शुक्रवार, 28 नवंबर 2025

फतेहपुर में बढ़ा सियासी बवाल: दिवंगत लेखपाल सुधीर के घर पहुँचे अखिलेश यादव, बोले—“दोषियों को बचने नहीं दूंगा”

- अखिलेश यादव ने परिजनों को दिया मदद, सरकार से उठाई कई मांग

- एसआईआर के बढ़ते मामलों पर उग्र दिखे सपा सुप्रीमो, कहा संसद में उठाएंगे मुद्दा

फतेहपुर। बिंदकी तहसील के खजुहा कस्बे में लेखपाल सुधीर कुमार कोरी की बीते दिनों संदिग्ध मौत ने जिले में बड़ा तूफ़ान खड़ा कर दिया है। मामला अब प्रदेश की राजनीति तक पहुँच गया है। शुक्रवार शाम करीब 7:15 बजे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद सुधीर के घर पहुँचे और परिजनों से मुलाकात की।
इस दौरान घर में मातम पसरा था। सुधीर की बहन रो-रोकर बेहोश होने लगीं, मां सदमे में थीं। माहौल बेहद भावुक हो गया। अखिलेश यादव ने परिवार को ढांढस बंधाते हुए कहा कि यह मौत नहीं, सिस्टम की बेरहमी है। चाहे दोषी एसडीएम हो या कोई भी बड़ा अधिकारी हो किसी को छोड़ूंगा नहीं। इस दौरान परिजनों ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से बताया कि सुधीर पर एसआईआर के काम को लेकर लगातार दबाव डाला जा रहा था। छुट्टी तक नहीं मिली। अधिकारी घर आकर कार्रवाई की धमकी देकर गए थे। यह सुनकर अखिलेश यादव ने गुस्से में कहा कि जब अफसरों का डर एक नौजवान की जान ले ले तो सरकार को सत्ता में रहने का हक नहीं बचता। उन्होंने परिवार को भरोसा दिया कि सपा पूरी मजबूती से आपके और आपके परिवार के साथ खड़ी है और न्याय की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ी जाएगी। 
इस दौरान अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवार को संवेदना देते हुए दो लाख रुपए की चेक सौंपते हुए आर्थिक मदद की तथा सरकार से एक करोड़ रुपए मुआवजा तथ एक सरकारी नौकरी की मांग करते हुए निर्वाचन आयोग को आड़े हाथों लेते हुए उग्र अंदाज में लोकसभा में एसआईआर मुद्दे पर सरकारी मुलाजिमों पर दबाव एवं उस दबाव से हो रही आत्महत्याओं को संसद सत्र में गंभीरता से मुद्दा उठाने की बात कही है। फतेहपुर जनपद में यह मामला लगातार गरमाता जा रहा है और अब पूरा जिला न्याय की मांग को लेकर खड़ा दिख रहा है। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था की संवेदनहीनता को उजागर किया है। एक जिंदगी के टूटने से पूरा परिवार बिखर जाता है। सिस्टम को इससे सीख लेनी चाहिए।

एसआईआर प्रक्रिया पर सपा सुप्रीमो अखिलेश का बड़ा हमला

मीडिया से बात करते हुए अखिलेश यादव ने एसआईआर प्रक्रिया को सीधा कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एसआईआर के कारण कई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। आगे गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारी दबाव डाल रहे हैं, डांट-फटकार और धमकियों से कर्मचारी जान देने को मजबूर हो रहे हैं। तथा कहा कि सरकार ने जानबूझकर एसआईआर की समय सीमा कम रखी है, ताकि कर्मचारियों पर लगातार दबाव बना रहे। अखिलेश ने यह भी मांग की है कि एसआईआर की समय सीमा तुरंत बढ़ाई जाए और ऐसी सभी मौतों की न्यायिक जांच कराई जाए।

