गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025
विशेष साक्षात्कार: महाप्रभु जगन्नाथ का मंदिर फतेहपुर की नई पहचान बनेगा — संतोष तिवारी
बुधवार, 15 अक्टूबर 2025
सीजेए की मासिक बैठक सम्पन्न, पत्रकार एवं पत्रकारिता पर हुआ चिंतन
Exclusive Interview: सुरक्षित दीपावली ही खुशहाल दीपावली है - जसवीर सिंह, सीएफओ
शनिवार, 11 अक्टूबर 2025
साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने किया रेजांग ला रज कलश यात्रा का स्वागत
फतेहपुर। शुक्रवार को फतेहपुर शहर में अमर शहीदों की स्मृति में निकाली गई रेजांग ला रज कलश यात्रा का स्वागत पत्रकारों एवं कलमकारों का शीर्ष संगठन साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से भी किया गया। इस दौरान देशभक्ति का अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिला, जब संगठन के पदाधिकारियों ने यात्रा में शामिल वीर सैनिकों का माल्यार्पण कर उनका अभिनंदन किया तथा शहीदों की रज कलश को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान, प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी एवं फतेहपुर जिलाध्यक्ष त्रिभुवन सिंह तथा जिला सचिव धीर सिंह यादव ने संयुक्त रूप से कहा कि रेजांग ला के शहीद केवल भारतीय सेना के नहीं, बल्कि पूरे देश के गौरव हैं। उनके बलिदान ने भारत की सीमाओं को नहीं, बल्कि देशवासियों के आत्मसम्मान को सुरक्षित रखा है। वहीं संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि रेजांग ला युद्ध भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है, जहाँ 120 भारतीय जवानों ने पाँच हजार चीनी सैनिकों के मुकाबले लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। ऐसी यात्रा हमें अपने शहीदों के त्याग को याद रखने और नई पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति की भावना जगाने का संदेश देती है।
बुधवार, 8 अक्टूबर 2025
अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेलने की कोशिश जारी, सपा ही दे सकती है सबको सम्मान - सलमान
मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025
मानवता की मिसाल बने "विश्वास स्वरूप", पत्रकार के इलाज के लिए बढ़ाया मदद का हाथ
लखनऊ। समाजसेवा और जनहित के कार्यों में निरंतर सक्रिय रहने वाले उत्तर प्रदेश के प्रख्यात उद्योगपति विश्वास स्वरूप अग्रवाल, हमेशा अपने कर्मों से यह साबित करते हैं कि संवेदना और सेवा ही सच्चे विकास का आधार हैं।
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विश्वास स्वरूप अग्रवाल का मानना है- “समाज को लौटाना ही सफलता का सबसे बड़ा पुरस्कार है। जब तक दूसरों के चेहरे पर मुस्कान नहीं लाते, तब तक अपनी सफलता अधूरी है।”
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हाल ही में उन्होंने छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार पाण्डेय के कैंसर उपचार के लिए ₹4 लाख की तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की। उनके इस सहयोग से वाराणसी स्थित टाटा इंस्टीट्यूट में अजय का सफल ऑपरेशन संभव हो सका। यह केवल मदद नहीं, बल्कि मानवता के प्रति उनके समर्पण की मिसाल है।
