। उन्होंने यहां भारतीय समुदाय के लोगों से भी बातचीत की। इससे पहले जयशंकर ने गुरुवार को यहां महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करके स्विट्जरलैंड की अपनी दो दिवसीय यात्रा शुरू की थी।
विदेश मंत्रालय के अनुसार अपनी यात्रा के अंतिम चरण में विदेश मंत्री अपने स्विस समकक्ष से भी मिलेंगे, ताकि दोनों देशों के बीच घनिष्ठ साझेदारी की समीक्षा की जा सके और द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने के अवसरों का पता लगाया जा सके।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
यूएन विकास साझेदारी कोष में भारत का अहम योगदान
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी. हरीश ने गुरुवार को यहां यूएन मुख्यालय में दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के साथ विकास साझेदारी में भारत जो विकास योगदान कर रहा है, वो उसके सिद्धांत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ से प्रेरित है, जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है।
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल से एक पोस्ट में लिखा यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने संयुक्त राष्ट्र दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस पर भारत का वक्तव्य दिया। भारत ने लगातार वैश्विक दक्षिण के लिए काम किया है। भारत वैश्विक विकास और अधिक न्यायसंगत तथा टिकाऊ दुनिया बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
राजदूत हरीश ने कहा कि आपस में जुड़ी-गुंथी आज की दुनिया अनेकानेक ऐसी चुनौतियों से घिरी है, जो किन्हीं सीमाओं को नहीं जानतीं, ऐसे में देशों के बीच सहयोग किया जाना बहुत अहम है। हरीश ने बताया कि वर्ष 2017 से यूएन के साथ विकास साझेदारी कोष को भारत का लगभग 15 करोड़ डॉलर का योगदान पहले ही 60 देशों में 82 परियोजनाओं को वित्तीय समर्थन दे चुका है और यह विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारतीय राजदूत ने कहा आज के समय में मौजूद चुनौतियां विशाल और जटिल हैं, जबकि संसाधन सीमित हैं। इस संदर्भ में, भारत-यूएन विकास साझेदारी कोष और आईबीएसए कोष जैसे कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए उम्मीद की मशाल और प्रेरणा के प्रतीक हैं। इनसे साबित होता है कि जब देश विश्व को एक बेहतर स्थान बनाने के लिए एकजुट होकर, साझा नजरिए और संकल्प के साथ काम करते हैं तो बहुत खास प्रगति हासिल की जा सकती है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
गुरुवार, 12 सितंबर 2024
कीर्तिवर्धन सिंह ने येरेवन डायलॉग फोरम में भारत का प्रतिनिधित्व किया
येरेवन। आर्मेनिया की राजधानी में 9-11 सितंबर के बीच आयोजित येरेवन डायलॉग फोरम में विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। संवाद में कई देशों के नेताओं, शिक्षाविदों और छात्रों सहित विभिन्न हितधारकों ने वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।
सिंह ने ‘अनिश्चितता के युग में जलवायु सुरक्षा’ विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में भाग लिया और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलवायु सुरक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता और मिशन लाइफ तथा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सहित भारत द्वारा की गई नायाब पहलों पर बात की।
विदेश राज्य मंत्री ने संवाद से इतर आर्मेनिया के उप प्रधानमंत्री एम. मेहर ग्रिगोरियन के साथ बैठक की, जिसमें दोनों नेताओं के बीच बहुआयामी और पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति हुई। इसके अलावा सिंह ने अर्मेनियाई विदेश मंत्री अरारत मिर्जोयान के साथ भी बैठक की, जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय एजेंडे को और बढ़ाने के लिए संयुक्त प्रयास जारी रखने की तत्परता व्यक्त की। इस दौरान विभिन्न प्लेटफार्मों और प्रारूपों में साझेदारी की संभावनाओं के साथ-साथ क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
