मंगलवार, 29 जुलाई 2025

प्लेसमेंट शिविर व करियर काउंसलिंग का आयोजन कल

फतेहपुर। जिला सेवायोजन अधिकारी फतेहपुर ने बताया कि दिनांक 30 जुलाई, 2025 को कार्यालय परिसर में प्रातः 11:00 बजे प्लेसमेन्ट शिविर व करियर काउन्सिलिंग कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। प्लेसमेन्ट शिविर में प्रतिभाग करने हेतु अभ्यर्थी को रोजगार संगम पोर्टल rojgaarsangam.up.gov.in पर पंजीयन कराना है। प्लेसमेन्ट शिविर में बी.के.टी. टायर्स अहमदाबाद द्वारा हाईस्कूल/इंटर/आई टी आई/ डिप्लोमा / स्नातक उर्तीण 18 से 35 वर्ष के पुरूष अभ्यर्थियों का वेतनमान रू15000 से 19000 प्रतिमाह, शक्तिमान एग्रो इंडस्ट्रीज, राजकोट द्वारा हाईस्कूल/इंटर/आई टी आई / डिप्लोमा / स्नातक उर्तीण, 18 से 30 वर्ष के पुरुष अभ्यर्थियों का वेतनमान रू17000 प्रतिमाह, पुखराज हेल्थकेयर प्रा.लि., कानपुर द्वारा इंटरमीडिएट उर्तीण, 18 से 25 वर्ष के पुरूष, महिला वेतन प्रति माह रू 8500 व अन्य तथा भारतीय जीवन बीमा निगम, फतेहपुर द्वारा बीमा सखी हेतु हाईस्कूल उर्तीण 18 से 45 वर्ष की महिला वेतन प्रति माह रू 9000 व अन्य सुविधाओं के लिये चयन सम्बन्धी कार्यवाही की जायेगी। इच्छुक अभ्यर्थी अधिक जानकारी कार्यालय के दूरभाष संख्या 05180 - 298602 पर प्राप्त कर सकते हैं।


रविवार, 27 जुलाई 2025

मुहर्रम के बीसवां का हुआ आयोजन, अंजुमनों ने नौहा पढ़ मातम किया

- करबला के शहीदों को दिया गया पुरसा 

फतेहपुर। करबला के 72 शहीदों की याद में मुहर्रम माह के बीसवां का आयोजन सुल्तानपुर घोष थाना क्षेत्र के उमरपुर गौती (काजीपुर) एवं हथगाम थाना क्षेत्र के बंदीपुर गांव में अकीदत के साथ मनाया गया है। इस दौरान करबला के शहीदों को अकीदतमंदों ने पुरसा दिया है।
बताते चलें कि इस्लाम धर्म के पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एवं उनके 71 अन्य साथियों को करबला के मैदान में हक़ और बातिल की लड़ाई में यजीदी सेना की जुल्म और बर्बरता के साथ कत्ल किया गया था। इस घटना के बाद इस्लाम का बोलबाला हुआ और यजीदी जंग जीतकर भी परास्त हो गए थे जबकि हुसैनियों ने अल्लाह की राह में कत्ल होकर इस्लाम का बोलबाला और डंका बजा दिया। इसी करबला के वाक्या के बाद से ही मुहर्रम माह में इमाम हुसैन और अहले बैत के साथ ही करबला के शहीदों की याद में मुस्लिम (सिया और सुन्नी दोनों समुदाय) बीते चौदह सौ वर्षों से ग़मे हुसैन मनाते आ रहे हैं। इसी कड़ी में खागा तहसील क्षेत्रांतर्गत शनिवार की देर रात काजीपुर और बंदीपुर में बीसवां का आयोजन किया गया। जहां दोनों जगह इलाकाई अंजुमनों के साथ ही अन्य जिले की अंजुमनों ने हिस्सा लेते हुए मातम और नौहा पेश करते हुए शहीदों को पुरसा दिया गया है।
इस दौरान बंदीपुर में साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान जबकि काजीपुर में साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने शिरकत करते हुए मुहर्रम कमेटी के साथ ही आई हुई अंजुमनों का हौसला अफजाई किया है। लोगों ने कहा कि मुहर्रम का पैगाम हक़ और बातिल से था जहां लोगों को इस्लाम के पैगाम को कुचलने का कुचक्र यजीद ने रचा था लेकिन इस्लाम को बचाने के लिए इमाम हुसैन ने अपने घर और कुनबे को अल्लाह की राह में कत्ल कराकर इस्लाम का बोलबाला कर दिया और इस्लाम को बचा लिया।

सोमवार, 21 जुलाई 2025

इमाम ज़ैनुल आब्दीन की शहादत पर निकला ताबूत, लब्बैक या हुसैन से गुलज़ार रहा मंडवा सादात

- अंजुमने अब्बासिया बांदा ने पेश किए नौहे व मातम, अश्कबार रही हर आंखें

फतेहपुर। करबला में इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके बेटे इमाम ज़ैनुल आब्दीन की शहादत पर पुरसा देने के लिए अकीदतमंदों ने खागा तहसील क्षेत्र के मंडवा सादात गांव में मजलिस कराकर उनकी याद में ताबूत निकालकर देर रात तक नौहाखानी और मातमजनी का कार्यक्रम चलता रहा, इस दौरान लंगर और सबील का दौर चलता रहा है।


बताते चलें कि रविवार को इस्लाम धर्म के पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की करबला में हुई शहादत के बाद उनके बीमार बेटे ज़ैनूल आब्दीन जिनको बीमारे आबिद भी कहा जाता है, वो लुटा काफिला लेकर मदीने पहुंचे जहां सबसे पहले उन्होंने अपने नबी की चौखट पहुंचकर रो - रोकर करबला की दास्तान सुनाई। इसी तरह से आगे चलकर 20 मुहर्रम को उनका विशाल (मौत) हुई जिसको उनके मानने वाले हर 20 मुहर्रम को उनकी याद में ताबूत और जुलूस निकालते हैं। इसी कड़ी में मंडवा सादात गांव में बीते एक दशक से ज्यादा से इमाम ज़ैनुल आब्दीन की शहादत पर मजलिस, जुलूस और नौहा ख्वानी एवं मातमजनी का कार्यक्रम होता आ रहा है।
कार्यक्रम की शुरुआत मजलिस से हुई। मजलिस को मौलाना जावेद काज़मी लखनवी ने खिताब किया। उसके बाद ताबूत के साथ जुलूसे हुसैनी निकाला गया। इस दौरान पूरा गांव लब्बैक या हुसैन की सदाओं से गूंजता रहा। उसके बाद नौहा ख्वानी एवं मातमजनी का दौर शुरू हुआ। इस दौरान अंजुमने अब्बासिया बांदा के साथ अंजुमन नूरी हैबतपुर, अंजुमने नवाबिया काजीपुर, अंजुमने हुसैनिया मंडवा सादात के साथ ही अंजुमने अब्बासिया निजाम का पुरवा (कौशाम्बी) ने अपनी पेशकश। खासकर बांदा से आई अंजुमन ने पूरे माहौल को हुसैनी रंग में रंग दिया। नौहाख्वानों ने इमाम हुसैन की बहन बीबी ज़ैनब की दास्तान और उनकी गुहार को नौहा की शक्ल में पेश किया लोगों के आंखों से अश्क बहते रहे। वहीं नौहा ख्वानों में मुख्य किरदार निभाने वाले शमशुल हसन रिज़वी (छोटू बांदवी) ने लोगों का मन मोह लिया। इसके अलावा निजाम का पुरवा से नौहा पढ़ने वाले अरशद नक़वी, आशु और राहिब के अलावा हैबतपुर के नौहाखान शाहिद ने शानदार पेशकश की। इस दौरान पत्रकारों के शीर्ष संगठन साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन (सीजेए) के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने भी मंच पर उपस्थित होकर मातम करते हुए नौहा ख्वानों की खूब हौसला अफजाई की। वहीं उनके साथ साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान तथा खागा तहसील कोषाध्यक्ष एवं बहेरा सादात के पूर्व प्रधान ताज आब्दी ने भी अंजुमन का हौसला बढ़ाया है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से अहमद रज़ा (अल्लन), सफदर हुसैन, गालिब रज़ा, रज़ा अब्बास, हैदर अब्बास, मुख़्तार अस्करी (प्रधानाचार्य), इमरान हैदर सहित कई जिम्मेदारों ने अहम भूमिका निभाई है।