विश्वास स्वरूप अग्रवाल पिछले कई वर्षों से समाज के हर वर्ग के लिए विकास और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देते आ रहे हैं। लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल के आग्रह पर उन्होंने ₹35 लाख की लागत से 05 पार्कों में ओपन जिम स्थापित कराए, जिससे बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में फिटनेस और स्वास्थ्य के प्रति नई जागरूकता आई है।
इसके पहले उन्होंने केजीएमयू के ब्लड बैंक के लिए ₹70 लाख की सहायता दी थी, जिससे गंभीर मरीजों को रक्त उपलब्ध कराने में काफी मदद मिली।
अयोध्या धाम के मिल्कीपुर क्षेत्र में उन्होंने ₹8 लाख की लागत से 25 सोलर लाइटें लगवाईं, जिससे अब वहां की गलियां रोशनी से जगमगा रही हैं और अंधेरे में होने वाले अपराधों पर भी रोक लगी है।
इसी क्रम में हाल ही में उन्होंने लोकबंधु हॉस्पिटल (एलडीए कॉलोनी, लखनऊ) को इको 2डी मशीन हेतु ₹10 लाख की सहायता दी है। अब हृदय रोगियों को जांच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
उनके ये कार्य साबित करते हैं कि जब संवेदनशील नेतृत्व और सामाजिक प्रतिबद्धता एक साथ चलते हैं, तब एक बेहतर समाज की दिशा में ठोस कदम उठते हैं।
पीराने पीर दस्तगीर गौस पाक की ग्यारवीं शरीफ पर लोगों ने किया याद
- जगह-जगह हुई फातिहा, लगे या गौस अलमदद के नारे
फतेहपुर। शनिवार को जिलेभर में हज़रत पीराने पीर दस्तगीर गौस-ए-आज़म (गौस पाक) रहमतुल्लाह अलैह की याद में ग्यारवीं शरीफ का आयोजन अकीदत और एहतराम के साथ मनाया गया। इस दौरान जगह-जगह फातिहा, कुरानख्वानी और दुआ-खैर की गई।
इसी कड़ी में खागा तहसील क्षेत्र के सुल्तानपुर घोष गांव में भी बड़ी संख्या में अकीदतमंद एकत्र हुए। इस मौके पर मस्जिद के इमाम क़ारी बिलाल नूरी ने तिलावत-ए-कुरान कराई और बड़े पीर गौस पाक के जीवन और उनके करामात पर तकरीर किया तो उपस्थित लोगों ने गौस पाक की बारगाह में हाजिरी व सलाम पेश करते हुए मुल्क में अमन, चैन, भाईचारा, सलामती और तरक्की की दुआ मांगी।
वहीं सुल्तानपुर घोष गांव में मोहम्मद जुबैर के साहबजादे (बेटे) मोहम्मद उज़ैर के ग्यारहवीं के अवसर पर छल्ले उतरने पर कार्यक्रम आयोजित हुआ जहां फातिहा के बाद लोगों को खाना खिलाया गया तथा जरूरतमंदों में खाना तकसीम भी किया गया। इस दौरान माहौल पूरी तरह रूहानी और भाईचारे से सराबोर नजर आया। अकीदतमंदों ने कहा कि गौस पाक की ग्यारवीं शरीफ हमें इंसानियत, इल्म और मोहब्बत के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है। वहीं सभी घरों में भी बड़े पीर गौस पाक की याद में मीठे व खाना आदि पर फ़ातिहा दिलाया गया है।
गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025
2 अक्टूबर : गांधी और शास्त्री की विचारधारा आज भी प्रासंगिक
-"दो महापुरुष, दो विचारधाराएँ, एक ही संदेश – राष्ट्र सर्वोपरि"
भारत का इतिहास 2 अक्टूबर के बिना अधूरा है। यह वह दिन है जब राष्ट्र को दो ऐसे महापुरुष मिले जिन्होंने अपने जीवन, संघर्ष और विचारों से देश ही नहीं, पूरी दुनिया को नई दिशा दी – महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री। गांधी जी को "राष्ट्रपिता" के रूप में और शास्त्री जी को "जननायक" के रूप में याद किया जाता है। दोनों की विचारधाराएँ भले ही अलग-अलग परिस्थितियों में विकसित हुईं, लेकिन उनका मूल सार एक ही था – जनकल्याण, सादगी और राष्ट्रहित।
दोनों महानुभावों को उनकी जयंती पर शत शत नमन!!!
