रविवार, 31 अगस्त 2025

Exclusive Interview: "गांव की प्रगति का जिम्मा, जनता की उम्मीदों का बोझ—ग्राम पंचायत अधिकारी की जुबानी…"

- जमीनी हकीकत से लेकर सरकारी योजनाओं तक—ग्राम पंचायत अधिकारी का खुला संवाद


विशेष साक्षात्कार : शीबू खान के साथ पंचायती संवाद

गांव की सरकार यानी ग्राम पंचायत, जहां से विकास की नींव रखी जाती है। केंद्र और राज्य सरकार की जितनी भी योजनाएं आम जनता तक पहुंचती हैं, उनकी सफलता का पहला पड़ाव होता है ग्राम पंचायत। और इस पंचायत की रीढ़ है—ग्राम पंचायत अधिकारी। इनकी जिम्मेदारी सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं होती, बल्कि गांव के हर नागरिक तक सरकारी योजनाओं को सही तरीके से पहुंचाना और विकास कार्यों को धरातल पर उतारना ही इनका असली काम है। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, आवास, शौचालय और मनरेगा जैसे कार्यों की निगरानी व पारदर्शिता इन्हीं के भरोसे टिकी रहती है।
आज हम आपके सामने पेश कर रहे हैं एक विशेष साक्षात्कार, जिसमें ग्राम पंचायत अधिकारी से खुलकर बातचीत होगी। इस बातचीत में जानेंगे—गांव के विकास कार्यों को आगे बढ़ाने में उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? जनता की अपेक्षाओं पर वे किस तरह खरे उतरते हैं? और सरकार की योजनाओं को पारदर्शी ढंग से लागू करने के लिए वे कौन से कदम उठाते हैं?
"सवाल जनता के, जवाब पंचायत अधिकारी से—आइए मिलते हैं ऐरायां विकास खण्ड में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी बिपिन कुमार तिवारी से एक खास बातचीत में।"


विशेष साक्षात्कार

स्थान: ऐरायां विकास खण्ड, फतेहपुर
साक्षात्कारकर्ता: शीबू खान
साक्षात्कारित: ग्राम पंचायत अधिकारी बिपिन कुमार तिवारी

प्रश्न - प्रहार

प्रश्न 1:

शीबू खान : ग्राम पंचायत अधिकारी के रूप में आपकी प्राथमिक जिम्मेदारी क्या है?

बिपिन तिवारी : मेरी पहली जिम्मेदारी यही है कि ग्राम पंचायत में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे। ग्रामवासियों को उनकी जरूरतों और अधिकारों के अनुसार सुविधाएँ उपलब्ध कराना तथा पंचायत सचिवालय को ग्रामीणों की समस्याओं और योजनाओं का केंद्र बनाना।

प्रश्न 2:

शीबू खान : आपने कहा कि "ग्रामवासियों का काम पंचायत सचिवालय से ही होगा", इसका क्या तात्पर्य है?

बिपिन तिवारी : देखिए, अब समय बदल रहा है। पहले ग्रामवासी छोटे-छोटे कामों के लिए ब्लॉक या तहसील के चक्कर लगाते थे, लेकिन अब पंचायत सचिवालय ही उनकी पहली चौखट होगा। चाहे प्रमाणपत्र से जुड़ा कार्य हो, सरकारी योजनाओं की जानकारी हो या फिर शिकायत दर्ज करनी हो—ग्रामवासी सीधे सचिवालय आएंगे और उन्हें यहीं समाधान मिलेगा।

प्रश्न 3:

शीबू खान : सरकारी योजनाओं का लाभ आमतौर पर पात्र लोगों तक नहीं पहुँच पाने की शिकायते आती हैं। आप इस चुनौती को कैसे देखते हैं?

बिपिन तिवारी : यह सही है कि अतीत में कई पात्र लोग वंचित रह गए, लेकिन अब शासन की मंशा है कि हर पात्र को योजना का सीधा लाभ मिले। हम डिजिटल माध्यमों और पारदर्शी चयन प्रक्रिया से सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो। मैं व्यक्तिगत रूप से यही प्रयास करता हूँ कि लाभार्थियों का नाम समय से दर्ज हो और उन्हें योजनाओं का लाभ समय पर मिल सके।

प्रश्न 4:

शीबू खान : पंचायत स्तर पर कौन-कौन सी प्रमुख योजनाएँ ग्रामीणों को मिल रही हैं?

बिपिन तिवारी : फिलहाल मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय निर्माण, वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, छात्रवृत्ति योजनाएँ, आयुष्मान भारत, मुफ्त राशन, जल जीवन मिशन, समाज कल्याण एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण की योजनाएं, महिला बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की योजनाएं, स्वास्थ्य विभाग की कई योजनाओं, पीएम किसान सम्मान निधि और ग्रामीण सड़क निर्माण जैसी कई योजनाएँ चल रही हैं। हमारा लक्ष्य है कि इन सभी का लाभ वास्तविक पात्र तक पहुँचे।

प्रश्न 5:

शीबू खान : ग्राम पंचायत अधिकारी के रूप में आपका संदेश ग्रामवासियों के लिए क्या है?

बिपिन तिवारी: मेरा ग्रामवासियों से यही कहना है कि वे पंचायत सचिवालय को ही अपना केंद्र मानें। किसी भी समस्या या योजना से संबंधित जानकारी के लिए सीधे यहाँ संपर्क करें। पारदर्शिता और सहयोग से ही गाँव का समग्र विकास संभव है।

