बुधवार, 30 अप्रैल 2025

जयशंकर को विभिन्न देशों के विदेश मंत्रियों का समर्थन

नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को पिछले कई दिनों के दौरान कई वैश्विक नेताओं के फोन आए हैं, जिन्होंने पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए भारत के प्रति अपना समर्थन जताया है। 
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए कायराना आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए, जिनमें से अधिकांश पर्यटक थे। डॉ. जयशंकर ने इस जघन्य कृत्य के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने और उनका समर्थन करने वालों को जवाबदेह ठहराने के लिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का फोन आया। पहलगाम में आतंकवादी हमले की उनकी स्पष्ट निंदा की सराहना करता हूं। जवाबदेही के महत्व पर सहमत हूं।
डॉ. जयशंकर की संयुक्त अरब अमीरात के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री महामहिम अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान से भी बात हुई है। दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से निपटने की तत्काल आवश्यकता पर चर्चा की। इसके अलावा विदेश मंत्री ने इस हमले की कड़ी निंदा करने के लिए सिएरा लियोन के विदेश मंत्री टिमोथी मूसा काबा को धन्यवाद दिया। 
अल्जीरियाई विदेश मंत्री अहमद अत्ताफ ने भी अपने भारतीय समकक्ष के साथ इसी तरह की चर्चा की, जिसके दौरान डॉ. जयशंकर ने अल्जीरिया के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और भारत-अल्जीरिया साझेदारी की मजबूती की पुष्टि की। इसके साथ ही डॉ. जयशंकर ने अन्य कई विदेश मंत्रियों, जिनमें गुयाना के विदेश मंत्री ह्यूग हिल्टन टॉड, स्लोवेनिया के तानजा फाजोन, पनामा के जेवियर मार्टिनेज-आचा वास्क्वेज और साइप्रस के कॉन्स्टेंटिनोस कोम्बोस के साथ भी इस मुद्दे पर विस्तृत बातचीत की। 
विदेश मंत्री ने पहलगाम हमले की निंदा और एकजुटता के लिए इन सभी नेताओं की सराहना की। इससे पहले उन्होंने ग्रीक विदेश मंत्री जॉर्ज गेरापेट्राइटिस और अपने ब्रिटिश समकक्ष डेविड लैमी से भी बात की थी और आतंकवाद के प्रति भारत के शून्य सहिष्णुता के दृढ़ रुख को दोहराया था।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

रविवार, 27 अप्रैल 2025

पाकिस्तान - आतंकवाद मुर्दाबाद नारे के साथ निकली आक्रोश यात्रा

- साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा निकाली गई यात्रा एवं कैंडल मार्च 