रविवार, 20 जुलाई 2025

तमंचे की नोक से हुई लूट काण्ड में ग्यारहवें दिन बाद भी पुलिस के हांथ खाली

फतेहपुर। ख़खरेडू थाना क्षेत्र के कनपुरवा नहर के पास बीते दिनों नामजद सहित अज्ञात बदमाशों ने बाइक सवार को नगदी सहित लूटकर फरार हो गए वही स्थानीय पुलिस ने दो टीमों को लगाकर अन्य जनपदों बांदा, चित्रकूट व प्रयागराज जिले में छापेमारी कर रही है। 
खखरेड़ू थाना क्षेत्र के सोथरापुर गांव निवासी राघवेंद्र राज सिंह के साथ 9 जुलाई दिन बुधवार को कनपुरवा नहर पुलिया के पास अवैध असलहे के दम पर मोबाइल छीनकर यूपी आई आईडी पासवर्ड लेकर दो अलग-अलग खातों में 73800 रुपए लुटेरों ने ट्रांसफर कर लिया था। भोपाल के एसबीआई बैंक खाता धारक कन्हैया के खाते में सत्तर हजार व झारखंड के केनरा बैंक खाता धारक अक्षय के खाते में अड़तीस सौ रुपया मारपीट यूपीआईडी पासवर्ड लेकर ट्रांसफर कर दिया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक आरोपी के पिता को पुलिस ने हिरासत में लिया तो पिता ने कई राज खोले जिसे जल्द ही पुलिस आरोपियों के पास पहुंच सकती है पुलिस को पूछताछ में उसने कई नाम बताए जो खखरेरू कस्बा के बताए जा रहे हैं। वहीं पीड़ित राघवेंद्र राज सिंह ने बताया कि एक लुटेरों को पहचान कर पुलिस को फोटो दिया लेकिन पुलिस के अब तक हांथ खाली नजर आ रहे है। सूत्रों की माने तो आरोपी हिमांशु ने आई सी आई बैंक सिराथू से सुबह दस हजार रुपया ए टी एम से निकाला भी पुलिस ने सीसीटीवी वीडियो पीड़ित को दिखाया तो पीड़ित आरोपी हिमांशु को पहचान लिया पीड़ित ने क्षेत्राधिकारी खागा व एसपी फतेहपुर को डाक के जरिए पत्र भेजा है। इस मामले में एसपी अनूप सिंह के पीआरओ ने बताया कि टीम गठित है इस मामले अधिक जानकारी थाना प्रभारी बताएंगे। वहीं इस सम्बन्ध में थाना प्रभारी बच्चे लाल प्रसाद ने बताया कि विवेचना के दौरान हिमांशु का नाम प्रकाश में आया है दबिश दी जा रही है न मिलने पर कोर्ट से एन बी डब्लू की कार्यवाही की जाएगी।

450 नौनिहाल छात्र/छात्राओं ने किया वृक्षारोपण

फतेहपुर। खागा नगर पंचायत के राजपूत नगर में स्थापित जगन्नाथ मेमोरियल एजूकेशन परिसर में नौनिहाल छात्र/छात्राओं ने वृक्षारोपण में बढ़ - चढ़ कर हिस्सा लिया, जिसमे धूप होने के बाद भी बच्चो में उत्साह देखने को मिला। 
विद्यालय के प्रबंधक अखिलेश मौर्य ने छात्रों के साथ वृक्षारोपण में हाथ बढाया साथ ही सभी बच्चों को पौधों को लगाने से होने वाले लाभ के बारे में विधिवत चर्चा करते हुए बताया कि पौधों से हमें आक्सीजन प्राप्त होता है। सभी छात्रों के साथ सभी के आभिवावको से एक - एक पौधा लगाने के लिए आपील किया और आने वाले समय में सभी क्षेत्रवासियो व जनपद वासियो से पेड न होने से सभी लोगो को समस्याओं से सामना करना पडेगा इसलिए अग्राह किया कि अपने - अपने घर के खाली जगहों व खेत खलिहान सभी जगह एक - एक पौधा अवश्य लगाएं और उसकी देखभाल करें।
वृक्षारोपण में पीपल, बरगद, आम, महुवा, इमली आदि के पेड लगाए गए। इस दौरान प्रधानाचार्य रामेन्द्र भास्कर, समीर, ओमकार, अजय सिंह, निधी, प्रतिभा, प्रतिमा, शोभा, रोशनी, अंजली, अमृता, अंजू, शगुन, ममता, अभिषेक, सचिन, पूजा सिंह, श्रवण कुमार पाण्डेय सहित समस्त शिक्षक स्टाफ व अन्य लोग मौजूद रहे।

रिपोर्टर - सुशील गौतम (खागा)