शुक्रवार, 29 अगस्त 2025

फतेहपुर से यूपी तक: मायावती, अखिलेश और योगी की सरकारों पर जनता का नजरिया

शीबू खान 

- जनपद के युवा, बुजुर्गों एवं महिलाओं ने बताई राजनीतिक बिसात

- विश्लेषण में युवाओं ने दिखाई रुचि

उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ तीन ऐसे नाम हैं, जिन्होंने अलग-अलग दौर में सत्ता संभाली और अपनी-अपनी कार्यशैली से जनता पर असर छोड़ा। लेकिन सवाल यह है कि प्रशासनिक सख़्ती, विकास कार्य, महंगाई नियंत्रण और न्याय व्यवस्था में किसका पलड़ा भारी रहा? आज भी प्रदेश में जहां भाजपा की राजनीति अव्वल दर्जे पर दिख रही है तो विपक्ष पीडीए के नाम पर अपने आप को 2027 से पहले अव्वल बनाने की जद में नजर आ रहा है। प्रदेश में भाजपा की हर एक काट में पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी टीम के साथ भाजपा पर हर मंच चाहे फिर वो संसद का सदन हो, जनसभा हो या फिर सोशल मीडिया प्लेटफार्म की जुबानी जंग ही क्यों न हो अखिलेश यादव का डंका बजता दिखाई देता है। वैसे विधानसभा में समाजवादी पार्टी के शेर एवं शेरनियां भी कम गरजते नजर नहीं आते हैं। वैसे भी इन दिनों कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के साथ ही वोट चोर - गद्दी छोड़ की राजनीति चली है उससे बहुत कुछ बदलाव आ नजर आता दिख रहा है। जानकारों का मानना है कि बिहार का चुनाव राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता तय करेगी। खैर उत्तर प्रदेश में सपा का पीडीए भी जोर मचा रखा है। इस सबकी लाइन में बसपा कहीं पर अपना दम दिखाते नहीं दिख रही है। वैसे आकाश आनंद पर मायावती ने फिर से दांव खेला है पर उससे बहुत कुछ हासिल होता नजर नहीं आएगा। खैर यूपी के विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं और आगामी वर्ष 2026 में त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव शेष हैं। देखना होगा किसकी क्या रणनीति बनती है।
इसी कड़ी में जनपद के युवा, बुजुर्ग एवं महिलाओं को शामिल करते हुए तीनों सरकारों का संक्षिप्त विश्लेषण तैयार किया गया है। इसी विश्लेषण के आधार पर जल्द ही ब्लॉक स्तरीय मीडिया रिपोर्ट पाठकों को प्रेषित की जाएगी और जनता से रूबरू होकर योजनाओं की हकीकत पर भी बात की जाएगी। नीचे प्रस्तुत है विश्लेषण का सारांश।


मायावती का कार्यकाल – सख़्ती लेकिन सीमित विकास

स्थानीय नागरिकों से इस विषय में राय जानने पर स्पष्ट हुआ है कि मायावती के शासनकाल को प्रशासनिक सख़्ती और नौकरशाही पर पकड़ के लिए जाना जाता है। पुलिस व्यवस्था काबू में रही, लेकिन विकास कार्यों का लाभ गांव-गांव तक सीमित रहते हुए जनता तक विकास कार्य नहीं पहुँच पाया। दलित राजनीति और पार्क निर्माण पर अधिक फोकस रहा, जिसके चलते विपक्ष ने “जनता से दूरी” का आरोप लगाया लेकिन जनता ने भी यही बात दोहराया कि विकास कार्यों से हम दूर रहें।
 

अखिलेश यादव का दौर – तकनीक और योजनाएँ मजबूत, पर कानून-व्यवस्था ढीली

इन्हीं नागरिकों के मुताबिक अखिलेश यादव ने आईटी पार्क, एक्सप्रेस-वे और लैपटॉप वितरण जैसी योजनाओं से युवाओं को आकर्षित किया। समाजवादी पेंशन योजना और किसान हितैषी घोषणाएँ भी कीं। लेकिन अपराधों में वृद्धि और दबंगई पर लगाम न लगने से उनकी सरकार की छवि कमजोर हुई।


योगी आदित्यनाथ का राज – बुलडोज़र मॉडल और सीधा लाभ

इन्हीं नागरिकों के अनुसार योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपराधियों के खिलाफ बुलडोज़र नीति अपनाई, जिससे कानून-व्यवस्था पर सख़्ती नजर आई। मुफ्त राशन, उज्ज्वला योजना और किसान सम्मान निधि से जनता को सीधा फायदा पहुँचा। विपक्ष महंगाई और बेरोज़गारी को लेकर सवाल उठाता रहा, लेकिन जनता के बीच “कड़क छवि” बनी रही।


विश्लेषण का निष्कर्ष

मायावती प्रशासनिक सख़्ती के लिए, अखिलेश विकास और तकनीक के लिए, जबकि योगी आदित्यनाथ कानून-व्यवस्था और सीधी योजनाओं के लाभ के लिए पहचाने जाते हैं।
आज जनता के सामने महंगाई और रोजगार सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में सवाल यही है कि आने वाले समय में जनता किस मॉडल को तरजीह देगी – मायावती का सख़्त प्रशासन, अखिलेश का विकास मॉडल या योगी का बुलडोज़र शासन?

गुरुवार, 28 अगस्त 2025

‘बुलेटरानी’ कमर सुल्ताना को डीजीपी स्वर्ण पदक, कानपुर महिला थाना प्रभारी बनीं प्रदेश की शान

- सीतापुर में ‘बुलेटरानी’ के नाम से बनाई थी अलग पहचान

- महिला सुरक्षा व संवेदनशील मामलों में अनुकरणीय कार्य का मिला बड़ा सम्मान

- प्रदेश पुलिस व कानपुर जनपद को उन पर गर्व, सहकर्मियों में उत्साह

कानपुर। कर्तव्यनिष्ठा, साहस और जनसेवा की मिसाल बनीं महिला थाना प्रभारी इंस्पेक्टर कमर सुल्ताना को उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक द्वारा डीजीपी स्वर्ण पदक से नवाज़ा गया है। यह सम्मान उन्हें महिला सुरक्षा, अपराध नियंत्रण और पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया है।
कमर सुल्ताना का नाम पहले भी चर्चाओं में रहा है। जब वे सीतापुर में तैनात थीं, तो बुलेट मोटरसाइकिल चलाकर गश्त करने और महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए प्रेरित करने की वजह से उन्हें ‘बुलेटरानी’ का खिताब मिला था। उनकी यह छवि जनता के बीच आज भी प्रेरणा बनी हुई है।
कानपुर में महिला थाना प्रभारी रहते हुए उन्होंने न केवल संवेदनशील मामलों का त्वरित निस्तारण कराया, बल्कि थाना को महिलाओं के लिए भरोसेमंद ठिकाना बनाया। उनके कार्य की शैली में सख्ती और संवेदनशीलता का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है। डीजीपी स्वर्ण पदक मिलने के बाद इंस्पेक्टर कमर सुल्ताना ने कहा – "यह सम्मान मेरे लिए गर्व का क्षण है, लेकिन इससे बड़ी जिम्मेदारी भी जुड़ती है। मेरा उद्देश्य है कि हर महिला खुद को सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस करे।" उनकी इस उपलब्धि से कानपुर पुलिस और पूरा प्रदेश गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
इस प्रशंसा पर साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन (सीजेए) के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान एवं प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने उनको मुबारकबाद देते हुए महिलाओं के प्रति और भी अच्छे कार्य करने की बात कही है साथ ही पुलिस में जाने का सपना संजोए बैठी नारियों के लिए प्रेरणा नायक बनने की बात कही है। बताते चलें कि उक्त महिला इंस्पेक्टर कमर सुल्ताना श्री आब्दी की बहू (भांजे की पत्नी) हैं और वर्तमान में कानपुर कमिश्नरेट में महिला थाना प्रभारी हैं।


प्रोफ़ाइल बॉक्स – इंस्पेक्टर कमर सुल्ताना


वर्तमान पद : प्रभारी निरीक्षक, महिला थाना, कानपुर

विशेष पहचान : सीतापुर में ‘बुलेटरानी’ के नाम से मशहूर

सम्मान : डीजीपी स्वर्ण पदक (2025)

खासियत : सख्त प्रशासनिक रवैया और मानवीय दृष्टिकोण

मिशन : महिलाओं को सुरक्षा व आत्मनिर्भरता का विश्वास दिलाना

सोमवार, 25 अगस्त 2025

पड़ताल: योगी सरकार के फरमान को खुली चुनौती, फतेहपुर में ट्रैक्टर-ट्रॉली में तीर्थयात्रा जारी

शीबू खान

- प्रशासन बना मूकदर्शक, थाना/चौकी के सामने से निकलते ट्रैक्टर - ट्रालियां

- योगी आदित्यनाथ के फरमानों का हो रहा खुला उल्लंघन 

- क्या जनपद में किसी बड़े हादसे के इंतेजार में है प्रशासन?

फतेहपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार चेतावनी दे चुके हैं कि ट्रैक्टर-ट्रॉली कृषि कार्यों के लिए है, लोगों को ढोने का साधन नहीं। यह आदेश किताबों में दर्ज है, लेकिन फतेहपुर की सड़कों पर इसका कोई असर दिखाई नहीं देता। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर जारी सख्त दिशा-निर्देशों के बावजूद जिले में ट्रैक्टर और खुले ट्रॉलियों में तीर्थयात्रियों की ठूंस-ठूंस कर आवाजाही लगातार जारी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन इस खतरनाक प्रथा के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रहा है, जिससे एक बड़े हादसे का खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीण अंचलों में रोज देखा जा सकता है कि श्रद्धालुओं और बच्चों से भरी ट्रॉली सड़कों पर दौड़ रही हैं। थाना/पुलिस चौकियों से गुजरते वक्त भी न तो रोक होती है, न चालान, न वाहन सीज। सवाल उठता है कि आखिर मुख्यमंत्री के आदेशों की यह धज्जियां कौन उड़ा रहा है?
मामला फतेहपुर के कई ग्रामीण इलाकों का है, जहाँ से लोग पड़ोसी जिलों व राज्यों में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों जैसे शीतला धाम कड़ा (कौशाम्बी), मनगढ़ (प्रतापगढ़), लोधेश्वर बाबा (बाराबंकी), चित्रकूट धाम, प्रयागराज, अयोध्या, मैहर (मध्य प्रदेश) सहित कई अन्य स्थानीय धाम/घाट/मंदिर आदि की यात्रा पर निकलते हैं। इन यात्राओं के लिए ट्रैक्टरों पर खुले ट्रॉलियाँ लादकर दर्जनों लोगों को बैठा लिया जाता है। ये वाहन न तो यातायात के नियमों का पालन करते हैं और न ही सुरक्षा मानकों का। अक्सर इन ट्रॉलियों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी सवार होते हैं।

सरकार के निर्देश धरे के धरे रह गए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक सुरक्षा, विशेषकर सड़क दुर्घटनाओं और तीर्थयात्राओं के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें वाहनों में ओवरलोडिंग, हेलमेट, सीट बेल्ट और परमिट संबंधी नियमों का सख्ती से पालन कराने के आदेश शामिल हैं। कई बैठकों में सीएम ने अधिकारियों को नसीहत भी दी है। लेकिन फतेहपुर में ये सभी निर्देश मानो कागजी ही साबित हो रहे हैं।

प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल

स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण पाण्डेय का कहना है, "यह आंखों के सामने खेला जा रहा एक खतरनाक खेल है। हर दिन सैकड़ों की तादाद में लोग इन खुले ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में सवार होकर निकलते हैं, लेकिन प्रशासन की कोई सक्रिय भूमिका नजर नहीं आती। थाने, ट्रैफिक पुलिस सबकी नजरों के सामने से ये गुजरते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।"

पिछले हादसे भी नहीं बने सबक

इस इलाके में ट्रैक्टर-ट्रॉली दुर्घटनाओं का दुखद इतिहास रहा है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसी कई घटनाएँ हो चुकी हैं जहाँ ओवरलोडिंग और लापरवाही के कारण जानमाल का नुकसान हुआ है। एक बुजुर्ग ग्रामीण का सवाल है, "क्या प्रशासन को तब तक इंतजार है जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता? क्या पिछली जानें इतनी सस्ती थीं कि उनसे कोई सबक नहीं लिया गया?"

हादसे और सबक, पर सीख कौन ले रहा?

फतेहपुर, जुलाई 2025: मनगढ़ धाम से लौटते श्रद्धालुओं की ट्रॉली डंपर से टकराई— 2 की मौत, 30 घायल।

कानपुर, 2022: तालाब में पलटी ट्रॉली— 26 श्रद्धालु मारे गए।

बुलंदशहर, अगस्त 2025: ट्रॉली से लौट रहे श्रद्धालुओं की गाड़ी पर ट्रक चढ़ा— 8 मरे, 43 घायल।

इन घटनाओं ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया, लेकिन फतेहपुर सहित कई जिलों में हालात जस के तस हैं। कानपुर हादसे (2022) के बाद योगी सरकार ने आदेश जारी किया कि ट्रैक्टर-ट्रॉली से सवारी ले जाना अपराध है। नियम तोड़ने पर ₹10,000 जुर्माना और वाहन सीज करने का प्रावधान लागू किया गया।
परिवहन विभाग को नियमित अभियान चलाने का निर्देश मिला, पुलिस को चौकियों पर चेकिंग बढ़ाने को कहा गया। बावजूद इसके जमीनी स्तर पर न तो अभियान चले और न ही पुलिस की सख्ती दिखी। नतीजा यह है कि आज भी फतेहपुर और आसपास के गांवों में लोग खुलेआम ट्रॉलियों में सफर कर रहे हैं।
हालांकि कानपुर हादसे के बाद सरकार ने आदेश जारी किया, जुर्माना तय किया, वाहन सीज करने का नियम बनाया। लेकिन हकीकत यह है कि न पुलिस चेकिंग करती है, न परिवहन विभाग मुस्तैद है। नतीजा—फतेहपुर की सड़कें आज भी मौत की दौड़गाह बनी हुई हैं।

प्रशासन का पक्ष

इस मामले पर जब यातायात प्रभारी लाल जी सविता से बात की गई तो उन्होंने कहा, "हम इस मामले में जागरूक हैं। कई बार चेकिंग भी की जाती है और जुर्माना भी लगाया जाता है। लेकिन यह एक सामाजिक समस्या भी है। लोगों के पास परिवहन के सुरक्षित विकल्पों का अभाव है और वे सस्ते साधन के तौर पर ट्रैक्टर-ट्रॉली का इस्तेमाल करते हैं। हम जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं।" आज भी हम कई स्थानों पर कार्यवाही करके आए हैं।
हालाँकि, यह जवाब जमीन पर हो रही अनियंत्रित आवाजाही के आगे नाकाफी लगता है।

कौन होगा जिम्मेदार?