फतेहपुर। साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के बैनर तले थाना सुल्तानपुर घोष क्षेत्र अंतर्गत चौकी चौराहा पर शनिवार की शाम पाकिस्तान मुर्दाबाद - आतंकवाद मुर्दाबाद नारों के साथ आक्रोश यात्रा निकाली गई जिसमें संगठन के पदाधिकारियों सहित अन्य लोगों ने पहलगाम में हुई आतंकी घटना की निंदा करते हुए महामहिम राष्ट्रपति के नाम 9 सूत्रीय ज्ञापन उपजिलाधिकारी खागा को सौंपा।
बताते चलें कि पत्रकारों एवं कलमकारों के शीर्ष संगठन साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन (सीजेए) की संस्थापिका पुष्पा पाण्डेया, संरक्षक पीयूष त्रिपाठी एवं मंजू सुराना तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष शाश्वत तिवारी के निर्देशन पर राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान एवं प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी के नेतृत्व तथा खागा तहसील अध्यक्ष अभिमन्यु मौर्या के संयोजन में बीते दिन जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के विरोध में शनिवार की शाम चौकी चौराहे पर आतंकवाद एवं आतंकवादियों के विरुद्ध आक्रोश यात्रा निकाली गई जिसमें संगठन के पदाधिकारियों, सदस्यों एवं आम जनमानस ने उपस्थिति दर्ज कराकर पाकिस्तान एवं आतंकवाद मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए आक्रोश जाहिर किया साथ ही कैंडल मार्च निकालकर एवं दो मिनट का मौन रखकर दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान संगठन की ओर से महामहिम राष्ट्रपति के नाम 9 सूत्रीय ज्ञापन उपजिलाधिकारी खागा द्वारा सौंपा गया जिसमें बॉर्डर के नियमों को और सख्त बनाया जाए, देश से घुसपैठियों एवं आतंकवादियों का समूल नाश किया जाए, तीनों सेनाओं में नई भर्ती की जाए, दहशतगर्दों एवं उनका साथ देने वालों को मिट्टी में मिलाया जाए, सरहदों को और मजबूत किया जाए, दिवंगतों के परिजनों को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के साथ ही मुआवजा दिया जाए जैसी मांग की गई है। ज्ञापन उपजिलाधिकारी खागा द्वारा दिया गया जिसे नायब तहसीलदार विजय प्रकाश त्रिपाठी ने लिया और ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति तक पहुंचाने की बात कही इस दौरान सुल्तानपुर घोष प्रभारी निरीक्षक तेज बहादुर सिंह के साथ उप निरीक्षक दिलीप सिंह, उप निरीक्षक गोविंद यादव के साथ अन्य कई पुलिस कर्मी सुरक्षा में मुस्तैद रहे हैं।
इस दौरान जिला कार्यकारिणी सदस्य कन्हैया पटेल, लखनऊ मंडल युवा अध्यक्ष मुहाफ़िज़ आब्दी, खागा तहसील कोषाध्यक्ष ताज आब्दी, ऐरायां ब्लॉक अध्यक्ष मोहम्मद अब्बास, ऐरायां ब्लॉक महासचिव मेराज अहमद, ब्लॉक कार्यकारिणी सदस्य रेहान, सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर आर्यन यादव (छोटू चाय वाला) सहित दर्जनों की तादाद में स्थानीय लोग उपस्थित रहे हैं।

शनिवार, 26 अप्रैल 2025

अगर भाजपा पश्चिम बंगाल चुनाव जीतती है, तो भाजपा का मुख्यमंत्री कौन होगा? क्या सुवेन्दु अधिकारी मुख्यमंत्री होंगे?

(शाश्वत तिवारी)



मेरी नज़र में इस सवाल के दो पहलू हैं। मान लिया जाए की भाजपा जीत गई है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा। दूसरा,
क्या भाजपा बंगाल में बिना किसी मुख्यमंत्री उम्मीदवार के चुनाव जीत सकती है। जैसा वो त्रिपुरा में करने में कामयाब हो पाई।
क्या आप समझते हैं, इस मामले में शुभेन्दु , मुकुल रॉय से ज़्यादा प्रभावशाली हैं? और क्या आप मानते हैं कि इन दोनों में से एक को भी अगर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताकर चुनाव में उतरा गया तो भाजपा को चुनाव में फ़ायदा होगा? 
इन दोनों में से एक का भी वो जनाधार नहीं है कि वो अपने दम पर चुनाव जीत सकें। शुभेन्दु भले ही एक बाहुबली और पैसे के दम पर चलने वाले राजनैतिक व्यक्ति ज़रूर हैं, पर उनका कोई दोस्त नहीं है और ना ही वो व्यक्ति हैं जिनको देखकर लोग उनके साथ चल दें। बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो इनकी वजह से परेशान होकर भाजपा में आए थे।
आपको शायद याद हो कि प्रणव मुखर्जी ने कहा था - मैं कांग्रेस के साथ मतविरोध होने के बावजूद कभी ख़ुद कुछ नहीं कर सकता था, क्योंकि मेरा कोई जनाधार नहीं था, जो कि ममता कर सकी, मैं कभी नहीं कर सकता था। उन्होंने ख़ुद माना कि मशहूर होना और जनाधार होने में फ़र्क़ होता है।
बंगाल में शुभेन्दु का दल बदल का कोई महत्वपूर्ण प्रभाव जनता के मन में नहीं है। आप हिन्दी के चैनल में जो देखते हैं, उसका कोई प्रभाव बंगाल की जनता पर नहीं है। अगर बंगाल के चैनल देखें तो ख़ुद भी समझ सकते हैं।
ममता के वोट बैंक में औसतन 30% मुसलमान वोटर हैं। बिहार चुनाव के परिणाम के बाद ओवैसी का बंगाल में कुछ नहीं होने वाला, ये पक्का हो गया था। अगर कुछ कर भी लेते, तो उसके काउंटर वजन के तौर पर अब्बास सिद्दीक़ी का इस्तेमाल होगा। बाक़ी बचे वोटबैंक को क्षेत्रीय बनाम बाहरी के तौर पर ममता इकट्ठा रखना चाहेगी। भाजपा अगर परोक्ष रूप से वाम दल का इस्तेमाल करती तो ममता के वोट कट सकते थे या बट सकते थे।
बंगाल में बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो अगर एक अच्छा नेतृत्व पा लें तो वाम दल को वोट देना चाहेंगे, भाजपा को नहीं। वैसे ही हालात देखते हुए प्रादेशिक तौर पर ममता को मात देना कोई आसान काम नहीं था।

