गुरुवार, 11 सितंबर 2025

विशेष साक्षात्कार: फतेहपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता जावेद खान से शीबू खान की वार्तालापन्याय होना ही नहीं चाहिए बल्कि न्याय होता हुआ दिखना भी चाहिए, अब सिर्फ कहावत - जावेद खान

- एक गरीब महिला के लड़के के अपरहण में अपराधी को जेल कराना जिससे संतुष्टि मिली 

- वकील ने माना – अपराध से जुड़े केस लड़ते वक्त दबाव और धमकियों का सामना करना पड़ता है

- संदेश - कानून का सम्मान करें, क्लाइंट को सच्ची सलाह दें, शॉर्टकट न अपनाएं

फतेहपुर जनपद में अपराध से जुड़े मामलों में न्याय दिलाने का काम आसान नहीं होता। यहां अपराध की जड़ें गहरी हैं और कानूनी लड़ाई लंबी व पेचीदा। लेकिन कुछ वकील अपनी समझ, अनुभव और हिम्मत से न केवल अपराधियों को सजा दिलाते हैं बल्कि कई बेगुनाहों को भी जेल से बाहर निकलवाने का साहसिक काम कर चुके हैं। ऐसे ही फतेहपुर जिले के टॉप क्रिमिनल वकील जावेद खान जो फतेहपुर के मशहूर वकील रहे मरहूम शफीकुल गफ्फार के शागिर्द रहते हुए वकालत में अपनी अलग महारत पाई है। अब मरहूम शफीकुल गफ्फार के न रहने पर उनके बस्ते का समूचा संचालन अपनी एक मजबूत टीम के साथ विधिक कार्य देखते हुए अपने काम को एडवोकेट जावेद खान बखूबी अंजाम दे रहे हैं।
उनके सक्रिय विधिक कार्यों को देखते हुए प्रधान संपादक शीबू खान से हुई एडवोकेट जावेद खान से खास बातचीत के प्रमुख अंश—

शीबू खान: आपको क्रिमिनल लॉ में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

जावेद खान: बचपन से ही मुझे न्याय व्यवस्था और कोर्ट के कामकाज में दिलचस्पी थी। मैंने देखा कि अक्सर गरीब लोग झूठे मुकदमों में फंसा दिए जाते हैं या गरीब लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है या यूं कहें कि गरीबों के मामले में अमीर या रसूखदार लोग बच जाते हैं। मुझे लगा कि अगर मैं इस क्षेत्र में आऊं तो उन लोगों को न्याय दिलाने में मदद कर पाऊंगा। यही सोचकर क्रिमिनल लॉ को चुना।

शीबू खान: फतेहपुर जिले में किस तरह के क्रिमिनल केस ज्यादा आते हैं?

जावेद खान: यहां सबसे ज्यादा केस जमीनी विवाद से आपराधिक मामले, मारपीट, दहेज प्रथा से जुड़े अपराध, घरेलू हिंसा, हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर मामलों के आते हैं। इसके अलावा चुनावी समय में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण भी कई आपराधिक मुकदमे दर्ज होते हैं।

शीबू खान: क्रिमिनल केस लड़ते समय सबसे बड़ी चुनौती क्या होती है?

जावेद खान: सबसे बड़ी चुनौती है सच्चाई तक पहुंचना। गवाह अक्सर दबाव में मुकर जाते हैं, पुलिसिया जांच में भी कई बार खामियां रह जाती हैं। ऐसे में हमें अपने अनुभव और तथ्यों के आधार पर अदालत को यकीन दिलाना होता है।
इंग्लैंड के पूर्व चीफ जस्टिस लॉर्ड हेवर्ड ने 1924 में एक केस की सुनवाई करते हुए कहा था कि न्याय होना ही नहीं चाहिए बल्कि न्याय होता हुआ दिखना भी चाहिए लेकिन आज न्यायिक प्रणाली में ऐसा नहीं हो रहा है जो महज एक कहावत ही बनकर रह गई है।

शीबू खान: आपके हिसाब से न्याय होना और न्याय होते दिखना कैसे माना जाए?

जावेद खान: किसी भी प्रकरण में त्वरित एफआईआर हो, निष्पक्ष और प्रभावी विवेचना (अन्वेषण) हो, शीघ्र विचारण (ट्रायल) हो और विशेषकर महिलाओं एवं बच्चों संबंधी मामलों में तेजी से सुनवाई एवं निस्तारण हो और सबसे बड़ी बात कानून का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ पुलिस एवं न्यायालय के स्तर से सख्त कार्रवाई होना चाहिए। ऐसा होने से ही "न्याय होना ही नहीं चाहिए बल्कि न्याय होता हुआ दिखना भी चाहिए" जैसे कथन चरितार्थ होता दिखाई देगा।

शीबू खान: आपके करियर का कोई ऐसा केस जिसे आप भूल नहीं सकते?

जावेद खान: एक गरीब महिला के लड़के का अपहरण किया गया था और आज तक उस लड़के का पता नहीं चला है जोकि इस बात को तकरीबन 10 साल हो गए हैं और इस आधार पर शायद अपराधियों ने उस लड़के की हत्या कर दी हो, उस केस के अभियोजन की ओर से सही और मजबूत पैरवी न हो पाने से उस महिला को न्याय नहीं मिल पा रहा था चूंकि महिला बहुत गरीब थी जिसकी गरीबी का ये आलम था कि वो डॉक्यूमेंट्स चार्ज भी नहीं दे सकती थी। इस केस में मेरे द्वारा उस महिला को मानसिक और आर्थिक सहयोग करते हुए उस केस के सारे खर्चे मैंने स्वयं अपने पास से भरते हुए मजबूत पैरवी करके उस केस में अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा कराई। इस सजा से मुझे बहुत तसल्ली हुई लेकिन उसका लड़का नहीं मिल सका जिसका दुःख भी है।

शीबू खान: क्या आपको कभी दबाव या धमकी का सामना करना पड़ा है?

जावेद खान: जी हां, कई बार हुआ है। अपराध से जुड़े केसों में अक्सर दबंग और प्रभावशाली लोग शामिल होते हैं। लेकिन अगर आप सच्चाई और कानून के साथ खड़े हैं, तो डरने की जरूरत नहीं है। मैं मानता हूं कि वकील का धर्म है बिना झुके न्याय दिलाना।

शीबू खान: नए वकीलों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

जावेद खान: मैं यही कहूंगा कि मेहनत और ईमानदारी से केस की तैयारी करें। शॉर्टकट लेने से कभी वकालत में सफलता नहीं मिलती। अदालत का सम्मान करें, क्लाइंट को सच्ची सलाह दें और न्याय को सर्वोच्च मानें।



परिचय

नाम - एडवोकेट जावेद खान 
पिता का नाम - निजामुद्दीन खान (सेवानिवृत्त पुलिस उप निरीक्षक, उत्तर प्रदेश पुलिस)
शैक्षिक योग्यता - MA (इंग्लिश), LLB (पीपीएन कॉलेज कानपुर, संबद्ध छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय)
जन्मतिथि - 15 जुलाई, 1984
पैतृक स्थान - मदोकीपुर, थाना - कल्याणपुर (फतेहपुर)
वर्तमान पता - पीरनपुर, फतेहपुर
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में पंजीकरण - 2009
विधिक व्यवसायिक गुरु - मरहूम शफीकुल गफ्फार, वरिष्ठ अधिवक्ता

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