रविवार, 14 सितंबर 2025

विशेष साक्षात्कार: होम्योपैथी चिकित्साधिकारी डॉ. स्वाति मिश्रा से संपादक शीबू खान की वार्तालाप होम्योपैथी धैर्य, विश्वास और सही परामर्श की चिकित्सा पद्धति: डॉ. स्वाति मिश्रा

- जानें महिला चिकित्साधिकारी होने के नाते उनकी भूमिका और अनुभव

- समझें ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियां

- विचारें भविष्य में होम्योपैथी की संभावनाएं

आज हमारे साथ खास बातचीत में जुड़ रही हैं डॉ. स्वाति मिश्रा, जो राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय सुल्तानपुर घोष, जनपद फतेहपुर में बतौर प्रभारी चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात हैं। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को लेकर लोगों में लगातार बढ़ती जागरूकता, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियां और भविष्य की संभावनाओं पर करेंगे उनसे खुलकर चर्चा। पढ़िए हमारे संपादक शीबू खान से हुई डॉ. स्वाति मिश्रा से बातचीत के कुछ अंश -

शीबू खान: डॉ. स्वाति मिश्रा जी, सबसे पहले आप हमें अपने पृष्ठभूमि और चिकित्सा क्षेत्र में आने की प्रेरणा के बारे में बताइए।

उत्तर: मैं बचपन से ही लोगों की सेवा करने और समाज में कुछ सकारात्मक योगदान देने की इच्छा रखती थी। होम्योपैथी मुझे इसलिए पसंद आई क्योंकि यह प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है, इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते और मरीजों को लंबे समय तक स्थायी राहत देती है। यही वजह रही कि मैंने इस क्षेत्र को चुना।

शीबू खान: राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय, सुल्तानपुर घोष में आपकी तैनाती के बाद स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया कैसी रही?

उत्तर: यहां के लोग बहुत सहयोगी और संवेदनशील हैं। शुरुआत में लोगों को विश्वास दिलाना जरूरी था कि होम्योपैथी उनके लिए प्रभावी हो सकती है। अब धीरे-धीरे मरीजों का भरोसा बढ़ रहा है और नियमित रूप से यहां आकर उपचार करा रहे हैं।

शीबू खान: आपके अनुसार ग्रामीण इलाकों में होम्योपैथी की कितनी संभावनाएं हैं?

उत्तर: बहुत ज्यादा। ग्रामीण इलाकों में लोगों की आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को देखते हुए होम्योपैथी बेहतर विकल्प बन सकती है। यह सस्ती है, सुरक्षित है और आसानी से उपलब्ध कराई जा सकती है।

शीबू खान: होम्योपैथी को लेकर आम जनता में कौन-कौन सी गलत धारणाएं हैं?

उत्तर: सबसे बड़ी धारणा यह है कि होम्योपैथी बहुत धीमे असर करती है। जबकि यह पूरी तरह सही नहीं है। कई बीमारियों में तुरंत असर देखने को मिलता है, खासकर एलर्जी, सर्दी-जुकाम, त्वचा रोग और बच्चों की बीमारियों में। दूसरी गलतफहमी यह है कि इसमें वैज्ञानिक आधार नहीं है, जबकि आज कई शोध यह साबित कर रहे हैं कि होम्योपैथी का असर वास्तविक और दीर्घकालिक है।

शीबू खान: आपके चिकित्सालय में किस प्रकार के मरीज अधिक आते हैं?

उत्तर: यहां सबसे ज्यादा मरीज गैस्ट्रिक समस्याओं, त्वचा रोगों, गठिया, एलर्जी और बच्चों की सामान्य बीमारियों के साथ आते हैं। महिलाएं भी अपने स्त्री रोग संबंधी समस्याओं के लिए परामर्श लेती हैं।

शीबू खान: आपने अब तक के अपने कार्यकाल में कौन-सा अनुभव सबसे यादगार पाया?

उत्तर: मेरे लिए हर मरीज की मुस्कान और उसका विश्वास सबसे बड़ा पुरस्कार है। खासकर तब, जब कोई पुरानी बीमारी से परेशान मरीज धीरे-धीरे पूरी तरह स्वस्थ होकर कहता है कि "मैडम, अब मुझे दवा की जरूरत नहीं पड़ती", तो वह क्षण बेहद यादगार बन जाता है।
यादगार में कहें तो एक महिला जोकि 10 साल से इन्फर्टिलिटी का ट्रीटमेंट करा रही थी पर उसे सफलता नहीं मिल रही थी।बहुत हताश हो गई थी। किसी ने उसे हमारे चिकित्सालय के बारे में बताया। यहां उसने मात्र 3 महीने इलाज कराया फिर उसके बाद उसकी प्रेग्नेंसी हो गई वो बहुत खुश थी। इसी तरह के कई केसेज आते हैं जो आम जनमानस में होम्योपैथी के प्रति विश्वास और गहरा करते हैं।

शीबू खान: भविष्य के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?

उत्तर: मैं चाहती हूं कि होम्योपैथी को और ज्यादा वैज्ञानिक तरीके से प्रचारित-प्रसारित किया जाए। मेरा लक्ष्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर लगाकर अधिक से अधिक लोगों तक मुफ्त उपचार पहुंचाऊं। साथ ही, युवाओं को जागरूक करूं कि वे प्राकृतिक और सुरक्षित चिकित्सा पद्धतियों को अपनाएं।

शीबू खान: होम्योपैथी को लेकर आप क्या संदेश देना चाहती हैं?

उत्तर: “होम्योपैथी धैर्य, विश्वास और सही परामर्श की चिकित्सा पद्धति है। अगर लोग इसे समझकर अपनाएं तो बिना साइड इफेक्ट के बेहतर स्वास्थ्य पा सकते हैं।”

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