शनिवार, 22 नवंबर 2025

अब भी हर कोई पीके को 'रोस्ट' करने से बाज नहीं आ रहा

माना कि प्रशांत किशोर बिहार चुनाव में सुपर फ्लॉप साबित हुए हैं। लेकिन गलती क्या है प्रशांत किशोर की ? यही ना कि वो बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था। ओवर कॉन्फिडेंस में दिख रहा था और चैलेंज के साथ ऐलान कर रहा था। लेकिन ये सब करना अपराध थोड़ी है। महात्मा गांधी ने 1942 में चैलेंज के साथ कहा था कि अंग्रेजों भारत छोड़ो तो क्या 1942 में अंग्रेजो ने भारत छोड़ दिया था ? महात्मा गांधी को मालूम था कि आजादी के लिए यह एक जरूरी प्रोसेस है।
प्रशांत किशोर तीन साल से पैदल चलकर बिहार की जनता से संवाद कर रहे थे। उन्हें भरोसा दिला रहे थे कि वे पलायन रोकेंगे, रोजगार देंगे, फैक्टी लगाएंगे, एजुकेशन देंगे। और उन्होंने जनता पर भरोसा कर लिया। उसी जनता पर जिस जनता के बीच वे पहुंचे थे।
मैं तो यह बात भी मानने के लिए तैयार हूँ कि प्रशांत किशोर ने रूहानी खयाल के लिए ही सही, उसने एक सही सपना तो दिखाया कि तुम्हारा मुद्दा जाति, धर्म, अमीरी- गरीबी, ये सब नहीं है।
मैं तो ये भी मानने के राजी हूँ कि प्रशांत किशोर का ये सब एजेंडा एकदम झूठा था, लेकिन इतनी तारीफ तो फिर भी कर ही देनी चाहिए कि वो अपने एजेंडे के लिए भी, मुद्दे अच्छे लेकर आया। बाकी लोग तो गलत एजेंडा भी अच्छी बात और मुद्दों पर नहीं बनाते।
प्रशांत किशोर यही कह रहा था ना कि वो पढ़ा लिखा है, बहुत ऊपर का सोचता है। उसने दुनिया घूमी है, दुनिया को देखा है। तो क्या ही गलत कह रहा था ? उसे लगा होगा कि पढ़े लिखे लोगों की दुनिया इज्जत करती है। उन पर भरोसा करती है। अगर खुद की काबिलियत का यकीन कोई शख्स अपने लोगों को और अपने समाज को दिला रहा है तो वह कोई अपराध तो बिल्कुल नहीं कर रहा है।
एक कहावत है कि "गुड़ ना दे कम से कम गुड़ जैसी बात तो करे" हो सकता है पीके भी अगर चुनाव जीतता तो उसके सब वादे हवा - हवाई निकल जाते लेकिन एक पल के लिए ही सही, वो जो बात कर रहा था, जो सुनने में विजनरी थी। वरना चार दशक में तो बिहार की जनता ने ऐसी बातें भी कहां सुनी होंगी।
सब मान रहे हैं कि पीके लूजर है, क्योंकि उसने गलती ये कर दी कि अब तक चुनाव लड़वाए थे और इस बार खुद लड़ लिया। लेकिन असली तारीफ तो इस बात की बनती है कि ये बड़ा जोखिम उठा गया और जब तक हार नहीं गया तब तक खुद को सबसे मजबूत दिखाए रखा।
हिंदुस्तान ने विजेताओं की स्तुतियां हमेशा सुनाई गई हैं। यह तपस्वियों को शिरोधार्य करने वाला देश है। पीके आज चौतरफा पराजित हैं, लेकिन तीन साल की उनकी यात्रा मेहनत की इंतिहा है।
राजस्थान में एक महान विचारक हुए हैं, आयुवान सिंह हुड़ील जो महाराजा हनुवंत सिंह, गायत्री देवी, महारावल लक्ष्मण सिंह के राजनीतिक सलाहकार थे। कांग्रेस के खिलाफ उन्होंने रामराज्य परिषद, स्वतंत्र पार्टी के लिए रणनीतिकार का काम किया लेकिन खुद का चुनाव हार बैठे थे। लेकिन उसके बाद भी हुड़ील साहब की वैचारिकी के आसपास बहुत कम लोग ठहर पाते हैं।
पीके चुनाव के प्रदर्शन में फ्लॉफ हो चुके हैं, मान लेना चाहिए लेकिन उससे पहले हर मंच पर उनकी प्रतिभा में ये देश अगणित कशीदे गढ़ चुका है। जिनमें प्रतिभा है वे अपने लिए रास्ता बना लेते हैं यक़ीनन पीके भी एक दिन बना ही लेंगे।
शाश्वत तिवारी (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

