शुक्रवार, 30 अगस्त 2024

करबला के शहीदों का मनाया गया गम, अकीदतमंदों ने दिया पुरसा

- मनौरी में करबला की शहादत पर मनाया गया यौमे गम,
शब्बर साहब की सरपरस्ती में हुआ जुलूस

 - साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने किया शिरकत

- भारी तादाद में अकीदतमंद हुए शामिल, नौहा पढ़ने दूर-दूर से आईं अंजुमनें 

प्रयागराज। इमाम हुसैन और उनके साथ करबला के मैदान में शहादत देने वाले 72 शहीदों की याद में सारी रात शब्बेदारी हुई और रात भर या हुसैन या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं। इस दौरान हज़ारों की भीड़ करबला के शहीदों पर मातम करती रही। इस मौके पर कोलकाता से आए मौलाना शब्बीर अली वारसी ने तकरीर करते हुवे बताया कि ये वो हुसैन हैं जो मोहम्मद साहब के नवासे हैं, अली के बेटे हैं जिनको कूफे से बारह हज़ार खत भेज कर करबला बुलाया गया और लिखा गया कि आप हमारी मदद के लिए आइए क्योंकि दीन खतरे में है लेकिन कूफे के लोगों ने यजीद के खौफ से हुसैन का साथ छोड़ दिया। हुसैन मदद के लिए बुलाते रहे लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया फिर भी हुसैन यजीद के हराम कामों का डट कर मुकाबला करते रहे।
इमाम हुसैन की उम्र 57 वर्ष थी और उनके हाथों से कत्ल होने वाले यजीदी सिपाहियों की संख्या 1950 तक बताई जाती है।इमाम हुसैन की मदद की वजह से शहीद होने वाले कूफियों की संख्या एक सौ अड़तीस थी जिसमें से पंद्रह गुलाम भी शामिल थे।इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके बदन पर भाले के 33 घाव और तलवार के 34 घाव थे। तीरों की संख्या अनगिनत बताई गई है। शहादत तक इमाम हुसैन के बदन पर कुल उन्नीस सौ तक घाव थे। करबला की जंग में इमाम हुसैन हक़ पर थे इसलिए आज चौदह सौ साल बाद भी दुनिया के लोग हुसैन का गम मनाते हैं और यजीद पर लानत भेजते हैं। यजीद के अत्याचारों का बयान हो रहा है और हुसैन जिंदाबाद के नारे देश विदेश में गूंज रहे हैं।
इस मौके पर जिला सुल्तानपुर, रायबरेली, फतेहपुर, कौशांबी (मंझनपुर एवं करारी), बनारस आदि जनपदों से आई अंजुमनों ने करबला की शान में कलाम पेश करते हुवे इमाम हुसैन को पुरसा पेश किया। जिला कौशांबी बड़ा गांव से उस्मान अली नोहाखान ने बेहतरीन कलाम पेश किया। इस मौके पर हिंदुस्तान के मशहूर शायर जफर अड़हेरवी भी मौजूद रहें साथ ही फतेहपुर की अंजुमन अब्बासिया के साहिबे बयाज इतरत अली ने बेहतरीन कलाम पेश किए। इस कार्यक्रम में साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने भी शिरकत करते हुए कार्यक्रम में किरदार निभाने वालों का खूब हौसला अफजाई किया। इस दौरान थाना मनौरी का पुलिस बल भी मौजूद रहा, जुलूस के आयोजक शब्बर अली ने आए हुवे मेहमानों का आभार व्यक्ति किया।

शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

जानें गोदी मीडिया पर वरिष्ठ पत्रकार श्याम सिंह पंवार की राय

देश में मोदी सरकार बनने के बाद गोदी मीडिया शब्द का चलन आम सा होता गया है, इस गोदी मीडिया के संबंध में वरिष्ठ पत्रकार श्याम सिंह पंवार ने रखी है राय। इस लेख में जानते हैं उनकी राय - 

गोदी मीडिया के बारे में मेरी कलम से -
सच्चाई का अभाव:-
गोदी मीडिया, सत्ता पक्ष की कुत्सित सोंच और मूल भूत मुद्दों की वास्तविक सच्चाई को छिपाने की भरपूर कोशिश करता है। उसे देश की चिंता नहीं होती बल्कि अपने हितों के लिये अपने अनुसार ही खबरें थोपने में पूरी ताकत झोंक देता है।

पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग:-
गोदी मीडिया, हमेशा ही पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग करता है और एक तरफा दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। हर बुराई को भी अच्छाई की तरह प्रस्तुत करता है।

जनता को गुमराह करना:-
गोदी मीडिया, देश की भोली जनता को गुमराह करने की सदैव ही कोशिश करता है और उन्हें सही जानकारी नहीं देता है।

स्वतंत्र मीडिया पर प्रभाव:-
गोदी मीडिया के कारण स्वतंत्र मीडिया प्रभावित हो जाती है और जनता को विभिन्न दृष्टिकोणों से अवगत नहीं कराया जाता है।

लोकतंत्र के लिए खतरा:-
गोदी मीडिया, लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा होती है क्योंकि यह देश की जनता को सही जानकारी नहीं पहुंचाता है और उन्हें अच्छा व स्वस्थ सोंचने में असमर्थ बनाता है।

मेरी निजी राय :-
गोदी मीडिया से जितना बचा जा सकता है, उतना बचने का प्रयास करें। 
क्या सही है? क्या गलत है? इस बारे में अपने मनमस्तिष्क से गहनता से विचार करें।
अर्थात "सुनें सबकी, करें मन की !"