राज्य मंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा येरेवन वार्ता के उद्घाटन के अवसर पर विदेश मंत्री अरारत मिर्जोयान के साथ एक सार्थक बैठक हुई। भारत-अर्मेनिया द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई, जिसमें व्यापार, आर्थिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा, संस्कृति और लोगों के बीच आदान-प्रदान शामिल है। पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों और साधनों पर विचार साझा किए। साथ ही, आपसी हितों के क्षेत्रीय/वैश्विक मुद्दों पर दृष्टिकोण साझा किए।
विदेश राज्य मंत्री ने अपनी इस यात्रा के दौरान आर्मेनिया में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों और छात्रों के साथ बातचीत की। इसके साथ ही सिंह ने येरेवन के ब्यूनस आयर्स पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
बुधवार, 11 सितंबर 2024
भारत ने खाद्य संकट से जूझ रहे 4 देशों को भेजी राहत
नई दिल्ली। भारत सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण खाद्य संकट से जूझ रहे चार देशों को मानवीय सहायता के तौर पर राहत सामग्री भेजी है। भारत ने मंगलवार को उष्णकटिबंधीय तूफानों से बुरी तरह प्रभावित अल साल्वाडोर के लोगों के लिए राहत सामग्री की दूसरी खेप भेजी। इससे पहले भारत ने अल नीनो घटना के कारण उत्पन्न भयंकर सूखे से जूझ रहे मलावी, जाम्बिया और जिम्बाब्वे को खाद्य सामग्री भेजी।
ग्वाटेमाला में भारतीय दूतावास ने मंगलवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा जून 2024 में उष्णकटिबंधीय तूफानों से प्रभावित अल साल्वाडोर के लोगों के लिए भारत सरकार द्वारा भेजी गई एचएडीआर राहत सामग्री की दूसरी किस्त अल साल्वाडोर के बाहरी संबंध मंत्रालय को प्राप्त हो गई है। भारत अल साल्वाडोर सरकार को 50 टन राहत सामग्री दान करने के लिए प्रतिबद्ध है। बता दें कि इससे पहले भारत की ओर से अल साल्वाडोर को अगस्त के अंतिम सप्ताह में राहत सामग्री की पहली किस्त भेजी थी।
विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा भारत सरकार ने अल नीनो घटना के कारण उत्पन्न भयंकर सूखे के कारण पैदा हुए खाद्यान्न घाटे को दूर करने के लिए मलावी गणराज्य की सरकार और उसके लोगों, जाम्बिया गणराज्य की सरकार और उसके लोगों तथा जिम्बाब्वे गणराज्य की सरकार और उसके लोगों को मानवीय सहायता प्रदान की है।
खाद्यान्न की खेप न्हावा शेवा बंदरगाह से मलावी (1000 मीट्रिक टन चावल), जाम्बिया (निर्धारित 2500 मीट्रिक टन मक्का में से 1300 मीट्रिक टन मक्का की पहली खेप) और जिम्बाब्वे (1000 मीट्रिक टन चावल) के लिए भेजी गई है।
मंत्रालय ने कहा यह सहायता भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकम' के सिद्धांत, साउथ-दक्षिण सहयोग की भावना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रेखांकित अफ्रीका के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। भारत सभी मित्र देशों को उनकी जरूरत के समय सहायता प्रदान करने और हमारे दीर्घकालिक एवं घनिष्ठ संबंधों को और मजबूत करने के लिए तैयार है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
जर्मनी में भारत की प्रगति और विकास यात्रा का उल्लेख
बर्लिन। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने यहां आयोजित जर्मन विदेश कार्यालय के वार्षिक राजदूत सम्मेलन में वक्तव्य दिया, जहां उन्होंने पिछले एक दशक में हुई भारत की प्रगति और विकास यात्रा का उल्लेख किया।