गुरुवार, 20 नवंबर 2025

काके दी हट्टी "किंग ऑफ नान" रेस्टोरेंट का शुभारंभ, अब फतेहपुर में मिलेगा चांदनी चौक वाला असली स्वाद

- फतेहपुर वासियों को अब मिलेगा दिल्ली के चांदनी चौक जैसा असली स्वाद

- मक्खनदार नान, दाल मखनी, शाही पनीर जैसे व्यंजनों की होगी विशेष पेशकश

फतेहपुर।
शहरवासियों के लिए खुशखबरी है। अब दिल्ली के मशहूर चांदनी चौक जैसा स्वाद फतेहपुर में भी चखा जा सकेगा। नगर में काके दी हट्टी “किंग ऑफ नान” रेस्टोरेंट का भव्य शुभारंभ हुआ, जिसके साथ ही लोगों को 1942 से चली आ रही इस ऐतिहासिक फूड ब्रांड की लाजवाब परंपरा का स्वाद चखने का अवसर मिलेगा।


रेस्टोरेंट के उद्घाटन के दौरान बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। स्थानीय निवासियों ने कहा कि काके दी हट्टी जैसी प्रतिष्ठित ब्रांड का शहर में आना एक नई शुरुआत है। लोगों ने बताया कि वे लंबे समय से दिल्ली की इस प्रसिद्ध दुकान के नान और उत्तर भारतीय व्यंजनों के बारे में सुनते आए हैं, और अब फतेहपुर में ही यह स्वाद मिलने से वे बेहद उत्साहित हैं। खाने-पीने के शौकीनों के लिए काके दी हट्टी कोई नया नाम नहीं है। वर्ष 1942 में चांदनी चौक, दिल्ली से शुरू हुई इस ब्रांड ने अपनी अनोखी रेसिपी, मक्खन से लबालब नान, दाल मखनी और शाही पनीर जैसे व्यंजनों से देशभर में अपनी अलग पहचान बनाई है। अब यही असली उत्तर भारतीय स्वाद फतेहपुर वासियों को भी उपलब्ध हो सकेगा। इस दौरान रेस्टोरेंट संचालक मनोज पाण्डेय ने बताया कि यहां आने वाले ग्राहकों को नान, दाल, सब्ज़ियों और उत्तर भारतीय थाली के साथ-साथ पारंपरिक दिल्ली स्टाइल भोजन परोसा जाएगा। भोजन बनाने के लिए वही रेसिपी और प्रक्रिया अपनाई गई है, जो दशकों से काके दी हट्टी की पहचान रही है।
उद्घाटन में शामिल लोगों ने रेस्टोरेंट की स्वच्छता, माहौल और सबसे बढ़कर स्वाद को सराहा। उनका कहना है कि फतेहपुर में इस स्तर का पारंपरिक उत्तर भारतीय भोजन उपलब्ध होना वाकई एक स्वागतयोग्य कदम है। रेस्टोरेंट प्रबंधन का दावा है कि फतेहपुर की जनता को अब स्वाद, गुणवत्ता और परंपरा का एक बेहतरीन संगम मिलेगा, जिसके लिए लोगों को दिल्ली जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। काके दी हट्टी “किंग ऑफ नान” के शुभारंभ ने निश्चित ही शहर के खानपान प्रेमियों के लिए नए विकल्प खोले हैं और फतेहपुर में बेहतरीन भोजन संस्कृति को एक नया आयाम देने का काम किया है।