शनिवार, 19 जुलाई 2025

छांगुर बाबा: एक बड़ा सवाल खुफिया तंत्र पर

छांगुर बाबा से जुड़े सनसनीखेज खुलासे आए दिन किए जा रहे हैं। इसमें संदेह नहीं होना चाहिए कि, "भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए छांगुर बाबा एक बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं।"
छांगुर बाबा के संबंध में आए दिन किए जा रहे खुलासों से पता चलता है कि कैसे एक व्यापक नेटवर्क देश में अपनी जड़ें जमा चुका था, जिसे अरबों रुपये की विदेशी फंडिंग मिल रही थी और जिसने हजारों लोगों को अपने गैंग में शामिल कर लिया था?
 यह स्थिति स्वाभाविक रूप से एक गम्भीर सवाल खड़ा करती है कि, "आखिर हमारा खुफिया विभाग क्या कर रहा था, जब इतना बड़ा षड्यंत्रकारी नेटवर्क आकार ले रहा था? यह नेटवर्क एक दो दिनों या महीनों में तैयार नहीं हो गया होगा ?"
यह मानना मुश्किल है कि इतनी बड़ी गतिविधियां, जिसमें व्यापक स्तर पर लोगों को शामिल करना और भारी विदेशी फंडिंग का प्रवाह शामिल है, बिना किसी पूर्व सूचना या संकेत के संचालित हो सकती थीं। आमतौर पर, ऐसे बड़े पैमाने के ऑपरेशंस में कई चरण होते हैं, जिनमें प्रारंभिक भर्ती, वित्तीय लेन-देन, प्रशिक्षण और गुप्त संचार शामिल हैं। ऐसे में एक सक्षम खुफिया तंत्र को इन गतिविधियों के शुरुआती चरणों में ही अलर्ट मोड पर हो जाना चाहिए था।
छांगुर बाबा के प्रति प्रकाश में आए घटनाक्रम से भारतीय खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली और उनके समन्वय पर गम्भीर सवाल खड़े होते हैं कि - क्या खुफिया विभागों के पास पर्याप्त व उचित आधुनिक संसाधन नहीं हैं ? 
क्या विभिन्न एजेंसियों के बीच जानकारी का आदान-प्रदान ठीक से नहीं हो रहा है या फिर यह कहीं और से हुई चूक का परिणाम है छांगुर बाबा ?
यह भी सम्भव है कि खुफिया जानकारी मौजूद रही हो, लेकिन उसे गम्भीरता से नहीं लिया गया हो, या फिर उस पर समय रहते कार्रवाई करने का प्रयास नहीं किया गया हो और अनदेखा कर दिया गया हो !
ऐसा भी देखने को मिलता है कि ऐसे हाई प्रोफ़ाइल मामलों में, राजनीतिक दबाव, नौकरशाही की ढिलाई या आंतरिक कमियों के कारण महत्वपूर्ण चेतावनियों को नजरअंदाज अक्सर कर दिया जाता है।
छांगुर बाबा के नेटवर्क का खुलासा इस बात की याद दिलाता है कि भारत जैसे विशाल और विविध देश में सतर्कता और सक्रिय खुफिया तंत्र कितना महत्वपूर्ण है?
यह सिर्फ एक आपराधिक गिरोह का मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक गम्भीर मामला है। 
विदेशी फंडिंग और बड़े पैमाने पर भर्ती का अर्थ है कि इस नेटवर्क का उद्देश्य सिर्फ आपराधिक लाभ कमाना नहीं हो सकता, सिर्फ धार्मिक षड्यंत्र नहीं हो सकता है, बल्कि इसके पीछे देश को अस्थिर करने या किसी अन्य बड़े एजेंडे को आगे बढ़ाने की मंशा भी हो सकती है!
कुछ भी हो लेकिन, अब समय आ गया है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए, न केवल नेटवर्क के सदस्यों को पकड़ने के लिए, बल्कि उन कारणों का भी पता लगाने के लिए जिनकी वजह से हमारा खुफिया तंत्र इस खतरनाक षड्यंत को रोकने में विफल रहा!
भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए खुफिया एजेंसियों को अपनी रणनीतियों, प्रौद्योगिकियों और समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता है अन्यथा, छांगुर बाबा जैसे प्रकरण बार-बार देखने को मिलते रहेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गम्भीर खतरे पैदा करते रहेंगे।

@ श्याम सिंह 'पंवार' (वरिष्ठ पत्रकार - कानपुर)

सड़क में गड्ढा पुराई का काम शुरू, पर भाकियू का अनशन जारी

- युवा जिला उपाध्यक्ष विपिन यादव की अगुवाई में जारी है अनशन

फतेहपुर। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) टिकैत के पदाधिकारियों द्वारा लगातार अनशन जारी है जिससे जनपद स्तरीय तथा तहसील स्तरीय अधिकारी परेशान से दिखाई दिए हैं।
बताते चलें कि खागा - नौबस्ता मुख्य मार्ग को सुचारू रूप से दुरुस्त कराए जाने को लेकर भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के युवा विंग के पदाधिकारियों का अनशन लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा है। युवा जिला उपाध्यक्ष विपिन सिंह यादव के नेतृत्व एवं ऐरायां ब्लॉक के युवा ब्लॉक उपाध्यक्ष दीपक मौर्य की मौजूदगी में आंदोलन जोरों से चलता रहा। जिसका नतीजा ये रहा कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिशासी अभियंता अनिल कुमार शील धरना स्थल पहुंचकर अनशनकारियों से वार्ता करते हुए अपनी बात रखी। इस वार्ता के दौरान ये सहमति बनी कि जब तक शासन से धनराशि नहीं आती है तब तक बड़े गड्ढों को गिट्टी डालकर हल्का - फुल्का पैचिंग आदि करके आवागमन के लिए सुगम बना दिया जाए। हालांकि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी द्वारा लगातार धनाभाव एवं शासन को लगातार पत्राचार किए जाने की बात करते रहे वहीं प्रति उत्तर में भाकियू के प्रदर्शकारियों ने जब तक सड़क सुधार एवं गड्ढा मुक्त नहीं होगा तब तक रात - दिन लगातार अनिश्चितकालीन अनशन जारी रहेगा की बात करते नजर आए। इस दौरान भाकियू के कई पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता साथ ही आम जन भी सड़क निर्माण की मांग में अपना समर्थन देते हुए अनशन में मौजूद रहे हैं।
इस दौरान मुख्य रूप से विपिन सिंह यादव एवं दीपक मौर्य के साथ अंबोल सिंह, शीतल प्रसाद, बलराज सिंह, जितेंद्र सिंह, अशोक सिंह, ओमप्रकाश सिंह, महेश प्रसाद फौजी, चंद्रपाल सिंह, विपिन, राजेंद्र सिंह, शिवसागर सिंह, पंकज साहू, मोहम्मद तबरेज, सागर सिंह, दिनेश विश्वकर्मा आदि अनेक किसान नेता एवं क्षेत्रीय जनमानस मौजूद रहे हैं। 