- श्याम सिंह 'पंवार'

बुधवार, 21 अगस्त 2024

डीएम ने जनता दर्शन में सुनी फरियाद

फतेहपुर। जिलाधिकारी सी. इंदुमती ने कलेक्ट्रेट कार्यालय में जनता दर्शन में दूर दराज क्षेत्र से आए हुए शिकायतकर्ताओं की समस्याओं को सुना और आश्वस्त किया कि गुणवत्तापूर्ण एवं समयबद्धता के साथ नियमानुसार शिकायतो का निस्तारण किया जायेगा। 
जनता दर्शन के दौरान कुल 47 शिकायतकर्ताओं से प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए। उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों को प्रार्थना-पत्र में निर्देशित करते हुए कहा कि प्राप्त प्रार्थना पत्रों को पारदर्शिता, गुणवत्तापूर्ण एवं संतुष्टिपरक ढंग से समय सीमा के अंतर्गत निस्तारण किया जाय।

रविवार, 18 अगस्त 2024

चाटुकारिता करने वाला व्यक्ति ‘पत्रकार’ नहीं होता - श्याम सिंह पंवार

किसी मीडिया संस्थान से मात्र ‘आईडेंडिटी कार्ड’ बनवा लेने से, हाँथ में माइक ले लेने से और वाहन पर ‘प्रेस’ का स्टीकर चिपका लेने से कोई ‘पत्रकार’ नहीं बन जाता है। ‘पत्रकार’ वह व्यक्ति नहीं होता है जो अपने मुहल्ले के लोगों के बीच धौंस जमाने के लिये रसूखदारों (कथित जनप्रतिनिधि, गैरजिम्मेदार अधिकारी आदि) के साथ बैठकर गप्पें बघारता है, उनके मनमुताबिक पेश किये गये खुलासों व विचारों को जनता के बीच परोसने के साथ-साथ उसके मनमस्तिष्क पर जबरिया थोपने में जुटा रहता है।

ऐसा करने से ‘वह’ रसूखदारों के लिये तो चहेता बन जाता है जिनकी चाटुकारिता में वह लीन रहता है। वह व्यक्ति ‘पत्रकार’ नहीं होता है बल्कि एक चाटुकार ही होता है, लोग भले ही उसे पत्रकार कहते हैं और उसके बारे में उसके सामने खुलकर बोलने से कतराते रहते हैं, लेकिन देर-सबेर, उनकी सच्चाई सामने आ ही जाती है। 
 पत्रकारों से जुड़े ऐसे अनेक मामले प्रकाश में आ चुके हैं जिनसे सवाल पनपता है कि ‘पत्रकार’ ऐसे भी होते हैं क्या? तो मेरे नजरिये से जवाब यह है कि पत्रकार ऐसे नहीं होते हैं बल्कि पत्रकार का चोला ओढ़ कर पत्रकारिता के पेशे को कलंकित करने वाले वो शातिर लोग होते हैं जो निज स्वार्थ सिद्धि के लिये किसी भी सीमा तक गिर सकते हैं, उन्हें पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं होता है। 
मेरे नजरिये से ‘पत्रकार’ देश का वह व्यक्ति है जो किसी रसूखदार की चाटुकारिता ना कर किसी भी मामले की सच्चाई की तह तक जाने में जुटा रहता है। जनता की समस्याओं को सरकारों तक पहुचाने व सरकारों की मंशा को जनता तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम बनता है। निष्पक्षता के साथ अपनी कलम चलाना अपना दायित्व समझता है। 
लोकतांत्रिक देशों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बाद ‘पत्रकारिता’ को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा गया है। ऐसे में देश की जनता की पत्रकारों से शुरू से ही यह अपेक्षा रहती है कि वे आमजन के साथ खड़े हों और जनता से जुड़े मसलों पर सरकारों से सवाल करें। हालांकि ऐसा करने से उनके सामने अनेक कठिनाइयाँ सामने आ सकती हैं और इसे नकारा भी नहीं जा सकता है। 
 विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, जब अपने पथ से विचलित होता दिखता है, तब पत्रकार ही निष्पक्ष पत्रकारिता के माध्यम से तीनों को उनके ‘दायित्व का बोध’ कराने की जिम्मेदारी निभाता है। अतीत में जाकर इसके अनेक उदाहरण देखे जा सकते है और वर्तमान में भी शायद इसकी (निष्पक्ष पत्रकारिता) जरूरत है, लेकिन मौजूदा दौर में स्थिति बहुत बदल सी गई है और पत्रकारों की भूमिका अब सवालों के घेरे में आ गई है। जिनका उद्देश्य था, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका से सवाल करना आज वह खुद सवालों के घेरे में है। जिसका मुख्य उद्देश्य सच्चाई की तलाश करना, जनहित के मुद्दों पर सरकारों से सवाल करना था और आमजन के साथ खड़े रहना होता था, आज वह (पत्रकार) किसी भी सीमा तक गिर रहा है! पथप्रदर्शक की भूमिका निभाने वाला (पत्रकार) ही पथभ्रष्टक की भूमिका में पाया जा रहा है! 
आखिरकार, यह स्थिति क्यों और कैसे बन रही है, इस ओर गंभीरता से विचार करना शायद समय की दरकार है जिससे कि पत्रकारिता की छवि धूमिल ना हो सके और पत्रकार को उसकी वास्तविक पहचान व सम्मान मिल सके।
@श्याम सिंह पंवार, वरिष्ठ पत्रकार 

फतेहपुर में बढ़ा सियासी बवाल: दिवंगत लेखपाल सुधीर के घर पहुँचे अखिलेश यादव, बोले—“दोषियों को बचने नहीं दूंगा”

- अखिलेश यादव ने परिजनों को दिया मदद, सरकार से उठाई कई मांग - एसआईआर के बढ़ते मामलों पर उग्र दिखे सपा सुप्रीमो, कहा संसद में उठाएंगे मुद्दा ...