सोमवार, 17 नवंबर 2025

पत्रकारिता केवल खबर नहीं, जनता की आवाज़ बनकर सत्ता को आईना दिखाने की जवाबदेही भी- डॉ० संतोष भारतीय

- वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं पूर्व सांसद डॉ. संतोष भारतीय ने 1990 से अब तक की पत्रकारिता का अनुभव साझा किया

- वरिष्ठ पत्रकार आलोक कुमार त्रिपाठी व राजीव तिवारी (बाबा) ने दिए पत्रकारिता के जरूरी आयाम याद दिलाए। वही, राजीव बाबा ने कराया ‘नवयोग’

- दिवंगत पत्रकार दिलीप सैनी और पूर्व मंत्री स्व. मुन्ना लाल मौर्य को जनपद रत्न (मरणोपरांत) सम्मान, साथ ही शहर के अखबार वितरकों को दिया गया लोक संदेश वाहक प्रहरी सम्मान

फतेहपुर। भारतीय प्रेस दिवस के अवसर पर साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन (सीजेए) द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें देश और प्रदेश के कई वरिष्ठ पत्रकारों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में आधुनिक भारत में मीडिया की भूमिका, उसकी साख, जिम्मेदारी और चुनौतियों पर चर्चा की गई। इस बैनर तले देश में मीडिया को संवैधानिक रूप से लोकतंत्र का चौथा स्तंभ दर्ज करने, पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने सहित पत्रकार एकता की मुख्य रूप से चर्चा हुई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नई दिल्ली से चलकर आए वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और पूर्व सांसद डॉ. संतोष भारतीय शामिल हुए। उन्होंने 1990 के दौर से लेकर आज तक की पत्रकारिता और अपने पत्रकारिता से लेकर सांसद बनने तक के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता केवल खबर लिखने का काम नहीं है, यह जनता की आवाज़ बनकर सत्ता को आईना दिखाने की जवाबदेही भी है। उन्होंने अपने जीवन से जुड़े अनुभव सुनाते हुए युवा पत्रकारों को निष्पक्षता और साहसिक पत्रकारिता की प्रेरणा दी। वहीं लखनऊ से आए उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के कोषाध्यक्ष एवं लखनऊ जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, वरिष्ठ पत्रकार आलोक कुमार त्रिपाठी ने पत्रकारिता के गुर और अपने अनुभवों को साझा किया। वरिष्ठ पत्रकार राजीव तिवारी (बाबा) ने लोगों को नवयोग कराते हुए मानसिक शांति और आत्मबल को पत्रकारिता के लिए जरूरी बताया। राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य आशीष तिवारी ने संगठन की एकता और मजबूती पर जोर दिया। फतेहपुर के वरिष्ठ पत्रकार वसीम अख्तर, शिवशरण बंधु, रमेश चंद्र गुप्ता, विवेक मिश्रा, सरोज पाण्डेय, संदीप केशरवानी, शमशाद खान और प्रभाकर पाण्डेय समेत अन्य पत्रकारों एवं समाजसेवी अजय त्रिपाठी ने भी मीडिया से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात रखी। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाश्वत तिवारी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया और संगठन के उद्देश्यों को बताया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान ने किया। मंच से दिवंगत पत्रकार दिलीप सैनी और पूर्व मंत्री स्व. मुन्ना लाल मौर्य को ‘जनपद रत्न’ सम्मान (मरणोपरांत) दिया गया। जिसके लिए पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल ने सामूहिक रूप से दिवंगत पत्रकार के सम्मान का प्रतीक चिन्ह प्राप्त किया वहीं पूर्व मंत्री स्वर्गीय मुन्ना लाल मौर्य का सम्मान प्रतीक चिन्ह उनकी धर्मपत्नी ऊषा मौर्य (विधायक - हुसैनगंज) ने प्राप्त किया और संगठन का आभार प्रकट किया। इसके अलावा शहर के अखबार वितरकों को ‘लोक संदेश वाहक प्रहरी सम्मान’ से सम्मानित किया गया। इस दौरान कार्यक्रम में उपस्थित सभी पत्रकारों का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
इस दौरान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी, फतेहपुर जिलाध्यक्ष त्रिभुवन सिंह, सैय्यद शारिब क़मर अज़मी, धीर सिंह यादव, अनिल विश्वकर्मा, डॉ जे पी चौहान, प्रदीप कुमार, मेराज अहमद, मोहम्मद अब्बास, महेश चौधरी, संदीप निर्मल, अजय कुमार, अभिमन्यु मौर्या, कृष्ण गोपाल साहू, शैलेन्द्र प्रताप सिंह, इसरार अहमद, पारुल सिंह, गुलाब सिंह यादव, नाजिया परवीन, राकेश साहू सहित जनपद एवं अन्य जनपद के सैकड़ों पत्रकारों ने उपस्थिति दर्ज की।