क्या बोले जिम्मेदार -

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) द्वारा खागा - नौबस्ता मार्ग को लेकर धूमनकुआं पर किए जा रहे अनिश्चितकालीन धरना में मैं स्वयं पहुंचकर शासन को पत्राचार करके मार्ग निर्माण हेतु वित्तीय वर्ष 2025 - 26 की कार्य योजना में शामिल करके भेजा गया है जैसे ही कार्य की स्वीकृति होकर धनराशि आता है काम तेजी से किया जाएगा लेकिन तुरंत के लिए गड्ढा मुक्त सड़क बनाने हेतु कार्य आरम्भ करा दिया गया है जिस पर भाकियू के किसान नेताओं ने अनशन समाप्त करने की बात कही है। - ए० के० शील, अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी 
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पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता द्वारा तत्काल रूप से गड्ढा को दुरुस्त करने की बात कही है और कुछ निर्माण सामग्री भी विभिन्न स्थानों पर गिरने लगी लेकिन हमारे संगठन ने निर्णय लिया है कि जब तक खागा से नौबस्ता तक पूरा मार्ग गड्ढा मुक्त नहीं किया जाएगा तब तक हम लोग अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त नहीं करेंगे और जैसे ही कार्य संपूर्ण हो जाएगा तब हम खुद धरना समाप्त कर देंगे। - विपिन सिंह यादव, युवा जिला उपाध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत)

गढ्ढा युक्त सड़क समस्या को लेकर भाकियू टिकैत गुट का अनिश्चित कालीन धरना जारी

- युवा नेता विपिन यादव ने कहा, जब तक सड़क निर्माण नहीं तब तक अनशन समाप्त नहीं

फतेहपुर। खागा तहसील क्षेत्र के थाना सुल्तानपुर घोष क्षेत्र के खजुरियापुर के धूमन कुआं चौराहा पर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने रोड पर महापंचायत आयोजित की। अध्यक्षता दीपक मौर्य ने की जबकि मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय किसान यूनियन युवा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष विवेक सिंह एडवोकेट सहित बड़ी संख्या में किसान नेता मौजूद रहे। सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद पंचायत समाप्त की गई।उधर पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को किसान नेताओं ने अपने साथ देर रात तक बैठाए रखा और कहा कि जब तक मटेरियल नहीं गिरेगा तब तक पंचायत समाप्त नहीं होगी।
भारतीय किसान यूनियन टिकैत की किसान मजदूर महापंचायत में पीडब्ल्यूडी एवं विद्युत समस्या को हुंकार भरी गई। इस दौरान युवा जिलाउपाध्यक्ष विपिन सिंह यादव ने बड़ी भूमिका निभाई। महापंचायत के दौरान किसान नेता विपिन सिंह यादव ने मीडिया को बताया कि जब तक खागा - मार्ग संपूर्ण रूप से गड्ढा मुक्त नहीं हो जाती तब तक किसान यूनियन का अनशन लगातार जारी रहेगा। आयोजित पंचायत में एसडीएम अभिनीत कुमार को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें मांग की गई कि खागा-नौबस्ता मार्ग अति जर्जर है। आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। जल्द से जल्द इस सड़क का निर्माण कराया जाए ताकि जनहानि नहीं हो क्योंकि प्रतिदिन कोई न कोई दुर्घटना इस जर्जर सड़क पर होती रहती है। पूरे खागा तहसील क्षेत्र की विद्युत व्यवस्था खराब है। धान के सीजन में अगर पर्याप्त बिजली नहीं मिली तो खेती को भारी नुकसान होगा और किसान बहुत परेशान हो जाएगा। भारतीय किसान यूनियन किसानों की परेशानी नहीं देख सकती। बिजली व्यवस्था ठीक नहीं हुई तो ईंट से ईंट बजा दी जाएगी।महापंचायत में मांग की गई कि मंडवा ग्राम सभा में मैनपुरी घाट में शमशान है जिसकी लागत दो करोड़ है लेकिन जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। घाट का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा जितनी जल्दी हो सके रास्ते का निर्माण करा दिया जाए ताकि करोड़ों की लागत से बना श्मशान घाट का लोग उपयोग कर सकें। सहकारी समिति में यूरिया, डीएपी नहीं है और प्राइ‌वेट दुकानदार ओवर रेटिंग कर किसानों का शोषण कर रहे हैं। खाद उपलब्ध कराई जाये और ओवर रेटिंग रोकी जाए। मोहम्मदपुर गौती से टांडा कौशांबी सम्पर्क मार्ग तथा इजूरा से संकठन घाट तक सम्पर्क मार्ग बनवाया जाए। खागा तहसील में जल जीवन मिशन की समस्त टंकियों को सुचारू रूप से चलाया जाए ताकि पेयजल संकट से लोगों को जूझना न पड़े और लोगों को पर्याप्त पानी मिल सके आदि प्रमुख मांगे रखी गईं।
इस मौके पर अंबोल सिंह, शीतल प्रसाद, बलराज सिंह, जितेंद्र सिंह, अशोक सिंह, ओमप्रकाश सिंह, महेश प्रसाद फौजी, चंद्रपाल सिंह, विपिन यादव, राजेंद्र सिंह, शिवसागर सिंह, पंकज साहू, मोहम्मद तबरेज, सागर सिंह, दिनेश विश्वकर्मा आदि अनेक किसान नेता मौजूद रहे। संचालन दीपक मौर्य ने किया।

शुक्रवार, 18 जुलाई 2025

काजीपुर में मुहर्रम के नवा पर ताज़िया उठा कर किया इमाम हुसैन को याद

- आबिस रज़ा सुल्तानपुरी एवं काशिफ ककरौली ने पेश किए कलाम
  
- बड़ी संख्या में अकीदतमंद हुए शामिल,नौहा पढ़ने दूर-दूर से आईं अंजुमनें 

फतेहपुर। करबला की शहादत पर मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन का उठा ताज़िया और रात भर या हुसैन या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं। हज़ारों की भीड़ करबला के शहीदों पर मातम करती रही। ये वो हुसैन हैं जो मोहम्मद साहब के नवासे हैं। अली के बेटे हैं जिनको कूफे से बारह हज़ार खत भेज कर करबला बुलाया गया और लिखा गया कि आप हमारी मदद के लिए आइए, दीन खतरे में है लेकिन कूफ़े के लोगों ने यजीद के खौफ से हुसैन का साथ छोड़ दिया। हुसैन मदद के लिए बुलाते रहे लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया फिर भी हुसैन ने यजीद के हराम कामों का डट कर मुकाबला करते रहे।
इमाम हुसैन की उम्र 57 वर्ष थी और उनके हाथों से कत्ल होने वाले यजीदी सिपाहियों की संख्या 1950 तक बताई जाती है।इमाम हुसैन की मदद की वजह से शहीद होने वाले कूफियों की संख्या एक सौ अड़तीस थी जिसमें से पंद्रह गुलाम भी शामिल थे। इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके बदन पर भाले के 33 घाव और तलवार के 34 घाव थे। तीरों की संख्या अनगिनत बताई गई है। शहादत तक इमाम हुसैन के बदन पर कुल उन्नीस सौ तक घाव थे। करबला की जंग में इमाम हुसैन हक़ पर थे इसलिए आज चौदह सौ साल बाद भी दुनिया के लोग हुसैन का गम मानते हैं और यजीद पर लानत भेजते हैं। यजीद के अत्याचारों का बयान हो रहा है और हुसैन जिंदाबाद के नारे देश विदेश में गूंज रहे हैं।
सुल्तानपुर घोष थाना क्षेत्र के उमरपुर गौती (काजीपुर) गांव में इमाम हुसैन के नवां का आयोजन किया गया। इस मौके पर जिला सुल्तानपुर से हिंदुस्तान के मशहूर नौहाखान आबिस रज़ा सुल्तानपुरी और जिला मुज़फ्फ़रनगर ककरौली से नौहा खान क़ाशिफ़ रज़ा ज़ैदी ने बेहतरीन कलाम पेश किए तथा इमाम हुसैन को पुरसा पेश किया। ग्राम प्रधान उमर व पूर्व प्रधान मोहम्मद तथा वरिष्ठ पत्रकार एवं साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी और मकसूद अली, इमरान, आमिर अली एवं हज़ारों हुसैनी अज़ादार रात भर शबेदारी के बीच मौजूद रह कर लब्बैक या हुसैन के नारे लगाते रहे और आज से चौदह सौ साल बीत जाने के बाद भी ताजिया निकाल कर हुसैनी अज़ादार ये बता रहे हैं कि देखो करबला में यजीद के साथ लाखों की फ़ौज थी और इमाम हुसैन के साथ सिर्फ बहत्तर साथी थे लेकिन इमाम हुसैन हक़ पर थे और यजीद बातिल जंग को अंजाम दे रहा था जिसकी वजह से यजीद का ऐसा बुरा अंजाम हुआ कि आज सारी दुनिया में कोई भी यजीद का नाम लेने वाला नहीं है।