सवाल यह उठता है कि अगर आगे चलकर कोई बड़ा हादसा होता है तो उसकी जिम्मेदारी किस पर होगी? क्या सिर्फ ट्रैक्टर चालक की, या फिर उस प्रशासन की भी जो इस खतरे को रोकने में विफल रहा? जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार और प्रशासन की पहली जिम्मेदारी है, और फतेहपुर में यह जिम्मेदारी गंभीर सवालों के घेरे में है।
अभी भी वक्त है कि प्रशासन इस ओर गंभीरता से ध्यान दे और यातायात के नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, ताकि किसी अनहोनी को होने से पहले रोका जा सके।

विशेषज्ञों की राय

यातायात विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक प्रशासनिक स्तर पर कठोर अभियान, जुर्माना व वाहन जब्ती की कार्रवाई नहीं होगी, तब तक हालात नहीं सुधरेंगे। साथ ही तीर्थयात्राओं और धार्मिक आयोजनों के लिए सरकार को बस या मिनी ट्रक जैसी सुरक्षित सार्वजनिक व्यवस्था उपलब्ध करानी होगी।

यह सवाल केवल प्रशासन से नहीं, जनता से भी है—क्या हमें अपने बच्चों और बुजुर्गों की जान इतनी सस्ती लगती है कि हम उन्हें मौत की ट्रॉली पर बैठा दें?
और प्रशासन से भी सवाल है—अगर योगी का आदेश भी सड़क पर लागू नहीं हो पा रहा, तो फिर सरकार के आदेशों की असली ताकत कहां है?
अब वक्त आ गया है कि इस मौत के सफर पर पूर्णविराम लगाया जाए। वरना अगली खबर शायद यही होगी— “फतेहपुर में फिर पलटी श्रद्धालुओं से भरी ट्रॉली, कई मारे गए…”

रविवार, 24 अगस्त 2025

शिया जामा मस्जिद से निकले अठ्ठारह औलादे अबु तालिब के शबी-ए-ताबूत

- जनपद एवं गैर जनपद की अंजुमनों ने पढ़ा नौहा और किया मातम

फतेहपुर। करबला की शहादत पर फतेहपुर कजियाना शिया जामा मस्जिद में रात भर शब्बेदारी हुई जहां गैर जनपदों सहित कई अंजुमनों ने करबला की शान में नौहे पढ़े और सारी रात मातम करते हुवे लब्बैक या हुसैन के नारे लगाते रहे। हज़ारों की भीड़ ने ताबूत की ज़ियारत की। इस मौके पर फतेहपुर शिया इमामे जुमा मौलाना सय्यद दानिश नक़वी ने मजलिस को खिताब करते हुवे रसूल अल्लाह के नवासों पर रौशनी डाली और बताया कि इमाम हुसैन ने अपने घराने की एक बड़ी कुर्बानी देकर इस्लाम को बचाया है, आज इस्लाम जिंदा है तो ये हुसैन का बलिदान है। आज इस्लाम पर इमाम हुसैन का एहसान है जिनकी बदौलत मोहम्मद साहब का दीन बाकी है। यज़ीद के हर अत्याचार का बदला हुसैन ने सब्र से दिया और दुनिया को एक संदेश दे गए कि मुसीबतों पर सब्र करना सीखो, सब्र का दामन कभी न छोड़ो। 
आपको बताते चलें की फतेहपुर की ये बड़ी शब्बेदारी होती है जो अपने 43वें दौर में कदम रख चुकी है। 43 वर्षों से लगातार इसी स्थान पर ये शब्बेदारी होती है, जहां हर साल हजारों की संख्या में हुसैनी अज़ादार सारी रात इमाम हुसैन के ग़म में शामिल हो कर मोहम्मद साहब के नवासों को याद करते हैं और उनको पुरसा देते हैं। सारी रात शब्बेदारी के बाद सुबह फज्र की नमाज के बाद क़तीब अहले बैत मौलाना सय्यद अली रज़ा अस्तर चंदन पट्टी बिहार की निक़ाबत में अट्ठारह अबू तालिब के शबी ए ताबूत की ज़ियारत कराई गई। इस मौके पर फतेहपुर की अंजुमन अब्बासिया के साहिबे बयाज़ भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा उत्तर प्रदेश के प्रदेश मीडिया प्रभारी फ़ैज़ान रिज़वी ने करबला वालों की शान में कलाम पेश किए। फतेहपुर की अंजुमन सक्काए हरम से नौहा ख़्वान एडवोकेट ज़ैन फतेहपुरी ने बेहतरीन कलाम पेश किए। जिला कौशांबी से कोराली की अंजुमन, जमाल नगर उन्नाव की अंजुमन उस्मानपुर जलालपुर आदि अंजुमनों ने नौहा पढ़कर इमाम हुसैन को पुरसा पेश किया।  
इस मौके पर साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार शहंशाह आब्दी अपने साथियों सहित जुलूस समापन तक मौजूद रहे। कोतवाली पुलिस रनिंग गश्त पर घूमती रही। अंजुमन अब्बासिया फतेहपुर की ओर से आए हुवे हुसैनी अज़ादारों एवं तमाम अंजुमनों का शुक्रिया अदा किया और अगले साल तक के लिए अपने इमाम हुसैन को पुरसा देते हुवे रुखसत किया।