शनिवार, 1 नवंबर 2025

Exclusive Interview: आँखों की रोशनी और नेत्र स्वास्थ्य पर विशेष बातचीत हर गांव में नेत्र शिविर हो तो अंधत्व पर लगाम लगेगी - डॉ० डी० एस० यादव

- ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही नेत्र बीमारियाँ, मोबाइल और कंप्यूटर का अत्यधिक प्रयोग मुख्य कारण

- सुझाव — साल में एक बार आँखों की जांच अनिवार्य, लक्षण न होने पर भी जरूरी

- संतुलित आहार और प्राकृतिक रोशनी से आँखें रहेंगी स्वस्थ, डॉक्टर की सलाह के बिना न करें कोई दवा प्रयोग
आज के तकनीकी युग में जहाँ मोबाइल, लैपटॉप और स्क्रीन की चमक ने जीवन को सुविधाजनक बना दिया है, वहीं यही रोशनी धीरे-धीरे हमारी आंखों की असली रोशनी को निगल रही है। हर उम्र का व्यक्ति अब किसी न किसी नेत्र समस्या से जूझ रहा है। बच्चों में चश्मे की बढ़ती संख्या, युवाओं में ड्राई आई सिंड्रोम और बुजुर्गों में मोतियाबिंद जैसी बीमारियाँ आम होती जा रही हैं। इन्हीं गंभीर परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए संपादक शीबू खान ने वरिष्ठ नेत्र फिजीशियन एवं पलक आई केयर सेंटर (जीटी रोड, बिजली पावर हाउस के सामने, थरियांव, जनपद - फतेहपुर) के संचालक डॉ. डी. एस. यादव से विशेष बातचीत की। डॉ. यादव ने स्पष्ट कहा कि आंखों की रोशनी बचाने के लिए जागरूकता ही सबसे बड़ा इलाज है। उन्होंने बताया कि नेत्र रोग अब केवल बीमारी नहीं रही, बल्कि यह जीवनशैली की गलती और आधुनिक लापरवाही का परिणाम हैं। ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी के कारण अंधत्व के मामले बढ़ रहे हैं, और समय रहते नियमित जांच ही इससे बचाव का सबसे बड़ा उपाय है। प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंश - 

शीबू खान: डॉक्टर साहब, हाल ही में आपने ग्रामीण क्षेत्र में नेत्र शिविर का आयोजन किया, जहाँ सैकड़ों लोगों ने अपनी आँखों की जांच कराई। आप बताएं — आज के समय में लोगों में नेत्र रोग कितने सामान्य हो गए हैं?