मंगलवार, 15 जुलाई 2025

नाबालिग हिन्दू लड़की को शादी का झांसा देकर भगाने वाले मुस्लिम युवक की हुई जमानत

- वरिष्ठ अधिवक्ता जावेद खान को मिली एक और बड़ी सफलता

फतेहपुर। सदर कोतवाली क्षेत्र की रहने वाली नाबालिक हिंदू लड़की को मोहल्ले का ही तासुब पुत्र इफ्तेखार अली निवासी कृष्ण बिहारी नगर थाना कोतवाली जिला फतेहपुर दिनांक 13. 6.25 को शादी का झांसा देकर भगा ले गया था जिसे बजरंग दल कानपुर के कार्यकर्ताओ ने पकड़ कर थाना कर्नलगंज कानपुर नगर ले गए और अपहर्ता के पिता को सूचना दी जिस पर अपहर्ता के पिता ने दिनांक 13.6.2025 को अंतर्गत धारा 137 (2) 87 बी.एन. एस.थाना कोतवाली में तासुब उपरोक्त के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कराया।
उक्त मुकदमे में पुलिस ने अभियुक्त तासुब को दिनांक 14.6.2025 को जेल भेज दिया था जिसकी ओर से जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। अभियुक्त के वरिष्ठ अधिवक्ता जावेद खान एडवोकेट व उनके सहयोगी शोएब खान एडवोकेट ने न्यायालय में तर्क प्रस्तुत करते हुए उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट को फर्जी होना बताया और अभियुक्त के बचाव में जोरदार तार्किक तथ्य प्रस्तुत किये और कहा कि वादी की प्रथम सूचना रिपोर्ट का पीड़िता /अपहर्ता के बयानों से समर्थन नहीं होता है। 
पीड़िता के पुलिस और न्यायालय में दिए गए बयानों के मध्य घोर विरोधाभास है। पीड़िता अपनी मर्जी से गई है और उसके साथ किसी तरह की जोर जबरदस्ती के साक्ष्य नहीं पाए गए हैं। बहस के दौरान अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ए. एस. जे./ एफ. टी.सी. प्रथम न्यायाधीश अशोक कुमार सिंह ने दिनांक 15.7.2025 को अभियुक्त तासुब की जमानत मंजूर की है।

सोमवार, 7 जुलाई 2025

मुहर्रम: लब्बैक या हुसैन की सदाओं के साथ दफन हुए ताजिया

- बहेरा सादात में होता है खागा तहसील का सबसे बड़ा मोहर्रम
- प्रदीप गौतम ने किया जलते अंगारों पर मातम
- बहेरा सादात एवं सुल्तानपुर घोष में मुल्क की तरक्की व अमन - चैन की मांगी गई दुआ