उन्होंने भारत में हो रहे बदलावों पर रोशनी डालते हुए कहा पिछले एक दशक में भारत काफी बड़े स्तर पर बदला है। आज यह करीब चार ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था है। भारत का मानव संसाधन भी बदल रहा है। वैश्विक कारोबार में भारतीय प्रतिभाओं की प्रासंगिकता स्पष्ट दिख रही है।
जयशंकर तीन देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में जर्मनी में हैं। वह ‘भारत-खाड़ी सहयोग परिषद मंत्रिस्तरीय बैठक’ में भाग लेने के बाद सऊदी अरब से दो दिवसीय दौरे के लिए यहां पहुंचे हैं। विदेश मंत्री ने मंगलवार को बर्लिन में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन द्वारा आयोजित विदेशी मामलों एवं सुरक्षा नीति विशेषज्ञों से भी बातचीत की। वार्ता के बाद जयशंकर ने कहा बदलती वैश्विक व्यवस्था, सुरक्षा चुनौतियों और भारत तथा जर्मनी के बीच रणनीतिक समानता पर विचार विमर्श किया गया।
जयशंकर ने यह भी कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष का समाधान जंग के मैदान पर नहीं निकलेगा और दोनों पक्षों को बातचीत करनी होगी। अगर वे सलाह चाहते हैं, तो भारत हमेशा मदद के लिए तैयार है।
जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा आज बर्लिन में विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक के साथ व्यापक चर्चा की। भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी का जायजा लिया, जिसमें व्यापार एवं निवेश, हरित एवं सतत विकास, कुशल श्रमिकों की गतिशीलता, प्रौद्योगिकी और रक्षा एवं सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया। यूक्रेन, गाजा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर विचारों का आदान-प्रदान किया। 7वें अंतर-सरकारी परामर्श के लिए भारत में उनका स्वागत करने के लिए तत्पर हूं।
विदेश मंत्री ने जर्मन संसद की विदेश मामलों की समिति के चेयरमैन माइकल रोथ से भी मुलाकात की और इस दौरान दोनों नेताओं के बीच मौजूदा वैश्विक चुनौतियों और नए द्विपक्षीय सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हुई।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
मंगलवार, 10 सितंबर 2024
जयशंकर ने जीसीसी देशों के विदेश मंत्रियों के साथ की अहम बैठक
दिखाई देते हैं रौज़े हुसैन के घर घर यजीद तेरा तो एक टूटा मजार भी नहीं
यूएन शांति स्थापना में भारत सबसे बड़ा सैन्य योगदानकर्ताः पी. हरीश
रविवार, 8 सितंबर 2024
पत्रकारों को प्राथमिकता से मिले पीएम आवास - शीबू खान
- सीजेए के महासचिव शीबू खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख किया मांग
फतेहपुर। साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन (सीजेए) के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर सरकारी योजनाओं में पत्रकारों को प्राथमिकता के आधार पर लाभ देने के साथ ही वर्तमान में चल रहे प्रधानमंत्री आवास - ग्रामीण के सर्वे में पत्र पत्रकारों को आवास दिए जाने की सिफारिश की है।
बताते चलें कि साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान ने लिखे गए पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते हुए लिखा है कि देश के विभिन्न ग्राम पंचायतों या अन्य निकायों में रहने वाले पत्रकारों में अधिकांश की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में भारत सरकार की योजनाओं में पत्रकारों को नियम एवं पात्रता के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर लाभ दिए जाने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का कष्ट करें। वर्तमान में सभी जनपदों में स्थित ग्राम पंचायतों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास प्लस के सर्वेक्षण का कार्य जारी है ऐसे में पंचायतों में निवास करने वाले पत्रकारों को उनकी पात्रता के अनुसार प्राथमिकता से आवास प्रदान करने का निर्देश सक्षम अधिकारी को देते हुए पत्रकारों का सम्मान बढ़ाने में अपना योगदान देवें। वहीं पत्रकार शीबू खान ने कहा कि पत्रकारों को अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि स्वस्थ्य लोकतंत्र में मीडिया और मीडिया कर्मियों की महती भूमिका है।