एफआईआर से निकला लोकतंत्र का सच, सत्ता को आई आलोचना से जलन: सीजेए

- पत्रकार पर दर्ज हुए राजद्रोह के मुकदमे पर भड़का सीजेए

- सीजेए ने असम सरकार से मुकदमा खत्म करने की करी अपील 

- खबर लिखना अब अपराध - सवाल पूछो तो राजद्रोह, कोट करो तो केस: शीबू खान 

फतेहपुर। असम पुलिस द्वारा वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किए जाने पर साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन (सीजेए) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए इसे "लोकतंत्र के लिए काला दिन" बताया।
शीबू खान ने कहा, "किसी की बात को उद्धृत (क़ोट) करके खबर बनाना पत्रकारिता का मूल सिद्धांत है। यह कहाँ से गलत है? लगता है कि देश में लोकतंत्र खत्म होता जा रहा है। पुलिस की पत्रकारों के प्रति जलन भी इस एफआईआर से साफ झलकती है।" उन्होंने आगे कहा कि यह मामला पत्रकारिता की स्वायत्तता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक सुनियोजित हमला है। एसोसिएशन ने राज्य सरकार से तुरंत मामला वापस लेने और पत्रकारों के खिलाफ दमनकारी कार्रवाई बंद करने की मांग की है।
खबरों के अनुसार, वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा ने एक डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के लिए एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने एक जज के बयान का ज़िक्र किया था जिसमें असम सरकार द्वारा महाबल सीमेंट को 3,000 बीघा ज़मीन आवंटित करने की बात कही गई थी, और इस फ़ैसले की आलोचना की थी। इसी रिपोर्ट में उन्होंने तथ्यों के साथ, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सांप्रदायिक राजनीति का भी ज़िक्र किया था जो उनके अपने बयानों पर आधारित थी, को शामिल किया था। जिसे प्रशासन 'आपत्तिजनक' और 'राष्ट्रविरोधी' मानता है। इस पूरे मामले में श्री शर्मा का कहना रहा है कि उन्होंने न्यूज़ रिपोर्टिंग के सभी मानकों का पालन करते हुए केवल एक घटना की रिपोर्ट की है और अपनी ओर से कोई राय व्यक्त नहीं की। हालाँकि, पुलिस का आरोप है कि श्री शर्मा ने "जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से" ऐसी सामग्री प्रकाशित की है जिससे जनता के एक वर्ग के बीच असंतोष और अशांति फैलने का खतरा है। इसी प्रकरण में पुलिस द्वारा एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 152, 196 और 197 का इस्तेमाल किया गया है।
इस पूरे मामले में अब तक ज्यादातर मीडिया संगठनों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि यह भारत के संविधान में दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। इसी कड़ी में साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के उत्तर प्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने कहा है कि ऐसे कदम से पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर गंभीर असर पड़ेगा और पत्रकार अपना कर्तव्य निभाने से डरने लगेंगे। वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा का मामला सिर्फ एक पत्रकार का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे मीडिया जगत और लोकतंत्र का सवाल है। यदि सरकार और पुलिस प्रशासन आलोचना को राजद्रोह मानने लगे, तो यह साफ है कि देश में लोकतांत्रिक संस्थाएं खतरे में हैं और प्रेस की स्वतंत्रता लगातार सिकुड़ रही है।
साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की है कि पत्रकारों के खिलाफ इस तरह की दमनात्मक कार्रवाई रोकी जाए और स्वतंत्र मीडिया को काम करने दिया जाए। इस दौरान साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के फतेहपुर जिलाध्यक्ष त्रिभुवन सिंह, खागा तहसील अध्यक्ष अभिमन्यु मौर्या व अन्य लोग उपस्थित रहे हैं।

शनिवार, 16 अगस्त 2025

सीजेए के संयुक्त सचिव ने की गौ सेवा एवं जाना गौशाला का हाल

फतेहपुर। जन्माष्टमी के अवसर पर साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन (सीजेए) के जिला संयुक्त सचिव अनिल विश्वकर्मा ने ऐरायां विकास खण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत देवारा में स्थित गौशाला पहुंचकर गौ सेवा करते हुए गौशाला का हाल जाना।
बताते चलें कि कलमकारों एवं पत्रकारों के शीर्ष संगठन साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन (सीजेए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाश्वत तिवारी के निर्देशन पर जन्माष्टमी के अवसर पर गौ सेवा के साथ ही हर जनपद में एक गौशाला का हाल जानने के लिहाज से जनपद के संयुक्त सचिव अनिल कुमार विश्वकर्मा को जिम्मेदारी सौंपी गई। जिम्मेदारी के निर्वहन में जिला संयुक्त सचिव अनिल कुमार विश्वकर्मा शनिवार को ऐरायां ब्लॉक के देवारा ग्राम पंचायत में स्थित गौशाला पहुंचकर गौ वंशों की हकीकत जानी तथा गौ सेवा करते हुए गौ वंशों को रोटी व चारा आदि खिलाकर सेवा की। इस दौरान उन्होंने ग्राम पंचायत सचिव बिपिन तिवारी से गौशाला में उपस्थित चारा आदि की जानकारी लेते हुए उनके स्वास्थ्य आदि पर भी चर्चा की जिसके प्रति उत्तर में ग्राम पंचायत अधिकारी बिपिन तिवारी ने सारे उपस्थित साधनों की व्याख्या की तथा उपस्थित गौ सेवकों ने गौशाला की स्थित से अवगत कराया। इस दौरान अनिल कुमार विश्वकर्मा ने सब कुछ ठीक - ठाक पाया और गौशाला की तारीफ करते नजर आए। उन्होंने कहा कि गौ सेवा करने से आत्मा को शांति मिलती है और परोपकार भी सिद्ध होता है।

शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

संपादकीय लेख - "स्वतंत्रता दिवस: आज़ादी के मायने और तीन स्तंभों की पीड़ा"

शीबू खान 
(राष्ट्रीय महासचिव - साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन)

15 अगस्त — वह दिन, जब लाल किले की प्राचीर से तिरंगा लहराकर देश को आज़ादी की कीमत और महत्ता का अहसास कराया जाता है। यह दिन हमें उन अनगिनत बलिदानों की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें अंग्रेज़ी हुकूमत की बेड़ियों से मुक्त कराया। लेकिन आज, 78 साल बाद, सवाल यह है कि क्या हमारे किसान, जवान और पत्रकार जो लोकतंत्र की रीढ़ कहे जाते हैं क्या सचमुच में आज़ाद हैं?

किसान: पेट पालने वाला खुद भूखा

देश का किसान अन्नदाता कहलाता है, लेकिन उसकी स्थिति देखकर यह उपाधि एक विडंबना बन गई है। खेत में मेहनत करने वाला किसान कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या कर रहा है। महंगाई, अनियमित मौसम, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी न मिलना और बिचौलियों के शिकंजे ने उसे आर्थिक गुलामी में जकड़ रखा है। वह जिस अन्न को उगाता है, वही अपने घर की थाली में भरने के लिए संघर्ष करता है। स्वतंत्रता का अर्थ उसके लिए अभी भी सिर्फ सपनों में ही है।

जवान: सीमा पर बलिदान, भीतर उपेक्षा

हमारे जवान सीमा पर 50 डिग्री की गर्मी और माइनस तापमान की सर्दी झेलते हुए देश की सुरक्षा में लगे रहते हैं। वे आतंकवाद, घुसपैठ और दुश्मन की गोलियों का सामना करते हैं लेकिन जब बात उनके अधिकारों, आधुनिक हथियारों, सुविधाओं और परिवार की देखभाल की आती है, तो व्यवस्थाएं सुस्त पड़ जाती हैं। रिटायरमेंट के बाद पेंशन, पुनर्वास और स्वास्थ्य सेवाओं में मिलने वाली उपेक्षा यह बताती है कि उनकी बलिदानी भूमिका का मूल्य हम शब्दों में तो चुकाते हैं, लेकिन कर्मों में नहीं।

पत्रकार: लोकतंत्र की सांस घुटती हुई

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ—पत्रकारिता—आज सबसे नाज़ुक मोड़ पर खड़ी है। सच दिखाने वाले पत्रकारों पर मुकदमे, धमकियां और हमले आम हो गए हैं। कई बार सत्ता, पूंजी और विज्ञापन की ताकत के आगे सच्चाई दब जाती है। जो कलम कभी आज़ादी की लड़ाई में हथियार बनी, वह आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खुद जंग लड़ रही है। अगर पत्रकारिता की आवाज़ दबा दी गई, तो लोकतंत्र की सांस घुट जाएगी।

निष्कर्ष:

स्वतंत्रता केवल विदेशी शासन से मुक्ति का नाम नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक के सम्मान, अधिकार और न्याय की गारंटी है। जब तक किसान के चेहरे पर मुस्कान, जवान के जीवन में सम्मान, और पत्रकार के हाथ में बेखौफ कलम नहीं होगी, तब तक यह आज़ादी अधूरी है। स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराना और गाना गाना पर्याप्त नहीं है। जब तक किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलेगा, जब तक जवानों को उचित सुविधाएँ नहीं मिलेंगी और जब तक पत्रकार बिना डर के सच नहीं बोल पाएँगे, तब तक आज़ादी अधूरी है। हमें सिर्फ स्वतंत्रता दिवस नहीं, बल्कि स्वतंत्रता के मूल्यों को बचाने की ज़रूरत है।  
इस स्वतंत्रता दिवस पर हमें केवल झंडा फहराने और भाषण देने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि यह प्रण लेना चाहिए कि हम इन तीनों स्तंभों के अधिकारों की रक्षा करेंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियां गर्व से कह सकें—"हम सचमुच में आज़ाद हैं।"

गुरुवार, 14 अगस्त 2025

भाजपा कार्यालय में कल 8 बजे होगा ध्वजारोहण - प्रवीण

फतेहपुर। कल दिनांक 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी जिला कार्यालय में सुबह आठ बजे जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ राष्ट्र ध्वज का रोहण किया जायेगा। इस आशय की सूचना जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण कुमार सिंह द्वारा दी गई ।

सोमवार, 11 अगस्त 2025

मकबरा - मंदिर विवाद ने पकड़ा तूल, भाजपा जिलाध्यक्ष की अपील पर उमड़े सनातन धर्म के लोग

- पुलिस की सुरक्षा में सेंध लगा मकबरे के अंदर घुसा हिंदू पक्ष

- मकबरे के बाहर व अंदर मजारों में की तोड़फोड़, पूजा-अर्चना कर लौटे

फतेहपुर। नवाब अब्दुल समद का मकबरा या ऐतिहासिक शिव मंदिर... यूपी के फतेहपुर में इसको लेकर विवाद बढ़ गया है। एक दिन पहले हिंदू संगठनों ने डीएम से इस मकबरे में पूजा-पाठ की इजाजत मांगी थी। हालांकि, इजाजत तो नहीं मिली मगर मकबरे के आसपास बैरिकेडिंग करते हुए भारी फोर्स जरूर तैनात कर दी गई। ऐसे में सोमवार को बड़ी संख्या में हिंदूवादी संगठन के लोग मौके पर जमा हो गए और कथित तौर पर मकबरे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने लगे। जैसे-तैसे पुलिसवालों ने उन्हें रोका। उधर, मुस्लिम समुदाय के लोग भी मकबरे की ओर बढ़ने लगे जिससे माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया।
शहर के आबूनगर रेडड्या स्थित मंगी मकबरे के विवाद ने सोमवार को बड़ा रूप ले लिया। रविवार की शाम भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल समेत बजरंग दल के प्रांतीय उपाध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डेय ने मकबरे को ठाकुर जी विराजमान मंदिर बताते हुए सनातनियों से सोमवार को जुटने की अपील की थी। जिस पर बड़ी संख्या में सनातन धर्म के लोग कर्पूरी ठाकुर चौराहा पर पूर्वान्ह ग्यारह बजे एकत्र हुए और जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए मकबरा पहुंचे। जहां पुलिस की सुरक्षा में सेंध लगाकर बैरीकेटिंग पार कर मकबरे के अंदर प्रवेश कर गए। कुछ सनातियों ने मकबरे के बाहर बनी मजारों को पहले तोड़ा फिर मकबरे के अंदर पहुंचकर दो मजारों को क्षतिग्रस्त करने का काम किया। हिंदू महासभा के प्रांतीय उपाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी ने पूजा-अर्चना की। सनातनियों के उपद्रव की जानकारी मिलने पर मुस्लिम पक्ष के लोग भी मौके पर पहुंचने का प्रयास किया जिस पर पुलिस अधीक्षक अनूप कुमार सिंह ने कमान संभालते हुए मुस्लिम पक्ष को आगे बढ़ने से रोका। जब मुस्लिम पक्ष पुलिस से विवाद करने लगा तो एसपी ने सभी को खदेड़ने का काम किया। विवाद बढ़ने पर जिलाधिकारी रवीन्द्र सिंह मौके पर पहुंचे और सनातनियों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों को शांत कराने का प्रयास किया। डीएम का कहना रहा कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। कानून को हाथ में लेने नहीं दिया जाएगा। यदि कोई भी व्यक्ति शहर का माहौल बिगाडने का प्रयास करेगा तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। शहर में गंगा-जमुनी तहजीब के बीच हुई यह घटना किसी के गले नहीं उतर रही है। शहर समेत जिले में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। सोशल मीडिया पर भी लोग अपने-अपने गुस्से का इजहार कर रहे है। मौके पर पुलिस व पीएसी बल बड़ी संख्या में तैनात कर दिया गया है। मकबरा के आस-पास किसी को जाने की इजाजत नहीं है। इस दौरान पुलिस के आला अधिकारियों में से एडीजी एवं आईजी आदि ने कानून व्यवस्था को नजदीक से परखा है। 

"मंदिर का नाम, मक़बरा की पहचान !" 

मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर नगर के अबूनगर मोहल्ले स्थित तथाकथित शंकर जी सिद्धपीठ ठाकुर जी विराजमान मंदिर के सौंदर्यीकरण, नवीनीकरण और शिखर निर्माण की अनुमति मांगी है। समिति का कहना है कि मंदिर की वर्तमान स्थिति जर्जर हो चुकी है और आगामी 11 अगस्त से शुरू होने वाली विशेष पूजा से पहले निर्माण कार्य कराया जाना आवश्यक है।
हालांकि, जिस स्थान को मंदिर बताया जा रहा है, वह ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के अनुसार मुग़ल काल के वरिष्ठ सूबेदार नवाब अब्दुस समद ख़ान का मक़बरा है, जहां उन्हें दफ़न किया गया था। यह तथ्य "फतेहपुर: ए गज़ेटियर" (लेखक: एच.आर. नेविल, सन उन्नीस सौ छः, पृष्ठ 199–200) में दर्ज है। यह गज़ेटियर यूनाइटेड प्रोविन्सेस ऑफ आगरा एंड अवध की आधिकारिक जिला गज़ेटियर का भाग है।
इसके अलावा, "इम्पीरियल गज़ेटियर ऑफ इंडिया" (खंड 12, पृष्ठ 83, सन अठारह सौ इक्यासी) में भी इस मक़बरे का उल्लेख मिलता है। इतिहासकारों के अनुसार, अब्दुस समद ख़ान मुग़ल साम्राज्य के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और सूबेदार थे, जिन्होंने कई मुग़ल बादशाहों की सेवा की थी। उनका मक़बरा अबूनगर क्षेत्र में स्थित है, जिसकी स्थापत्य शैली और ऐतिहासिक महत्व इसे एक महत्वपूर्ण धरोहर बनाते हैं।
इसी पृष्ठभूमि में, इस स्थान को मंदिर बताकर उसके स्वरूप में परिवर्तन करने की मांग पर इतिहासकारों और नागरिक समाज के बीच चिंता जताई जा गई है। 