फतेहपुर। बहेरा सादात में दस मोहर्रम पर होने वाला खागा तहसील का सबसे बड़ा जुलूस होता है जिसमें आस - पास के दर्जनों गांवों से हिंदू - मुस्लिम शिरकत करते हैं। अज़ादार बहेरा सादात नौबस्ता रोड होते हुए दो किलोमीटर पैदल नंगे पैर ग़म के माहौल में चेहरों पर उदासी, दिलों में हुसैनी जज़्बा लिए काले कपड़ों में लब्बैक या हुसैन के नारे लगाते हुए सीनों पर मातम करते धीरे - धीरे करबला की तरफ़ बढ़ते हैं और दुआ करते हैं कि करबला के शहीदों का गम हमारे दिलों में हमेशा कायम रहे और हम यूं ही ग़मे हुसैन मनाते रहें।
नौ मोहर्रम जिसे शबे आशूर के नाम से जाना जाता है। इसी मौके पर आब्दी मंज़िल से रात 10 बजे चुप ताज़िया निकला और पूरे गांव का भ्रमण करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी के आवास पर वापस आया। फिर इसी स्थान पर जलते अंगारों पर मातम का सिलसिला शुरू हुआ जहां प्रदीप कुमार गौतम इमाम हुसैन के प्रति सच्ची श्रद्धा रखते हुए दहकते अंगारों पर या हुसैन कहते हुए निकले। साथ ही छोटे - छोटे बच्चों ने लब्बैक या हुसैन के नारों के साथ जलते अंगारों पर मातम कर अपने हुसैनी होने का सबूत दिया। बताते चलें की दस मोहर्रम वह दिन है जिसे आशूर का दिन कहा जाता है। करबला में आज की वह आखिरी जंग थी जिस जंग में इमाम हुसैन ने अपने 6 महीने के बच्चे अली असगर की कुर्बानी पेश की और अपने बहत्तर साथियों के साथ करबला में तीन दिन की भूख - प्यास के साथ ऐसी जंग की जिसे कयामत तक कोई भुला नहीं सकता।
मोहर्रम की नौ तारीख यानी शबे आशूर की रात इमाम हुसैन ने यज़ीद से एक रात की मोहलत मांगी थी जिससे वे सारी रात अल्लाह की इबादत कर सकें और दूसरा मकसद ये भी था कि शायद यजीद इस रात अपने गुनाहों से तौबा कर ले और जंग न करे। इमाम हुसैन ने इस रात की मोहलत अपने लिए तो इबादत के हिसाब से मांगी लेकिन इस्लामी कानून के हिसाब से यजीद को हुसैन ने एक रात की मोहलत ये सोचने के लिए दी जिससे यजीद इस आखरी रात में सोच ले कि हक़ क्या है और बातिल क्या है लेकिन यजीद की किस्मत में तो जहन्नम लिख चुकी थी। उसने इस रात का कोई फायदा नहीं उठाया लेकिन यजीद की फौज का वह कमांडर जिसने करबला के रास्ते में इमाम हुसैन के काफिले को रोका था, यजीद से बोला कि मुझे नहीं पता था कि बात यहां तक बढ़ जाएगी कि तू इमाम हुसैन को बिना किसी खता के शहीद कर देगा। मैं तेरे लश्कर से नाता तोड़ रहा हूं और मैं इमाम हुसैन के साथ जा रहा हूं। ये कह कर जो पहले सिर्फ हुर के नाम से जाने जाते थे, हुसैन के पास आने से उनका रुतबा बलंद हो गया और वो जनाबे हुर बन गए। इस आखरी रात ने जनाबे हुर की किस्मत ही पलट दी। हुसैन से माफी मांगी और यज़ीद के लश्कर से जंग करते हुए शहीद हो गए।
करबला के शहीदों की याद में फाका शिकनी के लिए बसपा सरकार में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रहे इंतेज़ार आब्दी उर्फ बाबी, उनके भाई मुश्ताक आब्दी उर्फ लाला, इश्तियाक आब्दी उर्फ राजू ने अपने आब्दी फिलिंग स्टेशन पर शरबत की सबील लगवाई और पचास डेग खिचड़े का इंतेज़ाम किया ताकि फाका रखने वालों को परेशानी न हो सके। करबला की शहादत पर रौशनी डालने के लिए जिला अम्बेडकर नगर के मौलाना सय्यद अज़ीम रिज़वी ने बताया कि आज के दिन जो भी जंग में गया है वह वापस नहीं आ सका। तीन दिन की भूख प्यास के बाद आज कर्बला में इमाम हुसैन का भरा घर उजड़ गया। इमाम हुसैन का वह बेटा जिसकी उम्र अभी सिर्फ छह महीने की थी, यजीदी लशकर ने उस बच्चे को भी शहीद कर दिया। इमाम हुसैन ने सब्र का दामन नहीं छोड़ा और न ही यज़ीद के आगे झुके।
बहेरा चौकी पर मौलाना ने भाई चारे और राष्ट्रीय एकता पर तकरीर करते हुए बताया कि जिसे करबला में मुसलमानों ने क़त्ल किया था वह कोई और नहीं बल्कि मोहम्मद साहब के नवासे थे। अली के बेटे थे जो करबला में हक़ की लड़ाई में शहीद हुए। अपने नाना मोहम्मद साहब के दीन को बचाने के लिए अपना भरा घर कुर्बान कर दिया लेकिन इस्लाम को बचा कर मुसलमानों पर जो एहसान किया है उसे कयामत तक भुलाया नहीं जा सकता। इस मौके पर थाना सुल्तानपुर घोष पुलिस की अच्छी व्यवस्था रही। सब इंस्पेक्टर दिलीप यादव, शिवानंद, इबरार खान लगातार जुलूस की व्यवस्था में शामिल रहे। इंस्पेक्टर तेज बहादुर सिंह और खागा सीओ ब्रज मोहन राय द्वारा अच्छी पुलिसिंग के लिए मोहर्रम के आयोजक वरिष्ठ पत्रकार एवं साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने पुलिस स्टाफ के प्रति आभार व्यक्त किया।
वहीं सुल्तानपुर घोष गांव में अकीदतमंदों ने करबला का गम मनाते हुए ताजिया उठाया और नवजवानों ने मातम किया और लोगों ने जगह - जगह मौला हुसैन के नाम का लंगर लुटाया। अंत में ताजिया को करबला ले जाकर सुपुर्दे खाक किया और मुल्क में तरक्की व अमन - चैन की दुआ मांगी गई। इसी प्रकार समूचे जनपद में मुहर्रम मनाया गया है।

शनिवार, 5 जुलाई 2025

करबला के शहीदों की याद में बांटा गया शरबत

फतेहपुर। मुहर्रम माह की नवीं तारीख को करबला के मैदान में इस्लाम धर्म को बचाने के लिए पैगम्बर मोहम्मद रसूलअल्लाह (स० अ०) के नवाशे और बीबी फातिमा व शेरे खुदा मौला अली के बेटे हज़रत इमाम हुसैन के साथ उनके 71 साथियों ने हक़ और बातिल की लड़ाई लड़ते हुए लईन यजीद की 22000 फौज के सामने अपना सर कटवाकर इस्लाम को जिंदा कर दिया जिससे आज तक इस्लाम दुनिया में कायम है लेकिन हुसैन को कत्ल करने वालों का नामो निशान तक बाकी नहीं है। इन्हीं करबला वालों के याद में हर मुस्लिम इलाके में मुहर्रम को मनाया जाता है। इन्हीं क़रबला वालों की शहादत की याद में अंजुमन कमेटी सुल्तानपुर घोष के युवाओं द्वारा शनिवार को नवीं मुहर्रम के मौके पर इजूरा मोड पर लंगर के रूप में शरबत वितरण किया गया। शरबत को राहगीरों को पिलाया गया।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार एवं साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान, मोहम्मद जुबैर, इरशाद अहमद, सरफराज आलम, मोहम्मद कैफ, तंजील शेख, सुहैल, मुरसलीन, फ़ैज़ान, मुजनबीन, दानिश, अरमान, रेहान, अमान, उजैर, नसीम, नूर अता, शाद मोहम्मद नूर, इम्तियाज सलमानी, जसीम, अतीक, अयान, अजीम, फ़िरदौश, अदनान, आसिफ, समीर सहित दर्जनों की तादाद में लोग उपस्थित रहे।