मगर अब कुछ और रोमांचक तो उम्मीद करना बनता ही है। ममता के वोट ना काट पाने की परिस्थिति में भाजपा पर दबाव होगा, एक क़द्दावर मुख्यमंत्री का चेहरा तलाशना। और अगर वो अब भी ऐसा नहीं करती तो देर हो जाएगी।
टीएमसी पहले ही इसे ममता बनाम मोदी का चुनाव बता रही है, ताकि लोगों में सन्देश जाए की प्रादेशिक स्तर पर और कोई है ही नहीं, जो टक्कर दे सके। जो कि बंगाल की जनता के दिमाग़ में पहले से ही है। ऐसे में बंगाल में भी मोदी लहर पर निर्भर करके या पैदा करके चुनाव निकाल जाए, ऐसा थोड़ा कठिन है। यही त्रिपुरा से अलग है।
अगर जीत जाती है तो, जीतने के बाद तो भाजपा तय कर ही सकती है कि मुख्यमंत्री किसे बनाएगी। और वो किसी को भी बना ले, क्या फ़र्क़ पड़ता है। मगर उससे भी ज़्यादा शायद ये तय करना ज़रूरी हो सकता है, कि विपक्षी दल होने के नाते, कितने बड़े विपक्ष के रूप में सामने आ पाते हैं, कहाँ से ज़्यादा सीट पक्का कर पाते हैं और किसे नेता विपक्ष बनाए, जो 2026 के चुनाव में भाजपा को जीत दिला सके, जो दूसरे दल, नेता और कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ सके। तब तक मुख्यमंत्री का सही उम्मीदवार भी मिल जाएगा। कम से कम दिलीप घोष से निजात पा सकते हैं, जो बंगाल के पृष्ठभूमि में भाजपा को सम्मानजनक परिस्थिति में नहीं ले जा सकते। बंगाल के ज़्यादातर लोगों को जिन बातों की वजह से भाजपा से परहेज़ हो सकता है, ये उन्हीं बातों को हवा देते हैं। इससे एक निश्चित तबका ही उनके साथ आ सकते थे और वे आ चुके।
आज अगर लोकसभा का चुनाव हो तो भाजपा बंगाल में पहले से भी कहीं बेहतर परिणाम ला सकती है। मगर विधानसभा एक अलग मुद्दा है और अगर शाह साहब कोई चौंकाने वाला ज़बरदस्त चाल सोचकर बैठे हैं तो शायद साल ख़त्म होने तक इंतज़ार करना होगा।
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(लेखक परिचय:
शाश्वत तिवारी स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह राजनीति, समाज और संस्कृति पर विश्लेषणात्मक लेखन करते हैं। सत्ता, जनमत और नेतृत्व के बीच के बदलते समीकरणों को विश्लेषण की गहराई से देखने के लिए जाने जाते हैं।)

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