अखिल भारतीय मीडिया सम्मेलन का आयोजन 21 और 22 सितम्बर को दिल्ली में
- 9वीं ऑनलाइन मीटिंग में बनी रणनीति, देश के कई पत्रकार संगठन लेंगे हिस्सा
नई दिल्ली। सम्पूर्ण भारत देश के राजधानी सहित सभी राज्यों में लघु और मध्यम वर्ग के पत्रकारों के हित में उनके हक-अधिकार और सम्मान की लड़ाई लड़ने वाली बहुप्रतिष्ठित पत्रकार संगठन इण्डियन फेडरेशन ऑफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स (आईएफएसएमएन) की संस्थापक/अध्यक्ष पुष्पा पांड्या के अथक तथा अविस्मरणीय प्रयासों से एवं उनके कुशल मार्गदर्शन में आगामी 21 और 22 सितम्बर 2024 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अखिल भारतीय मीडिया सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश भर के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में पत्रकार संगठनों के साथ ही वरिष्ठ पत्रकारों की टीम सम्मिलित होनें की पुष्टि हो चुकी है।
8 सितंबर को आयोजित 9वीं ऑनलाइन गूगल मीट की अध्यक्षता पुष्पा पांडेया तथा संचालन शीबू खान द्वारा किया गया एवं डॉक्टर पबित्र मोहन सामंतराय द्वारा महती भूमिका निभाई गई। इस दौरान पुष्पा पांड्या के निर्देशन पर उपरोक्त सम्मेलन को सफल बनानें में ओडिशा के वरिष्ठ पत्रकार एवं विभिन्न गरिमामय पदों पर आसीन डाॅ. पबित्र मोहन सामंतराय एवं उत्तर प्रदेश के तेज-तर्रार वरिष्ठ पत्रकार शीबू खान भी अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका का लगातार निर्वहन कर रहें हैं, जिसके तहत विगत अगस्त माह के प्रथम सप्ताह से ही प्रत्येक रविवार को गूगल मीट प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन बैठक कर देश भर के वरिष्ठ और नामचीन पत्रकारों को संगठित करने का कार्य किया जा रहा है।
इसी कड़ी में आज 08 सितम्बर 2024 रविवार को दोपहर 12:00 बजे से 01:30 बजे तक गूगल मीट प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन बैठक आयोजित किया गया, जिसमें सम्पूर्ण भारत देश के विभिन्न राज्यों से पुष्पा पांडेया सहित डॉक्टर पवित्र मोहन सामंतराय, डॉक्टर कमल झुनझुनवाला, बी.एस. देशपांडे, आर.एस. पण्डा, जगदीश यादव, शीबू खान, संजय मिश्रा, जी.एल. शर्मा, नरेन्द्र बाबू, गीता सोन्चे, बबलू चक्रवर्ती, धीरज कुमार कुशवाहा, प्रतीक सिंह, मुशीर अहमद खान, अमित कुमार, सुशील शर्मा, सुभाष बंसल एवं बुबेश सी. आदि ने सम्मिलित होकर प्रस्तावित अखिल भारतीय मीडिया सम्मेलन को सफल बनाने पर कार्य-योजना बनाई।
गौरतलब है कि वर्तमान समय में भारत देश के राजधानी सहित सभी राज्यों में लघु और मध्यम वर्ग में संचालित पत्रकारिता जगत अनेक प्रकार के समस्याओं से जूझ रही है, जगह-जगह पर लघु और मध्यम वर्ग का पत्रकार शोषित और अपमानित हो रहा है, ऐसे समय में सम्पूर्ण भारत देश भर के अलग-अलग राज्यों से वरिष्ठ एवं प्रतिभावान पत्रकारों की टीम सहित पुष्पा पांड्या का यह कदम निश्चित ही भारतीय लघु और मध्यम वर्ग के पत्रकारिता जगत के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
संवाद से दूर होती हैं गलतफहमियां - शाश्वत तिवारी
एक दूसरे के बारे में बोलने के बजाय अगर हम एक दूसरे से बोलें तो बहुत सारी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी, यह वाक्य अपने आप में एक गहरी समझ रखता है। यह हमें बताता है कि अक्सर हम दूसरों के बारे में बातें करते हैं, उनकी अनुपस्थिति में उनकी आलोचना करते हैं, या उनके बारे में अपनी धारणाएं बना लेते हैं। लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि अगर हम सीधे उनसे बात करें तो शायद बहुत सी बातें स्पष्ट हो जाएँ?