क्या है पक्ष हिन्दू संगठनों का 

हिंदू संगठनों का कहना है कि मकबरे में कमल के फूल व त्रिशूल बने हैं, इससे पुष्टि होती है ये एक प्राचीन मंदिर था, जिसे बाद में मकबरे में बदल दिया गया। वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने कहा कि दूसरे समुदाय ने मंदिर को मस्जिद के स्वरूप में करने का काम किया है। ये हमारी आस्था का केंद्र है, इसलिए हम लोग हर कीमत में मंदिर में पूजा-पाठ करेंगे। अवैध कब्जा सनातनी कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। कुछ भी होगा वो प्रशासन की जिम्मेदारी होगी। हमारे पास बहुत सारे साक्ष्य हैं जैसे- मंदिर में परिक्रमा मार्ग है, धार्मिक कुआं है, कमल-त्रिशूल के निशान हैं। छत्र की जंजीर आज भी मौजूद है। ये सब किसी मस्जिद या मकबरे में नहीं होती। 

क्या बोला मुस्लिम पक्ष

राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के मोहम्मद नसीम ने कहा कि फतेहपुर की घटना बहुत निंदनीय है। सैकड़ों साल पुराना हमारा मकबरा है। सरकारी दस्तावेज में 753 नंबर खतौनी में ये जमीन दर्ज है लेकिन मठ संघर्ष समिति और कुछ संगठनों ने अब उसकी भी खुदाई का ऐलान कर दिया है। उसे ठाकुर जी का मंदिर कहकर तमाशा किया जा रहा है जिससे जिले का माहौल खराब किया जा रहा है। मेरी प्रशासन और सरकार से अपील है कि क्या हर मस्जिद और मकबरे के नीचे मंदिर ढूंढा जाएगा? ये लोकतंत्र नहीं, राजतंत्र है, हम लोग इसको लेकर आंदोलन करेंगे।

पुलिस ने दर्ज करना शुरू किया मुकदमा

इस प्रकरण के बाद पुलिस ने वीडियो और फोटो के आधार पर मुकदमा दर्ज करना शुरू कर दिया है। पुलिस विभाग द्वारा जारी सूचना के आधार पर विवादित मकबरा स्थल पर जबरदस्ती घुसने/तोड़-फोड़ करने वाले 10 नामजद व 150 अज्ञात उपद्रवियों के विरुद्ध थाना कोतवाली नगर पर मु0अ0सं0 319/2025 धारा 190,191(2),191(3),301, 196 बीएनएस व 07 सीएलए एक्ट एवं 2/3 लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम का अभियोग पंजीकृत किया गया है। सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु टीमे गठित कर दी गयी है। शीघ्र ही अभियुक्तों की गिरफ्तारी कर विधिसंगत कार्यवाही की जायेगी।

रविवार, 10 अगस्त 2025

मोबाइल ऐप ‘डिवविन’ से फतेहपुर में खुलेआम सट्टा, युवा पीढ़ी बर्बादी की राह पर

शीबू खान 

- शहर का एक यूट्यूबर खुलेआम कर रहा इसका प्रचार
- खुलेआम इस सट्टे पर शासन-प्रशासन बना धृतराष्ट्र

फतेहपुर। जिले में डिवविन नामक मोबाइल ऐप ने युवाओं का चैन-सुकून छीन लिया है। चमकीले ऑफ़र और रातों-रात अमीर बनने के सपनों का लालच देकर यह ऐप खुलेआम सट्टेबाजी का खेल चला रहा है। रोज़ दर्जनों युवा अपनी मेहनत की कमाई इसमें झोंक रहे हैं और खाली हाथ लौट रहे हैं। बड़ी बात ये है कि अपने आप को बड़ा यूट्यूबर बताने वाला एक शख्स इस ऐप का खुला प्रचार करके लोगों को पैसा कमाने की बात करके लोगों को माइंड वाश करते हुए इस ऐप का लत लगाने की बात करता है जो खुलेआम सोशल मीडिया पर दिखाई देता है। बावजूद इस सबके प्रशासन मौन है। 
इस प्रकरण में नगर के एक 23 वर्षीय युवक (नाम गुप्त) ने बताया कि शुरुआत में मैंने सिर्फ 100 रुपये लगाए थे और 500 रुपये जीत गया। लगा किस्मत चमक गई, लेकिन धीरे-धीरे मैं हजारों रुपये हार गया। अब दोस्तों से उधार लेना पड़ रहा है। घरवालों को पता चले तो मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगा। वहीं एक पुरुष पिता ने रोते हुए कहा कि बेटा पढ़ाई छोड़कर दिन-रात मोबाइल में घुसा रहता है। घर का माहौल बिगड़ गया है। हम गरीब लोग हैं, कर्ज कहां से चुकाएं?

ऐसे चलता है खेल
सूत्रों के मुताबिक, डिवविन ऐप कथित तौर पर विदेशी सर्वर पर संचालित है। इसमें यूपीआई, पेटीएम और अन्य डिजिटल माध्यमों से पैसे डाले जाते हैं। शुरुआत में जीत दिलाकर यूजर को फंसाया जाता है, फिर लगातार हार का सिलसिला शुरू होता है।

शासन-प्रशासन की चुप्पी
खुलेआम ऐसे खेल चल रहे हैं जो खुलेआम जुआ को प्रदर्शित करता है, पुलिस और साइबर सेल ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। मानो वे धृतराष्ट्र की तरह आंखें मूंदकर बैठे हों, जबकि रोज़ युवाओं की जिंदगी बर्बाद हो रही है। डिवविन जैसे ऐप को तत्काल बैन किया जाए, इसके संचालकों व प्रचारकों पर बीएनएस की धाराओं में एफआईआर दर्ज हो, और युवाओं को इस जाल से निकालने के लिए बड़े पैमाने पर जनजागरूकता अभियान चलाया जाए।

क्या है कानूनी पहलू (BNS 2023 के तहत धाराएं)
धारा 318(2) – किसी भी प्रकार का अनधिकृत जुआ/सट्टेबाजी का आयोजन, प्रचार-प्रसार या भाग लेना अपराध।धारा 111(2) – ऑनलाइन माध्यम से धोखाधड़ी और छल द्वारा आर्थिक लाभ उठाना अपराध।धारा 61 – साइबर धोखाधड़ी व फर्जी डिजिटल लेन-देन पर सजा।धारा 317(3) – खेल या प्रतियोगिता में बाजी लगाकर धन का लेन-देन करना अपराध।