डॉ. डी. एस. यादव: जी, आज के समय में आंखों की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। खास तौर पर मोबाइल और कंप्यूटर के लगातार इस्तेमाल, धूल-मिट्टी, और पौष्टिक भोजन की कमी के कारण लोगों में नेत्र संबंधी समस्याएं आम हो गई हैं। ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी के कारण लोग देर से इलाज कराते हैं।

शीबू खान: आपके अनुभव में सबसे आम नेत्र रोग कौन-कौन से हैं?

डॉ. डी. एस. यादव: सबसे ज्यादा केस मोतियाबिंद, रेटिना की कमजोरी, आँखों में एलर्जी, सूखापन (Dry Eye) और नंबर बढ़ने के आते हैं। कई लोग चश्मा लगाने से हिचकिचाते हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।

शीबू खान: बच्चों में भी अब चश्मे के केस बढ़ रहे हैं। इसका मुख्य कारण क्या है?

डॉ. डी. एस. यादव: बिल्कुल। बच्चों में चश्मा लगने की बड़ी वजह स्क्रीन टाइम है — टीवी, मोबाइल, टैबलेट का ज्यादा इस्तेमाल। बाहर खेलने और धूप में समय बिताने की आदत लगभग खत्म हो गई है। आँखों को प्राकृतिक रोशनी भी चाहिए होती है, जो अब बच्चों को बहुत कम मिल रही है।

शीबू खान: क्या नियमित आंख जांच करवाना जरूरी है? बहुत लोग सोचते हैं कि जब तक परेशानी न हो, तब तक डॉक्टर के पास न जाएं।

डॉ. डी. एस. यादव: यह एक बड़ी गलती है। आंखों की जांच साल में कम से कम एक बार करवाना चाहिए, भले कोई समस्या न हो। बहुत सी बीमारियाँ शुरुआत में बिना लक्षण के होती हैं — जैसे ग्लूकोमा (काला मोतिया), जो देर से पकड़ में आती हैं।

शीबू खान: आपने हाल ही में 350 लोगों की जांच की और 100 मरीजों को चश्मा तथा 220 को दवा दी। क्या आपको लगता है कि ग्रामीण इलाकों में ऐसे नेत्र शिविरों की संख्या बढ़नी चाहिए?

डॉ. डी. एस. यादव: बिल्कुल। गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। शिविर लोगों को न सिर्फ उपचार बल्कि जागरूकता भी देते हैं। अगर सरकारी और सामाजिक संस्थाएं मिलकर हर महीने एक शिविर लगाएं, तो बहुत बड़ा फर्क आ सकता है।

शीबू खान: आंखों की सेहत बनाए रखने के लिए आम लोगों को आप क्या सुझाव देना चाहेंगे?

डॉ. डी. एस. यादव: मोबाइल या कंप्यूटर इस्तेमाल करते समय हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड तक दूर देखें। संतुलित आहार लें, हरी सब्जियां और विटामिन-ए युक्त भोजन करें।
तेज धूप या धूल में सनग्लास पहनें। आंखों में कोई दवा डॉक्टर की सलाह के बिना न डालें। साल में एक बार आंखों की जांच जरूर कराएं। 

शीबू खान: बहुत उपयोगी जानकारी दी आपने डॉक्टर साहब, आपका बहुत धन्यवाद।

डॉ. डी. एस. यादव: धन्यवाद, और मैं भी मीडिया से अपील करता हूँ कि नेत्र स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने में सहयोग करें।

फतेहपुर में बढ़ा सियासी बवाल: दिवंगत लेखपाल सुधीर के घर पहुँचे अखिलेश यादव, बोले—“दोषियों को बचने नहीं दूंगा”

- अखिलेश यादव ने परिजनों को दिया मदद, सरकार से उठाई कई मांग - एसआईआर के बढ़ते मामलों पर उग्र दिखे सपा सुप्रीमो, कहा संसद में उठाएंगे मुद्दा ...