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याद रखें, संवाद एक कला है। इसे सीखने और विकसित करने की जरूरत होती है। लेकिन अगर हम ईमानदारी और खुले दिल से एक-दूसरे के साथ बात करें तो हम निश्चित रूप से सफल होंगे।
आइए, आज ही संवाद की शुरुआत करें।
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गलतफहमियां मानव संबंधों का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं। अक्सर, छोटे-छोटे संवादहीनता के कारण बड़े विवाद जन्म ले लेते हैं। चाहे वह व्यक्तिगत संबंध हों, व्यावसायिक संबंध हों, या समाज के किसी भी स्तर पर संवादहीनता हो, जब हम एक-दूसरे से खुलकर बात नहीं करते, तो गलतफहमियां उत्पन्न होती हैं। यह स्थिति केवल व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका व्यापक प्रभाव देखा जा सकता है। इस लेख में, हम समझने का प्रयास करेंगे कि संवाद कैसे गलतफहमियों को दूर करता है और एक मजबूत, विश्वासपूर्ण समाज के निर्माण में कैसे मदद करता है।
जब हम किसी के बारे में बात करते हैं, तो हम अपनी सोच और धारणाओं को ही प्रोजेक्ट करते हैं। हम उनके बारे में जो सोचते हैं, वही दूसरों को बताते हैं। लेकिन जब हम सीधे उनसे बात करते हैं, तो हम उनकी भावनाओं, विचारों और नजरिए को समझने का मौका पाते हैं। इस तरह हमारी गलतफहमियां दूर होती हैं और हमारे बीच एक बेहतर समझदारी का माहौल बनता है।
गलतफहमी तब उत्पन्न होती है जब किसी स्थिति, व्यक्ति या घटना को सही तरीके से समझा नहीं जाता। यह अक्सर तब होता है जब जानकारी अधूरी होती है, या वह जिस तरह से प्रस्तुत की जाती है, उसमें स्पष्टता नहीं होती। इसके परिणामस्वरूप संदेह, क्रोध, या किसी स्थिति के प्रति गलत प्रतिक्रिया हो सकती है।
व्यक्तिगत संबंधों में गलतफहमियां टूटते रिश्तों का कारण बन सकती हैं। जब दो व्यक्ति एक-दूसरे के विचारों या भावनाओं को सही ढंग से नहीं समझ पाते, तो वे एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं। कार्यस्थल में, गलतफहमियों के कारण टीम में असहमति और संघर्ष उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यहां तक कि देशों के बीच भी संवादहीनता युद्ध और संघर्ष का कारण बन सकती है।
यह बात हमारे व्यक्तिगत रिश्तों के साथ-साथ हमारे सामाजिक जीवन में भी लागू होती है। अगर हम अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों, सहकर्मियों या किसी भी अन्य व्यक्ति के साथ खुलकर बात करें तो हमारी आपसी दूरियां कम हो जाएंगी और हमारे रिश्ते मजबूत होंगे।
संवाद गलतफहमियों को दूर करने का सबसे प्रभावी तरीका है। जब हम एक-दूसरे से संवाद करते हैं, तो हम अपने विचार, भावनाएं और दृष्टिकोण स्पष्ट करते हैं। यह हमें दूसरे व्यक्ति की सोच और भावनाओं को समझने में मदद करता है, जिससे गलतफहमियां दूर होती हैं।
आज ही से हम अपने जीवन में संवाद को महत्व देना शुरू कर सकते हैं। हमें हर किसी के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और उनकी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए। हमें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से नहीं डरना चाहिए। जब हम ऐसा करेंगे तो हम पाएंगे कि हमारे आसपास का माहौल कितना शांतिपूर्ण और सकारात्मक हो गया है।
संवाद का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह स्पष्टता प्रदान करता है। जब हम अपनी बात को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं, तो दूसरी पार्टी को यह समझने में आसानी होती है कि हम क्या कहना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी कार्यस्थल पर किसी कर्मचारी को कोई निर्देश समझ में नहीं आता, तो वह अपने वरिष्ठ से संवाद करके उसे स्पष्ट कर सकता है। इससे गलतफहमी दूर होती है और काम समय पर पूरा होता है।
संवाद न केवल गलतफहमियों को दूर करता है, बल्कि यह एक-दूसरे पर विश्वास को भी बढ़ाता है। जब लोग एक-दूसरे से खुलकर बात करते हैं, तो वे अपने विचार और भावनाओं को ईमानदारी से साझा करते हैं। यह ईमानदारी एक मजबूत विश्वास प्रणाली का निर्माण करती है, जो किसी भी रिश्ते की नींव होती है। व्यक्तिगत संबंधों में, जब दोनों पक्ष संवाद करते हैं, तो वे एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझते हैं और उनके बीच के भावनात्मक बंधन को और भी मजबूत बनाते हैं।