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गांधी जी की विचारधारा : सत्य और अहिंसा का मार्ग
महात्मा गांधी का पूरा जीवन सत्य और अहिंसा की प्रयोगशाला रहा। उनके विचारों का मूल यह था कि सत्य ही ईश्वर है और अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म। गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन को हथियारों की जगह नैतिक बल से आगे बढ़ाया। उनका मानना था कि किसी भी समस्या का स्थायी समाधान हिंसा से नहीं, बल्कि संवाद, सत्य और धैर्य से निकल सकता है। ग्राम स्वराज की उनकी परिकल्पना आज भी आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला है। स्वदेशी, स्वच्छता, आत्मनिर्भरता और सेवा-भाव जैसे उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
गांधी जी की विचारधारा हमें यह सिखाती है कि राजनीति में नैतिकता होनी चाहिए और जीवन में सरलता।
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शास्त्री जी की विचारधारा : सादगी और राष्ट्र प्रथम
लाल बहादुर शास्त्री, जिन्हें गांधी जी की विचारधारा का सच्चा अनुयायी माना जाता है, ने स्वतंत्र भारत को सादगी और ईमानदारी का आदर्श दिया। वे मानते थे कि राष्ट्र निर्माण के लिए अनुशासन और परिश्रम आवश्यक है।
उनका नारा "जय जवान, जय किसान" केवल शब्द नहीं, बल्कि भारतीय समाज की रीढ़ – सैनिक और किसान – को सम्मान देने का विचार था। शास्त्री जी ने दिखाया कि सच्चा नेतृत्व पद या विलासिता में नहीं, बल्कि त्याग और सेवा में है। 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय उन्होंने देशवासियों को धैर्य और साहस से एकजुट किया और विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास से भरे रहे।
उनकी विचारधारा हमें यह सिखाती है कि सरकार का हर कदम जनता के कल्याण के लिए होना चाहिए, न कि सत्ता के सुख के लिए।
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समानता और अंतर
गांधी जी और शास्त्री जी की विचारधाराएँ समय और परिस्थिति अनुसार विकसित हुईं। गांधी जी ने विदेशी शासन से मुक्ति के लिए सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया, वहीं शास्त्री जी ने स्वतंत्र भारत को आत्मनिर्भरता, कृषि और सुरक्षा की दिशा दी।
लेकिन दोनों की जीवन शैली सादगीपूर्ण, राजनीति में नैतिकता और जनता के प्रति उत्तरदायित्व पर आधारित थी। दोनों ने यह संदेश दिया कि नेता वह है जो जनता के बीच से उठे और जनता के लिए जिए।
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आज के संदर्भ में प्रासंगिकता
आज जब समाज भौतिकवाद, हिंसा, भ्रष्टाचार और लालच से जूझ रहा है, गांधी और शास्त्री जी की विचारधाराएँ हमें नई दिशा देती हैं।
गांधी जी का "सत्य और अहिंसा" हमें सामाजिक सौहार्द और वैश्विक शांति की राह दिखाता है।
शास्त्री जी का "जय जवान, जय किसान" हमें याद दिलाता है कि राष्ट्र की मजबूती खेत और सीमा पर खड़े लोगों से है।
दोनों की सादगी हमें यह प्रेरणा देती है कि वास्तविक महानता विलासिता में नहीं, बल्कि जनसेवा और नैतिकता में है।
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निष्कर्ष
2 अक्टूबर केवल दो महापुरुषों की जयंती का दिन नहीं, बल्कि यह हमें आत्मनिरीक्षण का अवसर देता है। गांधी और शास्त्री जी की विचारधाराएँ आज भी हमारे लिए मार्गदर्शक हैं। यदि हम उनके सिद्धांतों को जीवन और राजनीति में उतार सकें, तो न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया एक बेहतर और शांतिपूर्ण स्थान बन सकती है।
इस प्रकार 2 अक्टूबर हमें हमेशा यह संदेश देता है –
“सत्य, अहिंसा, सादगी और परिश्रम ही वास्तविक शक्ति है।”
शीबू खान
(राष्ट्रीय महासचिव - साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन)
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