बुधवार, 2 जुलाई 2025

बहेरा सादात में आब्दी मंज़िल से उठा अली असगर का झूला और जरी मुबारक

- पांचवीं और छठवीं मुहर्रम को उमड़ा जनसैलाब 

फतेहपुर। चौदह सौ साल बीत जाने के बाद भी दुनिया के कोने - कोने में रसूल अल्लाह के नवासों का गम मनाने में कोई कमी नहीं हुई, चांद रात से लेकर दो महीने आठ दिन इमाम हुसैन की शहादत का ज़िक्र होता है। मोहर्रम की पांच तारीख़ पर वरिष्ठ पत्रकार एवं साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी के आब्दी मंज़िल से इमाम हुसैन के छः माह के बेटे जो करबला में सब से कम उम्र के थे हज़रत अली असगर का झूला उठा और गाँव का गश्त करते हुवे वापस मरहूम प्रधान मोहम्मद जलीस आब्दी के आवास पहुंचा। 
इस दौरान हुई मजलिस में हजारों की संख्या में हुसैन के चाहने वालों ने इमाम हुसैन को नम आंखों से पुरसा दिया और मातम किया। हुसैन जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा बहेरा सादात जहां आजादरों ने यज़ीद मुर्दाबाद के नारे लगाते हुवे यज़ीद पर लानत भेजी। जिला अंबेडकर नगर के मौलाना अज़ीम रिज़वी ने करबला पर रौशनी डालते हुवे जिक्र किया कि करबला की जंग में इमाम हुसैन ने यज़ीद के अत्याचारों का डट कर मुकाबला किया और ऐसी मिसाल पेश की जिसे दुनिया कयामत तक नहीं भुला सकती। रवींद्र नाथ टैगोर कहते हैं कि इंसाफ और सच्चाई को ज़िंदा रखने के लिए फौजों या हथियारों की जरूरत नहीं होती है, कुर्बानियां दे कर भी जीत हासिल की जा सकती है जैसे इमाम हुसैन ने करबला में किया। वहीं डाक्टर राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि इमाम हुसैन का बलिदान केवल एक देश या राष्ट्र तक सीमित नहीं है बल्कि ये सभी मानव जाति के भाई चारे की वंशानुगत स्थित है। 
आप को बताते चलें की बहेरा सादात की दसवीं का जुलूस खागा तहसील में सबसे बड़ा होता है। इस जुलूस में आस पास के दो दर्जन से अधिक ग्रामवासी शामिल होते हैं, इस जुलूस में हजारों की भीड़ इकठ्ठा होती है जिसमें काफी तादाद में हिन्दु भाई भी शिरकत करते हैं। ये जुलूस नौबस्ता रोड से होता हुवा बहेरा चौकी जाता है वहां पर मौलाना भाईचारा एकता पर तक़रीर करते हैं फिर मातम करते हुवे एक किलो मीटर नाज़ स्कूल करबला पहुंच कर बूढ़नपुर के जुलूस का एक बड़ा मिलाप होता है जिसे देखने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ता है।
इस झूले के बाद छह मुहर्रम को जरी मुबारक उठाई जाती है जिसमें भी जनसैलाब उमड़ता है। इस दौरान पुलिस व्यवस्था दुरुस्त रही जबकि स्थानीय लोगों का कहना रहा है कि बिजली व्यवस्था सही नहीं रही है।

कर्बला के वह आंकड़े जो शायद आपको पता न हो - 

➡ यज़ीद की बैअत से इन्कार से लेकर आशूर (10 मुहर्रम) तक इमाम हुसैन का आंदोलन 175 दिनों तक चला

1) - 12 दिन मदीने में
2) - 4 महीने 10 दिन मक्के में
3) - 23 दिन मक्के और कर्बला के रास्ते में 
4) - और 8 दिन कर्बला में

➡ कूफे से इमाम हुसैन को 18000 खत (कुछ रिवायतों में बोरियों की तादाद में खत) लिखे गये थे

➡ कूफे में इमाम हुसैन के दूत मुस्लिम बिन अक़ील की बैअत करने वालों की तादाद अलग - अलग रिवायतों में 18000 या 25000 या 40000 बतायी गयी है

➡ अबू तालिब की नस्ल से कर्बला में शहीद होने वालों की संख्या 30 है, 17 का नाम "ज़ेयारत नाहिया" में आया है जबकि 13 का नहीं

➡ इमाम हुसैन की मदद की वजह से शहीद होने वाले कूफियों की संख्या 138 थी जिनमें से 15 ग़ुलाम थे

➡ शहादत के वक्त इमाम हुसैन की उम्र 57 साल थी

➡ शहादत के बाद उनके बदन पर भाले के 33 घाव और तलवार के 34 घाव थे साथ ही तीरों की संख्या अनगिनत बताया गया है, इस तरह से शहादत तक इमाम हुसैन के बदन पर कुल 1900 तक घाव थे

➡ इमाम हुसैन की लाश पर दस घुड़सवारों ने घोड़े दौड़ाए थे

➡ कूफे से इमाम हुसैन के खिलाफ जंग के लिए कर्बला जाने वाले सिपाहियों की तादाद 33 हज़ार थी हालांकि कुछ लोगों ने संख्या और अधिक बतायी है

➡ दसवीं मुहर्रम को इमाम हुसैन ने 10 शहीदों के लिए मर्सिया पढ़ा, उनके बारे में बात की और दुआ की - हज़रत अली अकबर, हज़रत अब्बास, हज़रत क़ासिम, अब्दुल्लाह इब्ने हसन, अब्दुल्लाह, मुस्लिम बिन औसजा, हबीब इब्ने मज़ाहिर, हुर बिन यज़ीद रियाही, ज़ुहैर बिन क़ैन और जौन पर

➡ इमाम हुसैन कर्बला के 7 शहीदों के सिरहाने पैदल और दौड़ते हुए गये, जोकि मुस्लिम बिन औसजा, हुर, वासेह रूमी, जौन, हज़रत अब्बास, हज़रत अली अकबर और हज़रत क़ासिम थे

➡ दसवी मुहर्रम को यज़ीद के सिपाहियों ने तीन शहीदों के सिर काट कर इमाम हुसैन की तरफ फेंका - अब्दुल्लाह बिन उमैर कलबी, उमर बिन जनादा, आस बिन अबी शबीब शाकेरी पर

➡ दसवी मुहर्रम को 3 लोगों को यज़ीदी सिपाहियों ने टुकड़े - टुकड़े कर दिया - हज़रत अली अकबर, हज़रत अब्बास और अब्दुर्रहमान बिन उमैर को

➡ कर्बला के 9 शहीदों की मांओं ने अपनी आंख से अपने बच्चों को शहीद होते देखा

➡ कर्बला में 5 नाबालिग बच्चों को शहीद किया गया - अब्दुल्लाह इब्ने हुसैन, अब्दुल्लाह बिन हसन, मुहम्मद बिन अबी सईद बिन अकील, कासिम बिन हसन, अम्र बिन जुनादा अन्सारी को

➡ कर्बला में शहीद होने वाले 5 लोग पैग़म्बरे इस्लाम के सहाबी थे - अनस बिन हर्स काहेली, हबीब इब्ने मज़ाहिर, मुस्लिम बिन औसजा, हानी बिन उरवा और अब्दुल्लाह बिन बक़तर उमैरी

➡ दसवी मुहर्रम को इमाम हुसैन के 2 साथियों को गिरफ्तार करने के बाद शहीद किया गया - सवार बिन मुनइम और मौक़े बिन समामा सैदावी

➡ कर्बला के 7 शहीद अपने बाप के सामने शहीद हुए

➡ कर्बला में 5 महिलाओं ने खैमों से निकल कर दुश्मनों पर हमला किया और उन्हें बुरा भला कहा

➡ इमाम हुसैन के हाथों मारे जाने वाले यज़ीदी सिपाहियों की तादाद 1800 से 1950 तक बतायी गयी है