संवाद के माध्यम से हम न केवल अपनी बात रखते हैं, बल्कि दूसरे व्यक्ति की स्थिति और भावनाओं को भी समझने का प्रयास करते हैं। यह हमें संवेदनशील बनाता है और हमें दूसरों के प्रति सहानुभूति विकसित करने में मदद करता है। जब हम किसी की बात ध्यान से सुनते हैं और उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करते हैं, तो हम उस स्थिति में उनके दृष्टिकोण को भी देख सकते हैं। इससे गलतफहमी कम होती है और एक स्वस्थ संबंध का विकास होता है।
संवाद के माध्यम से हम विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। जब दो लोग या समूह अपने विचार साझा करते हैं, तो वे एक-दूसरे के दृष्टिकोण को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। यह आदान-प्रदान किसी भी समस्या के समाधान में सहायक होता है। विचारों के माध्यम से, हम न केवल समस्याओं का समाधान करते हैं, बल्कि नए विचार और समाधान भी विकसित करते हैं।
संवाद के माध्यम से हम नकारात्मकता को दूर कर सकते हैं और सकारात्मक माहौल का निर्माण कर सकते हैं। जब लोग खुलकर अपनी समस्याओं, चिंताओं और विचारों को साझा करते हैं, तो वे समाधान खोजने में सक्षम होते हैं। इससे न केवल समस्याओं का समाधान होता है, बल्कि एक सकारात्मक और उत्पादक माहौल भी बनता है।
भाषा की भिन्नता अक्सर संवाद में बाधा बन सकती है। जब दो लोग अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं, तो उनकी बातचीत में स्पष्टता की कमी हो सकती है। हालांकि, आजकल भाषा के अंतर को कम करने के लिए कई तकनीकी उपकरण उपलब्ध हैं, जो इस बाधा को पार करने में मदद कर सकते हैं।
कई बार हमारी भावनाएं हमारे संवाद में बाधा बन सकती हैं। जब हम क्रोधित, उदास या निराश होते हैं, तो हम सही तरीके से संवाद नहीं कर पाते। इस स्थिति में, यह जरूरी होता है कि हम पहले अपनी भावनाओं को नियंत्रित करें और फिर संवाद करें।
कई बार हम संवाद से पहले ही किसी व्यक्ति या स्थिति के बारे में पूर्वाग्रह बना लेते हैं। यह पूर्वाग्रह हमारे संवाद को प्रभावित करता है और हम सही तरीके से संवाद नहीं कर पाते। ऐसे में, यह जरूरी होता है कि हम अपने पूर्वाग्रहों को छोड़कर निष्पक्ष रूप से संवाद करें।
सही संवाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सुनना है। जब हम दूसरों की बात ध्यान से सुनते हैं, तो हम उनकी भावनाओं और विचारों को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। अक्सर लोग केवल अपनी बात रखने पर ध्यान देते हैं और दूसरे की बात सुनने में असमर्थ होते हैं। इस आदत को बदलने से संवाद बेहतर होता है और गलतफहमियों की संभावना कम होती है।
संवाद को स्पष्ट और सटीक रखना बहुत जरूरी है। अस्पष्ट या अधूरी जानकारी से गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं। यदि हम अपनी बात को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं और सामने वाले से भी यही उम्मीद करते हैं, तो संवाद में बहुत हद तक सुधार हो सकता है।
यदि किसी विषय पर असहमति है, तो आलोचना को सकारात्मक और रचनात्मक तरीके से व्यक्त करना चाहिए। नकारात्मक आलोचना से गलतफहमियां बढ़ सकती हैं, जबकि सकारात्मक आलोचना से समाधान की दिशा में बातचीत बढ़ती है।
समस्याओं या गलतफहमियों को बढ़ने देने की बजाय, समय पर संवाद करना महत्वपूर्ण होता है। यदि हम समस्याओं को समय पर हल नहीं करते, तो वे और बढ़ सकती हैं। इसलिए, जब भी कोई स्थिति उत्पन्न हो, तब तुरंत संवाद करके समस्या का समाधान करना चाहिए।
गलतफहमियां जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन संवाद के माध्यम से उन्हें दूर किया जा सकता है। संवाद हमारे रिश्तों को मजबूत बनाता है, विश्वास को बढ़ाता है, और एक सकारात्मक माहौल का निर्माण करता है। चाहे वह व्यक्तिगत संबंध हों, व्यावसायिक संबंध हों या सामाजिक स्तर पर बातचीत हो, संवाद हमेशा समाधान का मार्ग प्रदान करता है। इसलिए, संवाद को बढ़ावा देना और खुलकर अपनी बात रखना एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए आवश्यक है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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