बुधवार, 6 अगस्त 2025

आत्महत्या को उकसाने पर मां पिता व भाइयों पर मुकदमा के आदेश

- मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आशुतोष सेकेण्ड की अदालत ने बिन्दकी के एक मामले की सुनवाई कर आरोपितों के विरुद्ध आत्महत्या के उकसाने का मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश

- पीड़ित पक्ष से सीनियर अधिवक्ता जावेद खान व शोएब खान एडवोकेट ने पैरवी कर बहस की

फतेहपुर। असोथर थाने के प्रेममऊ कटरा निवासी रोशनी ने बताया कि उसकी शादी बिंदकी के बहरौली गांव निवासी अंकित उर्फ अमन के साथ 18.2.2022 को हुई थी। मृतक अंकित उर्फ अमन ट्रक ड्राइवर था और उसने कुछ जमीन अपने परिजनों के नाम खरीदी थी जिसे बेचकर वह स्वयं का ट्रक लेना चाहता था। इस बात के लिए उसके परिजन तैयार नहीं थे। इसी के चलते घर में झगड़ा फसाद होता था। अंकित के पिता राम नरेश, मां गोमती, भाई ऋषभ व छोटू ने मृतक अंकित के साथ मारपीट की थी और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया था जिसकी वजह से दिनांक 26.5.2025 को बहरौली गांव के किनारे जंगल में अंकित उर्फ अमन ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
पति की मृत्यु की सूचना मृतक अंकित उर्फ अमन के परिजनों ने उसकी पत्नी रोशनी को नहीं दी और उसका अंतिम संस्कार कर रोशनी को घर में भी घुसने नहीं दिया। रोशनी द्वारा पुलिस में शिकायत की गई परंतु पुलिस द्वारा मुकदमा न लिखे जाने पर रोशनी ने अपने सीनियर अधिवक्ता जावेद खान व शोएब खान एडवोकेट के जरिए न्यायालय में प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 173 (4) BNSS प्रस्तुत किया जिस पर आवेदिका के सीनियर अधिवक्ता जावेद खान व शोएब खान एडवोकेट के तर्कों को सुनने के बाद उक्त घटना के संबंध में दिनांक 31.7.2025 को सीजेएम फतेहपुर न्यायमूर्ति आशुतोष सेकेण्ड द्वारा थाना बिंदकी में अभियोग पंजीकृत कर विवेचना किए जाने का आदेश पारित किया है।

शनिवार, 2 अगस्त 2025

अंडर गारमेंट्स फैक्ट्री का बॉडी केयर के चैयरमैन ने किया शुभारंभ

- क्षेत्र की महिलाओं को मिलेगा रोजगार का अवसर

फतेहपुर। शुक्रवार को हथगाम नगर के लिए एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई। बॉडी केयर के चैयरमैन संजीव गोयल एवं अक्षय पाराशर ने फीता काटकर सिलाई प्रशिक्षण केंद्र का शुभारंभ किया। नारी सशक्तिकरण, स्वावलंबन एवं आत्मनिर्भरता के क्रम में यह महत्वपूर्ण फैक्ट्री खोली गई है जिसमें 60-60 महिलाएं दो शिफ्टों में जी क्रिएशन ग्रैंड टू में मशीनों से सिलाई का काम सीखेंगी। यहीं महिलाओं के अंडर गारमेंट्स का प्रोडक्शन होगा।उद्घाटन समारोह का संचालन मोहम्मद सैफ ने किया।
नगर पंचायत स्थित नेहा मार्ट में शुक्रवार को बॉडी केयर कंपनी की ओर से महिलाओं के अंडर गारमेंट्स के प्रोडक्शन के लिए जी क्रिएशन कौशांबी के फाउंडर खुशनूर अली उर्फ लाला के सहयोग से फैक्ट्री का शुभारंभ बॉडी केयर के चैयरमैन संजीव गोयल एवं अक्षय पाराशर ने फीता काट कर किया। 
इस मौके पर प्रोपराइटर मोहम्मद रजा, मोहम्मद अहमद, मोहम्मद मुस्तकीम, मोहम्मद ज़फ़र आदि के नेतृत्व में सभी अतिथियों को माल्यार्पण के साथ शाल एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ताज खान भी शामिल थे। इस मौके पर कौशांबी में रमीज भाई की डेकोरेट में देख रेख में जी क्रिएशन वन में कार्यरत लुबना बानो, मुस्कान, अर्चना सिंह, मेहर बानो, विद्या देवी, लक्ष्मी देवी, ऋचा देवी, प्रतिमा आदि को भी शाल भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर उपस्थित महिलाओं से कहा गया कि प्रशिक्षण में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। पहली शिफ्ट सुबह 8 बजे से 12 बजे तक तथा दूसरी शिफ्ट एक बजे से 5 तक रहेगी। कहा गया जरूरतमंद महिलाओं को अन्य सारे कार्यक्रम छोड़ने पड़ेंगे तभी बेहतर ढंग से सीखा जा सकता है।नोएडा से चलकर आए मुख्य अतिथियों ने कहा कि आज वे बेहद खुश हैं कि उनका परिवार बढ़ रहा है। अधिक से अधिक बहनों को रोजगार देकर स्वावलंबी बनाने का उनका लक्ष्य निश्चित रूप से पूरा होगा। यह प्रशिक्षण केंद्र खुल जाने से क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार का अवसर प्राप्त होगा। ट्रेनिंग के बाद बॉडी केयर कंपनी की ओर से जॉब मिलने की पॉसिबिलिटी बढ़ जाएगी। प्रशिक्षण के बाद यही महिलाएं प्रोडक्शन भी करेंगी। 
जी क्रिएशन टू फैक्ट्री की स्थापना में खुशनूर अली उर्फ राजू का योगदान रहा। इस मौके पर रिटायर्ड हेड कांस्टेबल मोहम्मद उमर, कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मोहम्मद जफर, पूर्व सभासद मुन्ना कुरैशी, शफीक कुरैशी, हफीजुल हसन, जमीरउद्दीन, प्रदीप सक्सेना, मोहम्मद सलमान, मोहम्मद शोएब, जहीर खान, बाबू भाई, वहीद प्रधान कड़ा, अनवर भाई दिल्ली, छोटे मियां आदि अनेक गणमान्य मौजूद रहे। इस मौके पर कवि एवं शायर शिव शरण बंधु एवं अन्य को भी शाल भेंट कर सम्मानित किया गया।

फतेहपुर में बढ़ा सियासी बवाल: दिवंगत लेखपाल सुधीर के घर पहुँचे अखिलेश यादव, बोले—“दोषियों को बचने नहीं दूंगा”

- अखिलेश यादव ने परिजनों को दिया मदद, सरकार से उठाई कई मांग - एसआईआर के बढ़ते मामलों पर उग्र दिखे सपा सुप्रीमो, कहा संसद में उठाएंगे मुद्दा ...