वेटेड डिप्स कैटेगरी में मिस्बाह असलम ने बनाया राष्ट्रीय रिकॉर्ड

फतेहपुर। जनपद मुख्यालय में जन्में मिस्बाह असलम ने वेटेड डिप्स कैटेगरी में 85 किलो ग्राम का वजन 17 सेकेंड तक उठाकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मिस्बाह की इस उपलब्धि को इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स 2025 में शामिल किया गया है, जिसकी पुष्टि पिछले माह 02 जून को समारोह पूर्वक की गई है।
मिस्बाह असलम का जन्म 05 जनवरी 2009 को स्थानीय ज्वालागंज इलाक़े में स्थित पैतृक आवास में हुआ था। महज़ 16 वर्ष 04 माह 28 दिन की उम्र में उसने यह राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर अपने जनपद और परिवार को गौरवान्वित किया है। मिस्बाह के बाबा स्वर्गीय महताब अली ज़िले के जाने माने ट्रांसपोर्टर थे और उसके पिता मो. असलम उर्फ़ शेर ख़ान ज़िले की प्रतिष्ठित सियासी शख़्सियत और बीएचएम ग्रुप के चेयरमैन हैं।
मिस्बाह असलम ने इस आयु वर्ग में 85 किलो ग्राम का वजन 17 सेकेंड तक उठाकर कीर्तिमान स्थापित कर साबित कर दिया है कि छोटे से जनपद में भी प्रतिभाओं की कमी नहीं होती और अवसर मिले तो यह प्रतिभाएं और बड़ा कीर्तिमान स्थापित कर सकती हैं।
मिस्बाह का बचपन से ही वेटेड डिप्स का शौक/ख़्वाब था, जिसे आखिरकार कीर्तिमान के साथ साकार किया है। मिस्बाह की सोच वेटेड डिप्स कैटेगरी में अभी कई और रिकॉर्ड बनाने की है।
इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स 2025 में सम्मिलित किए जाने के बाद पिछले दिनों एक विस्तारित कार्यक्रम में मिस्बाह असलम को इंडिया बुक की तरफ़ से गोल्ड मेडल, प्रशस्ति पत्र और बुक भेंट की गई। इस ख़ास उपलब्धि के जग ज़ाहिर होने के बाद जनपदवासियों के साथ - साथ देश - प्रदेश से बधाइयों का ताता लगा हुआ है।

मंगलवार, 1 जुलाई 2025

मुहर्रम विशेष: दिखाई देते हैं रौज़े हुसैन के घर - घर, यज़ीद तेरा तो एक टूटा मज़ार भी नहीं

- मुहर्रम पर जगह - जगह जारी शहादतनामा और करबला का बयान

फतेहपुर। सुल्तानपुर घोष में करबला की शहादत पर रौशनी डालने के लिए मुफ्ती अशफ़ाक़ आलम इलाहाबादी इस्लाम के हवाले से लगातार तक़रीर कर के भाई चारे का पैग़ाम दे रहे हैं और मोहम्मद साहब के नवासों के बताए हुवे रास्तों पर चलने का पैग़ाम देते हुवे करबला के शहीदों पर रौशनी डाल रहे हैं और बता रहे हैं कि करबला की जंग में मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हसन और इमाम हुसैन ने जो इंसानियत का पैग़ाम दिया है अगर आज सारे लोग उस पर अमल करें तो सारी फ़साद की जड़ें कमज़ोर पड़ जाएंगी। 
आज से चौदह सौ साल पहले करबला में इमाम हुसैन अपने बहत्तर साथियों के साथ दाखिल हुवे वहां लोगों से पूछा कि इस जगह को क्या कहते हैं लोगों ने बताया कि इस जगह का नाम करबला है, इमाम हुसैन ने अपने साथियों से कहा कि ये वही जगह है जहां मुझे शहीद किया जाएगा मैं चाहता हूं कि किसी दूसरे की ज़मीन पर मेरी शहादत न हो इसलिए इस ज़मीन के मालिक को बुलाओ और इसकी क़ीमत अदा करो। बनी असद के कबीले वालों को बुलाकर करबला की ज़मीन को साठ हज़ार दिरहम में खरीदी गई और ज़मीन अली अकबर के नाम पर लिखाई गई। कितना बलंद किरदार था हुसैन का जिन्होंने दूसरे की ज़मीन पर जंग करना भी मुनासिब नहीं समझा फिर भी यज़ीद ने मोहम्मद साहब के नवासों को तीन दिनों तक भूखा प्यासा शहीद किया। ये घटना 570 ई० की है जब अरब की सर ज़मी पर दरिंदगी अपनी चरम सीमा पर थी तब अल्लाह ने एक संदेश वाहक (पैगंबर) को भेजा जिसने अरब की ज़मीन को दरिंदगी से निजात दिलाई और निराकार ईश्वर (अल्लाह) का परिचय देने के बाद मनुष्यों को ईश्वर का संदेश पहुंचाया जो कि अल्लाह का दीन है इसको इस्लाम का नाम दिया गया और दीन केवल मुसलमानों के लिए नहीं आया वो सभी के लिए था क्योंकि बुनियादी रूप से दीन (इस्लाम) में अच्छे कार्यों का मार्गदर्शन किया गया और बुरे कार्यों से बचने व रोकने के तरीके बताए गए हैं। उस समय का बना हुआ खलीफा यज़ीद चाहता था कि हुसैन उसके साथ हो जाएं वो जानता था अगर हुसैन उसके साथ आ गए तो सारा इस्लाम उसकी मुट्ठी में होगा, लाख दबाव के बाद भी इमाम हुसैन ने यज़ीद की बात मानने से इनकार कर दिया तो यज़ीद ने इमाम हुसैन को क़त्ल करने की योजना बनाई। 4 मई 680 ई० में इमाम हुसैन अपना मदीने से अपना घर छोड़ कर शहर मक्का पहुंचे जहां उनका हज करने का इरादा था लेकिन उनको पता चला कि दुश्मन हाजियों के भेष में आ कर उनको क़त्ल कर सकता है। हुसैन नहीं चाहते थे कि काबा जैसे पाक जगह पर खून बहे। करबला की जंग हक़ और बातिल की जंग थी। जहां एक तरफ़ मोहम्मद का नवासा था जो अपने नाना के दीन को बचाना चाहता था और दूसरी तरफ़ यज़ीद जैसा बद किरदार इंसान था जो दीने इस्लाम को मिटाना चाहता था। यज़ीद के पास लाखों की फौज थी और हुसैन के पास सिर्फ बहत्तर साथी थे जो पाक दामन थे और यजीदी फौज में शराब पीने वाले थे। इस जंग में इमाम हुसैन ने अपने बहत्तर साथियों के साथ करबला की जंग को जीत कर इस्लाम का परचम लहरा दिया जो कयामत तक लहराता रहेगा।

फतेहपुर में बढ़ा सियासी बवाल: दिवंगत लेखपाल सुधीर के घर पहुँचे अखिलेश यादव, बोले—“दोषियों को बचने नहीं दूंगा”

- अखिलेश यादव ने परिजनों को दिया मदद, सरकार से उठाई कई मांग - एसआईआर के बढ़ते मामलों पर उग्र दिखे सपा सुप्रीमो, कहा संसद में उठाएंगे मुद्दा ...